मजार-दरगाह और पीरों का इतिहास

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1. हजरत नाथडौली जो तुर्क के शहजादे थे,
उन्होंने मदुरै
और तिरूचिरापल्ली में धन के बल पर हजारो हिन्दू
मुसलमान बनाए और आज इनकी मजार पर
हजारो हिन्दू
औरते भी जाती है? क्यों?
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2. सयद इब्राहीम शहीद ने हुक्मरान के जोर पर
हजारो हिन्दू औरतो को मुसलमानी बनाया और
आज
इनकी दरगाह पर हजारों हिन्दू जाते हैं क्यों?
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3. खलीफा बाबा फखरूद्दीन ने पेनूकोंडा के
राजा को मुसलमान बनाया और बाद में
सारी प्रजा,
आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू भी जाते हैं
,क्यों?
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4. मुइनुद्दीन चिश्ती ने दिल्ली से
अजमेर जाते
हुए 700
हिन्दु औरतो को मुसलमानी बनवाया तलवार के
बल पर
और हजारो हिन्दू इन्हें चादर चढाते हैं क्यों?
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5. फखरूद्दीन गजशकर ने पंजाब में गयारह अछूत
जातियों को मुसलमान बनाया और आज
इनकी मजार
पर हजारो हिन्दू और सिख भी जाते हैं क्यों?
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6. हजरत निजामुद्दीन के खलीफा शेख
अखी सिराजुद्दीन और उसके
भी खलीफा शेख
अलाउल हक ने आधा बंगाल मुसलमान
बनाया और
इनकी दरगाहों पर हिन्दू ही अधिक जाते हैं क्यों?

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7. और सुनो हजरत निजामुद्दीन को शास्त्रार्थ
में
समेनाथ नामक संत ने हराया। समेनाथ ने एक
किसान के
बालक को इतना ज्ञान दिया कि वह कालांतर में
राजा हम्मीर बना, सबसे शक्तिशाली राजा और
उसने
तुगलक को पराजित किया और तुगलक
दिल्ली छोडकर
भाग गए थे। परंतु हिन्दू समेराम की समाधि पर
नहीं जाते, जो दिल्ली में ही है, लेकिन
जाते हैं
हजरत

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निजामुद्दीन की समाधि पर क्यों?
यकीन नहीं आता तो ताजा प्रमाण सुनो।
मुसलमानो ने एक किताब छापी थी, हिन्दुओ के
काले
कलूटे देवता, उसके खिलाफ एक आर्य समाजी ने
किताब
छापी, फिर दोबारा मुसलमानो ने आर्यसमाज के
खिलाफ छापी और फिर आर्य समाज की ओर से
छपी रंगीला रसूल। इस पर राजपाल नामक
प्रकाशक
की हत्या हुई और हत्यारे इल्मूदीन
को फांसी,
लेकिन
आज इल्मूदीन गाजी हैं और पाकिस्तान के सबसे
बडे
पीर और हर साल उर्स लगता है उनकी मजार
पर।
नेट पर
पढ लें सारी कहानी और इल्मूदीन के
उर्स में आज
भी अल्पसंख्यक हिन्दू जाना नहीं भूलते पाकिस्तान में
क्यों?
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भारत के हिन्दुत्व-वादी लेखकों के ब्लाग जरुर पढें और अपने
सनातन धर्म का सुप्रचार करें !

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