क्या आप जानते हैं कि....
खोजने से हो सकता है कि.... सींग
वाला गधा भी मिल जाए... . लेकिन, मुसलमानों में
बुद्धि खोजना .... महज समय
की ही बर्बादी है...!
कभी कभी तो लगता है कि.... भगवान
भी कन्फ़्यूजिया जाते होंगे कि..... अपने आउल
बाबा ज्यादा मूर्ख है या कि.... ये मुस्लिम
प्रजाति...!!
खैर....
अब किसी भी मूर्ख प्रजाति के त्योहार
भी तो..... उसकी मूर्खता को प्रदर्शित करते हुए
एवं
अवैज्ञानिक ही होंगे .... और, इसमें आश्चर्य
की कोई बात नहीं है...!
जैसे कि.... उदाहरण के तौर पर..... मुस्लिमों के एक
बीते हुए त्योहार ""बकरीद"" की बात
करते हैं...!
मुस्लिमों के ही किवदंती के अनुसार ....
उन मुस्लिमों के कोई ""पोपट"" इब्राहिम हुए थे...
जिनसे उनके तथाकथित अल्लाह ने उनसे ..... उनके
सबसे प्रिय चीज
की कुर्बानी मांगी....
और, इब्राहिम .... अपने बेटे की कुर्बानी देने के
लिए ..... अपने बेटे को लिटा कर ....
उसपर जैसे ही तलवार चलाने वाले थे..... उनका ""खून
पसंद अल्लाह"" खुश हो गया ..... और, उन्होंने ""उसके
बेटे की जगह एक बकरा"" रख दिया...!
अब तरीके से होना तो ये चाहिए था कि.....
उस घटना के बाद .....
""बकरा"".... मुस्लिमों के लिए आदरणीय एवं
पूजनीय
हो जाता ...
क्योंकि, उसी बकरे की वजह से ..... उनके
तथाकथित
पिगम्बर.... इब्राहिम के बेटे की जान
बची थी....!
लेकिन, फिर भी ये मुस्लिम ....साले इतने
एहसानफरामोश होते हैं कि.....
ये उस बकरे को आदर और सम्मान देने की जगह .....
उसी को मार कर ... अपना त्योहार मनाते हैं .... !!
उसी तरह....
मुहर्रम के सम्बन्ध में किवदंती ये है कि.....
इनके दूसरे पिगम्बर .....मोहम्मद (जो कि पेशे एक
दुर्दांत लुटेरे और बलात्कारी थे ) के ...............
नाती ( मुहम्मद ने
अपनी सगी बेटी फातिमा का बलात्कार
करने के
बाद उससे
जबरदस्ती शादी की थी ) ...............
हसन को..... 'यजीद-अल माविया ' नाम के
खलीफा ने पकड़ लिया और उसे मार दिया ...!
इस बात का बदला लेने के लिए ..... उसके भाई हुसैन
ने..... ""यजीद-अल-माविया"" से 20 सालों तक
लड़ाई लड़ी..... और, अंत में पकड़ा गया...!
पकड़ने के बाद ..... हुसैन को काफी धोया-
पोछा गया ..... एवं, खाने-पीने से उचित दूरी बनाए
रखी गई...( जैसा कि आम तौर पर युद्ध बंदी के साथ
किया जाता है )
और.... जब इमाम हुसैन ने पानी मांगा .......तो,
याजीद के सैनिको ने उसे..... उसे 72 हूरों के पास
भेज दिया....!
कहने का मतलब कि....
मुसलमानो के अनुसार......जो जुल्म इन पर हुये
उसका वर्णन शब्दो मे
नहीं किया जा सकता है ......और, ये
इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटनाओ में से एक
है
।
इसीलिए , मुसलमान इसके लिए मुहर्रम में खूब मातम
मनाते है... और, इन्हे छातिया पीटते देख कुछ सेक्यूलर
हिन्दू भी इनके सुर में सुर मनाते हैं...!
साथ ही.... मुस्लिम इस दुखद घटना के लिए...........
यजीद को जी भर के कोसते है..... और, कहते
है
कि...... यजीद की वजह से
ही वो हुसैन.... कुत्ते
की मौत मरा !
लेकिन, इस घटना में .... लाख टके का सवाल है
कि...... ""अगर हुसैन के पिछवाड़े में
नहीं तो गूदा...... तो, वो बिनावजह लड़ाई में
क्यों कूदा...????????
खैर........ कूदा तो कूदा ....
लेकिन फिर भी..... यदि निष्पक्षता से
देखा जाये.... तो , इसके लिए पूर्ण रूप से दोषी........
यजीद नहीं बल्कि खुद इनका तथाकथित अल्लाह
ही है ....।
क्योंकि.... "मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन
को ....और, उसके साथियो को आखिर किस पाप
की वजह से इतना जुल्म झेलना पड़ा....????????
अब ये मुसल्ले तो....... पिछले जन्म को मानते
नहीं....... जो ये समझा जाये कि पिछले जन्म मे कुछ
पाप किए होंगे ......
और , वर्तमान जन्म में तो .........मुस्लिमों के
ही अनुसार इमाम हुसैन ने कोई पाप
किया ही नहीं था ...
फिर ...... आखिर इनके मूर्ख अल्लाह ने... उन्हें कौन
से पाप की सजा दी .....?????
जब मुस्लिम.... इस बात का जबाब नहीं दे पाते हैं
तो.....
वे कहना शुरू कर देते हैं कि.....
इस्लाम के सिद्धांतो के अनुसार --- "पाप कोई
नहीं किए इमाम हुसैन ने ..... पर, अल्लाह अपने
बंदो की इस तरह या उस तरह से परीक्षा लेता हैं"
।
तो . उनके इस तर्क पर ...... मेरा ये कहना है कि.....
जब तुम्हारा अल्लाह ही.... बिना बंदे
की किसी गलती के.......इस तरह के
अत्याचारों से
परीक्षा लेता है
तो ..... तुम्हारे तथाकथित इमाम हुसैन......... और,
उनके मासूम बच्चो के साथ हुये इस अत्याचार
का दोषी ......... तो खुद तुम्हारा तथाकथित
अल्लाह ही हुआ न मूर्ख मुल्लो ..????????
फिर..... अपने तथाकथित इमाम हुसैन पर हुए जुल्म के
दोषी के रूप में यजीद
की जगह.......... अपने
तथाकथित अल्लाह को ही कोसा करो ना....
क्योंकि...न्याय तो यही कहता हैं....।
और.... जबतक मुसल्ले ऐसा
नहीं करते हैं.....मुस्लिमों के त्योहार.... सिर्फ और सिर्फ
उनके मूर्खता के
प्रदर्शन मात्र ही रहेंगे...!
खोजने से हो सकता है कि.... सींग
वाला गधा भी मिल जाए... . लेकिन, मुसलमानों में
बुद्धि खोजना .... महज समय
की ही बर्बादी है...!
कभी कभी तो लगता है कि.... भगवान
भी कन्फ़्यूजिया जाते होंगे कि..... अपने आउल
बाबा ज्यादा मूर्ख है या कि.... ये मुस्लिम
प्रजाति...!!
खैर....
अब किसी भी मूर्ख प्रजाति के त्योहार
भी तो..... उसकी मूर्खता को प्रदर्शित करते हुए
एवं
अवैज्ञानिक ही होंगे .... और, इसमें आश्चर्य
की कोई बात नहीं है...!
जैसे कि.... उदाहरण के तौर पर..... मुस्लिमों के एक
बीते हुए त्योहार ""बकरीद"" की बात
करते हैं...!
मुस्लिमों के ही किवदंती के अनुसार ....
उन मुस्लिमों के कोई ""पोपट"" इब्राहिम हुए थे...
जिनसे उनके तथाकथित अल्लाह ने उनसे ..... उनके
सबसे प्रिय चीज
की कुर्बानी मांगी....
और, इब्राहिम .... अपने बेटे की कुर्बानी देने के
लिए ..... अपने बेटे को लिटा कर ....
उसपर जैसे ही तलवार चलाने वाले थे..... उनका ""खून
पसंद अल्लाह"" खुश हो गया ..... और, उन्होंने ""उसके
बेटे की जगह एक बकरा"" रख दिया...!
अब तरीके से होना तो ये चाहिए था कि.....
उस घटना के बाद .....
""बकरा"".... मुस्लिमों के लिए आदरणीय एवं
पूजनीय
हो जाता ...
क्योंकि, उसी बकरे की वजह से ..... उनके
तथाकथित
पिगम्बर.... इब्राहिम के बेटे की जान
बची थी....!
लेकिन, फिर भी ये मुस्लिम ....साले इतने
एहसानफरामोश होते हैं कि.....
ये उस बकरे को आदर और सम्मान देने की जगह .....
उसी को मार कर ... अपना त्योहार मनाते हैं .... !!
उसी तरह....
मुहर्रम के सम्बन्ध में किवदंती ये है कि.....
इनके दूसरे पिगम्बर .....मोहम्मद (जो कि पेशे एक
दुर्दांत लुटेरे और बलात्कारी थे ) के ...............
नाती ( मुहम्मद ने
अपनी सगी बेटी फातिमा का बलात्कार
करने के
बाद उससे
जबरदस्ती शादी की थी ) ...............
हसन को..... 'यजीद-अल माविया ' नाम के
खलीफा ने पकड़ लिया और उसे मार दिया ...!
इस बात का बदला लेने के लिए ..... उसके भाई हुसैन
ने..... ""यजीद-अल-माविया"" से 20 सालों तक
लड़ाई लड़ी..... और, अंत में पकड़ा गया...!
पकड़ने के बाद ..... हुसैन को काफी धोया-
पोछा गया ..... एवं, खाने-पीने से उचित दूरी बनाए
रखी गई...( जैसा कि आम तौर पर युद्ध बंदी के साथ
किया जाता है )
और.... जब इमाम हुसैन ने पानी मांगा .......तो,
याजीद के सैनिको ने उसे..... उसे 72 हूरों के पास
भेज दिया....!
कहने का मतलब कि....
मुसलमानो के अनुसार......जो जुल्म इन पर हुये
उसका वर्णन शब्दो मे
नहीं किया जा सकता है ......और, ये
इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटनाओ में से एक
है
।
इसीलिए , मुसलमान इसके लिए मुहर्रम में खूब मातम
मनाते है... और, इन्हे छातिया पीटते देख कुछ सेक्यूलर
हिन्दू भी इनके सुर में सुर मनाते हैं...!
साथ ही.... मुस्लिम इस दुखद घटना के लिए...........
यजीद को जी भर के कोसते है..... और, कहते
है
कि...... यजीद की वजह से
ही वो हुसैन.... कुत्ते
की मौत मरा !
लेकिन, इस घटना में .... लाख टके का सवाल है
कि...... ""अगर हुसैन के पिछवाड़े में
नहीं तो गूदा...... तो, वो बिनावजह लड़ाई में
क्यों कूदा...????????
खैर........ कूदा तो कूदा ....
लेकिन फिर भी..... यदि निष्पक्षता से
देखा जाये.... तो , इसके लिए पूर्ण रूप से दोषी........
यजीद नहीं बल्कि खुद इनका तथाकथित अल्लाह
ही है ....।
क्योंकि.... "मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन
को ....और, उसके साथियो को आखिर किस पाप
की वजह से इतना जुल्म झेलना पड़ा....????????
अब ये मुसल्ले तो....... पिछले जन्म को मानते
नहीं....... जो ये समझा जाये कि पिछले जन्म मे कुछ
पाप किए होंगे ......
और , वर्तमान जन्म में तो .........मुस्लिमों के
ही अनुसार इमाम हुसैन ने कोई पाप
किया ही नहीं था ...
फिर ...... आखिर इनके मूर्ख अल्लाह ने... उन्हें कौन
से पाप की सजा दी .....?????
जब मुस्लिम.... इस बात का जबाब नहीं दे पाते हैं
तो.....
वे कहना शुरू कर देते हैं कि.....
इस्लाम के सिद्धांतो के अनुसार --- "पाप कोई
नहीं किए इमाम हुसैन ने ..... पर, अल्लाह अपने
बंदो की इस तरह या उस तरह से परीक्षा लेता हैं"
।
तो . उनके इस तर्क पर ...... मेरा ये कहना है कि.....
जब तुम्हारा अल्लाह ही.... बिना बंदे
की किसी गलती के.......इस तरह के
अत्याचारों से
परीक्षा लेता है
तो ..... तुम्हारे तथाकथित इमाम हुसैन......... और,
उनके मासूम बच्चो के साथ हुये इस अत्याचार
का दोषी ......... तो खुद तुम्हारा तथाकथित
अल्लाह ही हुआ न मूर्ख मुल्लो ..????????
फिर..... अपने तथाकथित इमाम हुसैन पर हुए जुल्म के
दोषी के रूप में यजीद
की जगह.......... अपने
तथाकथित अल्लाह को ही कोसा करो ना....
क्योंकि...न्याय तो यही कहता हैं....।
और.... जबतक मुसल्ले ऐसा
नहीं करते हैं.....मुस्लिमों के त्योहार.... सिर्फ और सिर्फ
उनके मूर्खता के
प्रदर्शन मात्र ही रहेंगे...!
Ek dam satik bat kahi kahi hai.
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