अपने आपको सेक्युलर सिद्ध करने की होड़ में इतिहास के साथ छेड़ छाड़ करना
बुद्धिमानों का कार्य नहीं है। टीपू सुल्तान और औरंगजेब को सेक्युलर, धर्म
निरपेक्ष, हिन्दू हितेषी,हिन्दू मंदिरों और मठों को दान देने वाला, न्याय
प्रिय और प्रजा पालक सिद्ध करने के लिए मुस्लिम संप्रदाय लेख पर लेख
प्रकाशित कर रहा है। उनके लेखों में इतिहास की दृष्टी से प्रमाण कम
हैं,शब्द जाल का प्रयोग अधिक किया गया है। परन्तु हज़ार बार चिल्लाने से भी
असत्य सत्य सिद्ध नहीं हो जाता। इस लेख के माध्यम से यह सिद्ध किया गया
हैं की औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान मतान्ध एवं अत्याचारी शासक थे। मुसलमानों
द्वारा हिन्दू युवकों को भ्रमित करने के लिए की जा रही यह कवायद निरर्थक
एवं निष्फल सिद्ध होगी।
भाग 1- टीपू सुल्तान के जीवन की समीक्षा
टीपू सुल्तान को जानने के लिए उसके सम्पूर्ण जीवन में किये गए कार्य कलापों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। अपवाद रूप से एक-दो मंदिर , मठ को सहयोग करने से हजारों मंदिरों को नाश करने का, लाखों हिन्दुओं को इस्लाम में परिवर्तन करने का, हज़ारों की संख्या में हिन्दुओं की हत्या का दोष टीपू के माथे से धुल नहीं सकता हैं। टीपू के अत्याचारों की अनदेखी कर उसे धर्म निरपेक्ष सिद्ध करने के प्रयास को हम बौधिक आतंकवाद की श्रेणी में रखे तो अतिश्योक्ति न होगी। सेक्युलर वादियों का कहना हैं की टीपू सुल्तान ने श्री रंगपटनम के मंदिर में और श्रृंगेरी मठ में दान दिया एवं मठ के शंकराचार्य के साथ टीपू का पत्र व्यवहार भी था। जहाँ तक श्रृंगेरी मठ से सम्बन्ध हैं डॉ ऍम गंगाधरन मातृभूमि साप्ताहिक जनवरी 14-20,1990 में एक लेख में लिखते है की टीपू सुल्तान भूत प्रेत आदि में विश्वास रखता था। उसने श्रृंगेरी मठ के आचार्यों को धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए दान भेजा जिससे उसकी सेना पर भूत- प्रेत आदि का कूप्रभाव न पड़े। पि.सी.न राजा केसरी वार्षिक 1964 में लिखते हैं की श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पुजारियों द्वारा टीपू सुल्तान के लिए एक भविष्यवाणी करी थी जिसके अनुसार अगर टीपू सुल्तान मंदिर में एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान करवाता था जिससे उसे दक्षिण भारत का सुलतान बनने से कोई रोक नहीं सकता। अंग्रेजों से एक बार युद्ध में विजय प्राप्त होने का श्रेय टीपू ने ज्योतिषों की उस सलाह को दिया था जिसके कारण उसे युद्ध में विजय प्राप्त हुई, इसी कारण से टीपू ने उन ज्योतिषियों को और मंदिर को ईनाम रुपी सहयोग देकर सम्मानित किया था। इस प्रसंग को सेकुलर लाबी टीपू को हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में प्रतिपादित करने का प्रयास करते हैं जबकि सत्य कुछ ओर हैं।
टीपू द्वारा हिन्दुओं पर किया गए अत्याचार उसकी निष्पक्ष होने की भली प्रकार से पोल खोलते हैं।
1. डॉ गंगाधरन जी ब्रिटिश कमीशन कि रिपोर्ट के आधार पर लिखते है की ज़मोरियन राजा के परिवार के सदस्यों को और अनेक नायर हिन्दुओं को टीपू द्वारा जबरदस्ती सुन्नत कर मुसलमान बना दिया गया था और गौ मांस खाने के लिए मजबूर भी किया गया था।
2. ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर टीपू सुल्तान के मालाबार हमलों 1783-1791 के समय करीब 30,000 हिन्दू नम्बूदरी मालाबार में अपनी सारी धनदौलत और घर-बार छोड़कर त्रावनकोर राज्य में आकर बस गए थे।
3. इलान्कुलम कुंजन पिल्लई लिखते है की टीपू सुल्तान के मालाबार आक्रमण के समय कोझीकोड में 7000 ब्राह्मणों के घर थे जिसमे से 2000 को टीपू ने नष्ट कर दिया था और टीपू के अत्याचार से लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर जंगलों में भाग गए थे। टीपू ने औरतों और बच्चों तक को नहीं बक्शा था। जबरन धर्म परिवर्तन के कारण मापला मुसलमानों की संख्या में अत्यंत वृद्धि हुई जबकि हिन्दू जनसंख्या न्यून हो गई।
4. विल्ल्यम लोगेन मालाबार मनुएल में टीपू द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों काउल्लेख करते हैं जिनकी संख्या सैकड़ों में है।
5. राजा वर्मा केरल में संस्कृत साहित्य का इतिहास में मंदिरों के टूटने का अत्यंत वीभत्स विवरण करते हुए लिखते हैं की हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर व पशुओं के सर काटकर मंदिरों को अपवित्र किया जाता था।
6. मसूर में भी टीपू के राज में हिन्दुओं की स्थिति कुछ अच्छी न थी। लेवईस रईस के अनुसार श्री रंगपटनम के किले में केवल दो हिन्दू मंदिरों में हिन्दुओं को दैनिक पूजा करने का अधिकार था बाकी सभी मंदिरों की संपत्ति जब्त कर ली गई थी। यहाँ तक की राज्य सञ्चालन में हिन्दू और मुसलमानों में भेदभाव किया जाता था। मुसलमानों को कर में विशेष छुट थी और अगर कोई हिन्दू मुसलमान बन जाता था तो उसे भी छुट दे दी जाती थी। जहाँ तक सरकारी नौकरियों की बात थी हिन्दुओं को न के बराबर सरकारी नौकरी में रखा जाता था कूल मिलाकर राज्य में 65 सरकारी पदों में से एक ही प्रतिष्ठित हिन्दू था तो वो केवल और केवल पूर्णिया पंडित था।
7. इतिहासकार ऍम. ए. गोपालन के अनुसार अनपढ़ और अशिक्षित मुसलमानों को आवश्यक पदों पर केवल मुसलमान होने के कारण नियुक्त किया गया था।
8. बिदुर,उत्तर कर्नाटक का शासक अयाज़ खान था जो पूर्व में कामरान नाम्बियार था, उसे हैदर अली ने इस्लाम में दीक्षित कर मुसलमान बनाया था। टीपू सुल्तान अयाज़ खान को शुरू से पसंद नहीं करता था इसलिए उसने अयाज़ पर हमला करने का मन बना लिया। जब अयाज़ खान को इसका पता चला तो वह बम्बई भाग गया. टीपू बिद्नुर आया और वहाँ की सारी जनता को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर कर दिया था। जो न बदले उन पर भयानक अत्याचार किये गए थे। कुर्ग पर टीपू साक्षात् राक्षस बन कर टूटा था। वह करीब 10,000 हिन्दुओं को इस्लाम में जबरदस्ती परिवर्तित किया गया। कुर्ग के करीब 1000 हिन्दुओं को पकड़ कर श्री रंगपटनम के किले में बंद कर दिया गया जिन पर इस्लाम कबूल करने के लिए अत्याचार किया गया बाद में अंग्रेजों ने जब टीपू को मार डाला तब जाकर वे जेल से छुटे और फिर से हिन्दू बन गए। कुर्ग राज परिवार की एक कन्या को टीपू ने जबरन मुसलमान बना कर निकाह तक कर लिया था। ( सन्दर्भ पि.सी.न राजा केसरी वार्षिक 1964)
9. विलियम किर्कपत्रिक ने 1811 में टीपू सुल्तान के पत्रों को प्रकाशित किया था जो उसने विभिन्न व्यक्तियों को अपने राज्यकाल में लिखे थे। जनवरी 19,1790 में जुमन खान को टीपू पत्र में लिखता हैं की मालाबार में 4 लाख हिन्दुओं को इस्लाम में शामिल किया है। अब मैंने त्रावणकोर के राजा पर हमला कर उसे भी इस्लाम में शामिल करने का निश्चय किया हैं। जनवरी 18,1790 में सैयद अब्दुल दुलाई को टीपू पत्र में लिखता है की अल्लाह की रहमत से कालिक्ट के सभी हिन्दुओं को इस्लाम में शामिल कर लिया गया है, कुछ हिन्दू कोचीन भाग गए हैं उन्हें भी कर लिया जायेगा। इस प्रकार टीपू के पत्र टीपू को एक जिहादी गिद्ध से अधिक कुछ भी सिद्ध नहीं करते।
10. मुस्लिम इतिहासकार पि. स. सैयद मुहम्मद केरला मुस्लिम चरित्रम में लिखते हैं की टीपू का केरल पर आक्रमण हमें भारत पर आक्रमण करने वाले चंगेज़ खान और तिमूर लंग की याद दिलाता हैं।
इस लेख में टीपू के अत्याचारों का अत्यंत संक्षेप में विवरण दिया गया हैं। अगर सत्य इतिहास का विवरण करने लग जाये तो हिंदुयों पर किया गए टीपू के अत्याचारों का बखान करते करते पूरा ग्रन्थ ही बन जायेगा। सबसे बड़ी विडम्बना मुसलमानों के साथ यह है की इन लेखों को पढ़ पढ़ कर दक्षिण भारत के विशेष रूप से केरल और कर्नाटक के मुसलमान वाह वाह कर रहे होंगे जबकि सत्यता यह हैं टीपू सुल्तान ने लगभग 200 वर्ष पहले उनके ही हिन्दू पूर्वजों को जबरन मुसलमान बनाया था। यही स्थिति पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की हैं जो अपने यहाँ बनाई गई परमाणु मिसाइल का नाम गर्व से गज़नी और गौरी रखते हैं जबकि मतान्धता में वे यह तक भूल जाते हैं की उन्ही के हिन्दू पूर्वजों पर विधर्मी आक्रमणकारियों ने किस प्रकार अत्याचार कर उन्हें हिन्दू से मुसलमान बनाया था।
(इस लेख के भाग 2 में औरंगज़ेब की मतान्धता पर प्रकाश डालेंगे)
भाग 1- टीपू सुल्तान के जीवन की समीक्षा
टीपू सुल्तान को जानने के लिए उसके सम्पूर्ण जीवन में किये गए कार्य कलापों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। अपवाद रूप से एक-दो मंदिर , मठ को सहयोग करने से हजारों मंदिरों को नाश करने का, लाखों हिन्दुओं को इस्लाम में परिवर्तन करने का, हज़ारों की संख्या में हिन्दुओं की हत्या का दोष टीपू के माथे से धुल नहीं सकता हैं। टीपू के अत्याचारों की अनदेखी कर उसे धर्म निरपेक्ष सिद्ध करने के प्रयास को हम बौधिक आतंकवाद की श्रेणी में रखे तो अतिश्योक्ति न होगी। सेक्युलर वादियों का कहना हैं की टीपू सुल्तान ने श्री रंगपटनम के मंदिर में और श्रृंगेरी मठ में दान दिया एवं मठ के शंकराचार्य के साथ टीपू का पत्र व्यवहार भी था। जहाँ तक श्रृंगेरी मठ से सम्बन्ध हैं डॉ ऍम गंगाधरन मातृभूमि साप्ताहिक जनवरी 14-20,1990 में एक लेख में लिखते है की टीपू सुल्तान भूत प्रेत आदि में विश्वास रखता था। उसने श्रृंगेरी मठ के आचार्यों को धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए दान भेजा जिससे उसकी सेना पर भूत- प्रेत आदि का कूप्रभाव न पड़े। पि.सी.न राजा केसरी वार्षिक 1964 में लिखते हैं की श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पुजारियों द्वारा टीपू सुल्तान के लिए एक भविष्यवाणी करी थी जिसके अनुसार अगर टीपू सुल्तान मंदिर में एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान करवाता था जिससे उसे दक्षिण भारत का सुलतान बनने से कोई रोक नहीं सकता। अंग्रेजों से एक बार युद्ध में विजय प्राप्त होने का श्रेय टीपू ने ज्योतिषों की उस सलाह को दिया था जिसके कारण उसे युद्ध में विजय प्राप्त हुई, इसी कारण से टीपू ने उन ज्योतिषियों को और मंदिर को ईनाम रुपी सहयोग देकर सम्मानित किया था। इस प्रसंग को सेकुलर लाबी टीपू को हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में प्रतिपादित करने का प्रयास करते हैं जबकि सत्य कुछ ओर हैं।
टीपू द्वारा हिन्दुओं पर किया गए अत्याचार उसकी निष्पक्ष होने की भली प्रकार से पोल खोलते हैं।
1. डॉ गंगाधरन जी ब्रिटिश कमीशन कि रिपोर्ट के आधार पर लिखते है की ज़मोरियन राजा के परिवार के सदस्यों को और अनेक नायर हिन्दुओं को टीपू द्वारा जबरदस्ती सुन्नत कर मुसलमान बना दिया गया था और गौ मांस खाने के लिए मजबूर भी किया गया था।
2. ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर टीपू सुल्तान के मालाबार हमलों 1783-1791 के समय करीब 30,000 हिन्दू नम्बूदरी मालाबार में अपनी सारी धनदौलत और घर-बार छोड़कर त्रावनकोर राज्य में आकर बस गए थे।
3. इलान्कुलम कुंजन पिल्लई लिखते है की टीपू सुल्तान के मालाबार आक्रमण के समय कोझीकोड में 7000 ब्राह्मणों के घर थे जिसमे से 2000 को टीपू ने नष्ट कर दिया था और टीपू के अत्याचार से लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर जंगलों में भाग गए थे। टीपू ने औरतों और बच्चों तक को नहीं बक्शा था। जबरन धर्म परिवर्तन के कारण मापला मुसलमानों की संख्या में अत्यंत वृद्धि हुई जबकि हिन्दू जनसंख्या न्यून हो गई।
4. विल्ल्यम लोगेन मालाबार मनुएल में टीपू द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों काउल्लेख करते हैं जिनकी संख्या सैकड़ों में है।
5. राजा वर्मा केरल में संस्कृत साहित्य का इतिहास में मंदिरों के टूटने का अत्यंत वीभत्स विवरण करते हुए लिखते हैं की हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर व पशुओं के सर काटकर मंदिरों को अपवित्र किया जाता था।
6. मसूर में भी टीपू के राज में हिन्दुओं की स्थिति कुछ अच्छी न थी। लेवईस रईस के अनुसार श्री रंगपटनम के किले में केवल दो हिन्दू मंदिरों में हिन्दुओं को दैनिक पूजा करने का अधिकार था बाकी सभी मंदिरों की संपत्ति जब्त कर ली गई थी। यहाँ तक की राज्य सञ्चालन में हिन्दू और मुसलमानों में भेदभाव किया जाता था। मुसलमानों को कर में विशेष छुट थी और अगर कोई हिन्दू मुसलमान बन जाता था तो उसे भी छुट दे दी जाती थी। जहाँ तक सरकारी नौकरियों की बात थी हिन्दुओं को न के बराबर सरकारी नौकरी में रखा जाता था कूल मिलाकर राज्य में 65 सरकारी पदों में से एक ही प्रतिष्ठित हिन्दू था तो वो केवल और केवल पूर्णिया पंडित था।
7. इतिहासकार ऍम. ए. गोपालन के अनुसार अनपढ़ और अशिक्षित मुसलमानों को आवश्यक पदों पर केवल मुसलमान होने के कारण नियुक्त किया गया था।
8. बिदुर,उत्तर कर्नाटक का शासक अयाज़ खान था जो पूर्व में कामरान नाम्बियार था, उसे हैदर अली ने इस्लाम में दीक्षित कर मुसलमान बनाया था। टीपू सुल्तान अयाज़ खान को शुरू से पसंद नहीं करता था इसलिए उसने अयाज़ पर हमला करने का मन बना लिया। जब अयाज़ खान को इसका पता चला तो वह बम्बई भाग गया. टीपू बिद्नुर आया और वहाँ की सारी जनता को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर कर दिया था। जो न बदले उन पर भयानक अत्याचार किये गए थे। कुर्ग पर टीपू साक्षात् राक्षस बन कर टूटा था। वह करीब 10,000 हिन्दुओं को इस्लाम में जबरदस्ती परिवर्तित किया गया। कुर्ग के करीब 1000 हिन्दुओं को पकड़ कर श्री रंगपटनम के किले में बंद कर दिया गया जिन पर इस्लाम कबूल करने के लिए अत्याचार किया गया बाद में अंग्रेजों ने जब टीपू को मार डाला तब जाकर वे जेल से छुटे और फिर से हिन्दू बन गए। कुर्ग राज परिवार की एक कन्या को टीपू ने जबरन मुसलमान बना कर निकाह तक कर लिया था। ( सन्दर्भ पि.सी.न राजा केसरी वार्षिक 1964)
9. विलियम किर्कपत्रिक ने 1811 में टीपू सुल्तान के पत्रों को प्रकाशित किया था जो उसने विभिन्न व्यक्तियों को अपने राज्यकाल में लिखे थे। जनवरी 19,1790 में जुमन खान को टीपू पत्र में लिखता हैं की मालाबार में 4 लाख हिन्दुओं को इस्लाम में शामिल किया है। अब मैंने त्रावणकोर के राजा पर हमला कर उसे भी इस्लाम में शामिल करने का निश्चय किया हैं। जनवरी 18,1790 में सैयद अब्दुल दुलाई को टीपू पत्र में लिखता है की अल्लाह की रहमत से कालिक्ट के सभी हिन्दुओं को इस्लाम में शामिल कर लिया गया है, कुछ हिन्दू कोचीन भाग गए हैं उन्हें भी कर लिया जायेगा। इस प्रकार टीपू के पत्र टीपू को एक जिहादी गिद्ध से अधिक कुछ भी सिद्ध नहीं करते।
10. मुस्लिम इतिहासकार पि. स. सैयद मुहम्मद केरला मुस्लिम चरित्रम में लिखते हैं की टीपू का केरल पर आक्रमण हमें भारत पर आक्रमण करने वाले चंगेज़ खान और तिमूर लंग की याद दिलाता हैं।
इस लेख में टीपू के अत्याचारों का अत्यंत संक्षेप में विवरण दिया गया हैं। अगर सत्य इतिहास का विवरण करने लग जाये तो हिंदुयों पर किया गए टीपू के अत्याचारों का बखान करते करते पूरा ग्रन्थ ही बन जायेगा। सबसे बड़ी विडम्बना मुसलमानों के साथ यह है की इन लेखों को पढ़ पढ़ कर दक्षिण भारत के विशेष रूप से केरल और कर्नाटक के मुसलमान वाह वाह कर रहे होंगे जबकि सत्यता यह हैं टीपू सुल्तान ने लगभग 200 वर्ष पहले उनके ही हिन्दू पूर्वजों को जबरन मुसलमान बनाया था। यही स्थिति पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की हैं जो अपने यहाँ बनाई गई परमाणु मिसाइल का नाम गर्व से गज़नी और गौरी रखते हैं जबकि मतान्धता में वे यह तक भूल जाते हैं की उन्ही के हिन्दू पूर्वजों पर विधर्मी आक्रमणकारियों ने किस प्रकार अत्याचार कर उन्हें हिन्दू से मुसलमान बनाया था।
(इस लेख के भाग 2 में औरंगज़ेब की मतान्धता पर प्रकाश डालेंगे)
Peace if possible, truth at all costs.