एक महिला डॉक्टर का लेख पढ़ा था उसमे उस महिला डॉक्टर ने कहा की---आज की
महिलाये मानसिक रूप से उतनी सक्षम या मजबूत नहीं होती जितनी पहले की
महिलाये होती थी। आज की लड़कियो में सहन शक्ति की कमी चिड़चिड़ापन और संस्कारो
की भारी कमी है इसी का परिणाम है की आज की औरते बिना ऑपरेशन के संतान को
जन्म दे ही नहीं पाती।। महिला डॉक्टर आगे कहती है की पहले की स्त्रीया मानसिक
रूप से बहुत मजबूत और संस्कार वाली होती थी और खुशमिजाज भी होती थी,मेरे
पास आज रोज बहुत से ऐसे केस आते है जब एक महिला माँ बन चुकी होती है लेकिन
उसके स्तनों में दूध नहीं होता,ये इसलिए होता है क्योंकि आज कल की लडकिया
तुनकमिजाज या चिड़चिड़ी होती है और ये सब कहीं न कहीं उनके संस्कारो का दोष
भी है जो उनको उनकी माँ से मिले है।। आज कल अधिकतर औरते अपने स्तन में दूध
बढ़ाने के लिए मेडिसिन लेती है जो जानलेवा होती है और हद तब हो जाती है जब
इन औरतो को बच्चे से ज्यादा अपने कर्रिएर की चिंता होती है।।
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महिला चिकित्सक ने बताया की --बहुत सी औरते बच्चे के जन्म के बाद उसको नौकरानी के पास छोड़ जाती है और अपने स्तन से ब्रेस्ट पंप द्वारा दूध निकाल कर उसको फ्रीज़ में रख जाती है और नौकरानी वही दूध बच्चे को पिलाती है जबकि सच तो ये है की ऐसा दूध बच्चे के लिए बहुत जानलेवा होता है। माँ का दूध बिना हवा के संपर्क में आये सीधा बच्चे के पेट में जाना चाहिए।। जब कोई महिला अपना दूध निकाल कर कई घंटो फ्रीज़ में रखती है तब उसके दूध में कई खतरनाक जीवाणु जन्म लेते है और उसके बाद उसके दूध को गरम करके बच्चे को पिलाया जाता है जो एक प्रकार का ज़हर होता है।। इस से बेहतर तो ये होगा की औरते बच्चा पैदा ही न करें।
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महिला डॉक्टर कहती है की आज कल की महिलाये अपने हर कर्त्तव्य से भटक रही है लेकिन अपने मातृत्व के कर्तव्य से भी भटकेंगी ये कभी सोचा न था। ये सच में दुःख की बात है।।ये औरते अपने स्वार्थ के लिए अपने नवजात बच्चे की जिंदगी बर्बाद कर रही है। कभी बच्चे 2 से 3 साल तक माँ का दूध पीते थे इसीलिए वो बहुत स्ट्रांग होते थे जबकि आज के बच्चे को 6 महीने भी माँ का दूध नसीब नहीं होता इसीलिए आज के बच्चे बहुत कमज़ोर और रोगी होते है।।
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ऐसी मॉडर्न माँ वास्तव में माँ कहलाने योग्य नहीं है। पुरुषो से होड़ करने के चक्कर में आज की औरत विकृत मानसिकता वाली बनती जा रही है। (आज के दैनिक भास्कर से)
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जिस स्त्री के स्तन में दूध नहीं पाया जाता वो स्त्री वास्तव में डायन स्वरुप होती है - सामुद्रिक शास्त्र।
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महिला चिकित्सक ने बताया की --बहुत सी औरते बच्चे के जन्म के बाद उसको नौकरानी के पास छोड़ जाती है और अपने स्तन से ब्रेस्ट पंप द्वारा दूध निकाल कर उसको फ्रीज़ में रख जाती है और नौकरानी वही दूध बच्चे को पिलाती है जबकि सच तो ये है की ऐसा दूध बच्चे के लिए बहुत जानलेवा होता है। माँ का दूध बिना हवा के संपर्क में आये सीधा बच्चे के पेट में जाना चाहिए।। जब कोई महिला अपना दूध निकाल कर कई घंटो फ्रीज़ में रखती है तब उसके दूध में कई खतरनाक जीवाणु जन्म लेते है और उसके बाद उसके दूध को गरम करके बच्चे को पिलाया जाता है जो एक प्रकार का ज़हर होता है।। इस से बेहतर तो ये होगा की औरते बच्चा पैदा ही न करें।
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महिला डॉक्टर कहती है की आज कल की महिलाये अपने हर कर्त्तव्य से भटक रही है लेकिन अपने मातृत्व के कर्तव्य से भी भटकेंगी ये कभी सोचा न था। ये सच में दुःख की बात है।।ये औरते अपने स्वार्थ के लिए अपने नवजात बच्चे की जिंदगी बर्बाद कर रही है। कभी बच्चे 2 से 3 साल तक माँ का दूध पीते थे इसीलिए वो बहुत स्ट्रांग होते थे जबकि आज के बच्चे को 6 महीने भी माँ का दूध नसीब नहीं होता इसीलिए आज के बच्चे बहुत कमज़ोर और रोगी होते है।।
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ऐसी मॉडर्न माँ वास्तव में माँ कहलाने योग्य नहीं है। पुरुषो से होड़ करने के चक्कर में आज की औरत विकृत मानसिकता वाली बनती जा रही है। (आज के दैनिक भास्कर से)
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जिस स्त्री के स्तन में दूध नहीं पाया जाता वो स्त्री वास्तव में डायन स्वरुप होती है - सामुद्रिक शास्त्र।
Peace if possible, truth at all costs.