संविधान में जब भारत को राष्ट्र ही नहीं बनाया,
तो कांग्रेस ने "राष्ट्रवाद" को जनम ही नहीं लेने दिया ....
संविधान के Preamble को देखें तो उसमे पाएंगे कि:
PREAMBLE TO CONSTITUTION OF INDIA:-
WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a _1[SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC] and to secure to all its citizens:
JUSTICE, social, economic and political;
LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;
EQUALITY of status and of opportunity;
and to promote among them all
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the _2[unity and integrity of the Nation];
IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this twenty-sixth day of November, 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.
Article 1 of Constitution says:
"India, that is Bharat, shall be a Union of States"
Article 2 of Constitution says:
"Parliament may by law admit into the Union, or establish, new States on such terms and conditions, as it thinks fit"
आप देख सकते हैं कि संविधान में भारत को "देश" या "राष्ट्र" कहा ही नहीं
गया, एक जगह "रिपब्लिक" कहा गया और दूसरी जगह "राज्यों की यूनियन"
कहा गया। दुर्भाग्य तो ये है कि "इंडिया" को "भारत" कहा गया नाकि "भारत"
को इंडिया।
और सच्चाई यही है कि जब हम एक राष्ट्र ही नहीं हैं तो राष्ट्रवाद कहा से
पनपता। कांग्रेस ने देश में "राष्ट्रवाद" को पनपने ही नहीं दिया जिसकी
वजह से क्षेत्रवाद हावी हो गया, देश के प्रति समर्पण की कमी आम आदमी
में देखी जा सकती है और राजनितिक दल अपनी अपनी तिजोरियां
भरते रहे।
इस संविधान को बनाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान था और कांग्रेस
ने ही देश पर 55 साल राज किया है। "राष्ट्रवाद" की कमी की वजह से ही
आज कांग्रेस देश हित में आवाज़ उठाने में ना-काबिल है और देश को
दुर्दशा में पहुंचा दिया है, छोटे मोटे देश भी हमें हड़का देते है और हम चुप
रह जाते हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशो और आतंकियों के
खिलाफ अपने मुस्लिम वोट बैंक की वजह से ठोस कारवाई करने में
कांग्रेस समर्थ नहीं है। राष्ट्रवाद को महत्व दिया होता तो आज जम्मू
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी हमसे अलग जैसा ना
होता।
तो कांग्रेस ने "राष्ट्रवाद" को जनम ही नहीं लेने दिया ....
संविधान के Preamble को देखें तो उसमे पाएंगे कि:
PREAMBLE TO CONSTITUTION OF INDIA:-
WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a _1[SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC] and to secure to all its citizens:
JUSTICE, social, economic and political;
LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;
EQUALITY of status and of opportunity;
and to promote among them all
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the _2[unity and integrity of the Nation];
IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this twenty-sixth day of November, 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.
Article 1 of Constitution says:
"India, that is Bharat, shall be a Union of States"
Article 2 of Constitution says:
"Parliament may by law admit into the Union, or establish, new States on such terms and conditions, as it thinks fit"
आप देख सकते हैं कि संविधान में भारत को "देश" या "राष्ट्र" कहा ही नहीं
गया, एक जगह "रिपब्लिक" कहा गया और दूसरी जगह "राज्यों की यूनियन"
कहा गया। दुर्भाग्य तो ये है कि "इंडिया" को "भारत" कहा गया नाकि "भारत"
को इंडिया।
और सच्चाई यही है कि जब हम एक राष्ट्र ही नहीं हैं तो राष्ट्रवाद कहा से
पनपता। कांग्रेस ने देश में "राष्ट्रवाद" को पनपने ही नहीं दिया जिसकी
वजह से क्षेत्रवाद हावी हो गया, देश के प्रति समर्पण की कमी आम आदमी
में देखी जा सकती है और राजनितिक दल अपनी अपनी तिजोरियां
भरते रहे।
इस संविधान को बनाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान था और कांग्रेस
ने ही देश पर 55 साल राज किया है। "राष्ट्रवाद" की कमी की वजह से ही
आज कांग्रेस देश हित में आवाज़ उठाने में ना-काबिल है और देश को
दुर्दशा में पहुंचा दिया है, छोटे मोटे देश भी हमें हड़का देते है और हम चुप
रह जाते हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशो और आतंकियों के
खिलाफ अपने मुस्लिम वोट बैंक की वजह से ठोस कारवाई करने में
कांग्रेस समर्थ नहीं है। राष्ट्रवाद को महत्व दिया होता तो आज जम्मू
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी हमसे अलग जैसा ना
होता।
Peace if possible, truth at all costs.