फिल्म पीके की विकासशीलता !! कृपया पूरा। ……लेख पढ़ें।

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फिल्म का पहला दृश्य जिसमे एक हिन्दू लड़की अपने नाम का मज़ाक उड़ाती हैं। एक मुस्लिम युवक के सामने जो पाकिस्तानी हैं लड़के का नाम हैं

सरफ़राज़ उसे अपने नाम में कुछ गलत नहीं लगा लगा तो बस उस हिंदू सेकुलर लड़की को अपने नाम में जिसका नाम हैं जगतजननी माँ दुर्गा के

नाम पर हैं क्या आपको इस नाम में कुछ गलत नज़र आता हैं। नहीं न पर डाइरेक्टर को नज़र आया। ( लव जिहाद को बढ़ावा देना )





----- अगले सीन में अपने पिता का भगवान के प्रति समर्पण को मज़ाक बना के दिखाया गया।

सभी देवी देवताओं को पूजने के तरीके को मज़ाक बनाया गया..... हिन्दू लड़की द्वारा उस मुस्लिम युवक सामने

( लव जिहाद को बढ़ावा देना )





---- दूसरे ही सीन में हिन्दू लड़की मुस्लिम लड़के के प्यार में पड़ जाती हैं और अपना तन मन उसे समर्पित कर देती हैं। ( लव जिहाद को बढ़ावा देना )





---- फिर एक सीन में एक एलियन (आमिर खान जो एलियन बना है )दिखाया हैं जो भगवान को ढूंढता हैं भगवान को ढूंढने में कोई बुराई नहीं ,बुराई इस

बात में हैं की सिर्फ एक ही धर्म पर फोकस क्यों हैं फिल्म का नायक (आमिर खान जो एलियन बना है )को हर धर्म स्थल जाते हुए दिखाया गया ,लेकिन

मंदिर के पुजारी से ही बहस करते हुए दिखाया गया अरे ,चर्च के पादरी के साथ भी बहस करते हुए दिखाते किसी मज़ार के मोलवी से बहस करते हुए दिखाते

पर नहीं दिखाया। ''दिखाया तो बस हिन्दू देवी देवताओ को।





-------फिर एक सीन में आमिर खान एक संत के सामने हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई ,जैन को लाकर खड़ा कर देता हैं और क्या बे सर पैर की बकवास

जाएंगे की सिख़ भी हिन्दू है और जैन भी उन्हें अलग धर्मो दिखाने ज़रूरत नहीं हैं यह सर हिन्दुओं को आपस बाँटने का काम हैं क्या सिख भोलेनाथ की

पूजा नहीं करते ,वैष्णोदेवी माता मंदिर नहीं जाते ,क्या जैन माता की पूजा नहीं करते मंदिर नहीं जातेतो क्यों धर्म दिखाया गया जवाब डायरेक्टर साहब।





------फिल्म के नायक आमिर खान को शिवलिंग दूध चढ़ाते हुए दिखाया गया हैं और साथ मुहर्रम का मातम मनाते हुए भी लेकिन सारे विचार सारा

सेकुलरिज़म सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही क्यों आमिर खान यह कहते हैं मूर्ति पर दूध चढाने की जगह किसी भूखे दे दो। अच्छी बात हैं देना चाहिए

लेकिन जो दूध मूर्ति पर चढ़ाया जा रहा है क्या वो किसी भूखे इंसान से छीन के लिया गया है नहीं न , ''दूध चढाने में तुम्हे तकलीफ है लेकिन दूध देने वाली

''गाय ''काट कर खा लेने में कोई बुराई की बात नहीं हैं।----- हैं न कमाल। मुहर्रम में छाती काटने में कोई बुराई नहीं दिखी उस पर बोलते किसी सीन

में कीयह सब बकवास हैं अपना और बच्चों खून बहाने से कौन सा खुदा खुश हो जायेगा मुहर्रम में पर नहीं दिखाया।







-------- शिव जी का मज़ाक उड़ाते हुए दिखाया गया। थोड़ा बहुत मज़ाक जीजस का भी उड़ा लेते पर नहीं ,थोड़ा बहुत मज़ाक मोहम्मद पैगम्बर

का उड़ा लेतेपर नहीं भाई सेकुलरिज़म घुट्टी सिर्फ हिन्दुओं को ही तो पिलानी हैं।



-------फिल्म में आमिर खान लोगो से पूछते हुए नज़र आते हैं "अरे हैं कोनो ठप्पा हैं जो ऊपर वाला लगा के भेजा हैं तुमका की तुम जोन धर्म के हो जोन

के नाही। ठप्पा तो मुस्लिम लगाते हैं जिसे खतना कहते हैं पर एक बार भी आमिर खान ने मुस्लिमो के खतना करने पर सवाल नहीं उठाया की जोन तुम्हारा

खुदा हैं वो काहे नहीं ऊपर से ही खतना कर के भेज देता काहे बच्चों पर इतना ज़ुल्म करते हो भाई। या कहे खतना करते हो बिना खतना तो मुस्लिम बन

के रह सकते हो





------और इस तरहा और भी कई सारी सेकुलरिज़म की घुट्टी घोल घोल के पिलाई हैं और अंत में पाकिस्तानी मुस्लिम युवा से शादी कर लेती हैं एक हिन्दू लड़की

और बाप के माथे से तिलक और गले से रुद्राक्ष की माला गायब हो जाती है रह जाता हैं तो पास में बैठा मुस्लिम दामाद। जय हो आमिर और राजकुमार हिरानी

के सेकुलरिज़म पर

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सभी हिन्दू भाई बहन अपने बच्चों को देवी देवताओं की पूजा करना सिखाये ना की उनका मज़ाक बनाना वर्ना। कल आपके बच्चे इन्ही जिहादियों द्वारा मारे जा रहे होंगे और आप कुछ नहीं कर पाएंगे। !!

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Peace if possible, truth at all costs.

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