हिन्दू बहुसंख्यक होकर भी अल्पसंख्यको मात क्यों खाते हे ?

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बहुत वर्षो से में समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि हिंदुस्तान में हम हिन्दू बहुसंख्यक होकर भी हर बार हम इन मुस्लिम और इसाई अल्पसंख्यको  से हर बार मात क्यों खाते हे।
हमारे पास हिंदुत्व का विशाल संघटन आरएसएस हे इसके अलावा विहिप बजरंगदल , रास्ट्रीय हिन्दू एकता मंच , हिन्दू जन जागृति समिति और इन जेसे हजारो लाखो हिन्दू सन्घठन हे।
फिर भी
1-लव जिहाद मुस्लिम आराम से कर रहे हे ।
2- गरीब ,पिछड़े और आदिवासियों का धर्मांतरण नही रुक रहा।
3-गऊ हत्या पर प्रतिबन्ध नही लग रहा।
4-मदरसों पर 26जनवरी और 15-अगस्त पर तिरंगा नही लगता।
5-वन्दे मातरम् का गान मुस्लिम को पसंद नही।
6-कॉमन सिविल कोड लागू नही हो सका।
7-कश्मीर में 370 नही हटा सके।
8-भारतीय देवी देवताओं का निरंतर अपमान होता रहा पर हम कुछ नही कर सके।
9-मुगलों ने हमारे लाखो मन्दिर तोड़ दिए थे हम आज तक उन मन्दिरों पर बनी मस्जिद नही हटा सके।
10- भारतीय परम्परा ,संस्कार, तीज त्यौहार को नष्ट करने के प्रयासों को नही रोक सके।
11-नशा मुक्त समाज हमारे लिए स्वपन ही बन गया
12- आधुनिकता के नाम पर हम नंगे हो गये और बाजार वाद ने हमे लुट लिया फिर भी हम कुछ नही कर सके।
13-हिन्दू नेता ,साधू संत, साध्वी प्रज्ञा तक जेल भेज दिए गये पर हम मूक बने रहे।
14- राम लला 1992 से आज तक तम्बू में हे हम जय श्री राम के नारे के अलावा कुछ नही कर सके।
15- काशी विश्व नाथ और भोजशाला में भी मुस्लिम अड़ंगे हम से दूर नही हो सके।
16-हमारे गोरवशाली इतिहास का खिलवाड़ हो गया और हम मोन रहे।
17-और सबसे बड़ी बात हमने इन सब से कुछ नही सिखा और आज तक हम लड़ रहे हे आपस में , कही गऊ रक्षा के लिए आपस में एक दुसरे को निचा दिखा रहे ।
कही गद्दी के लिए धर्म की पराजय हो रही।
हम लोगो का स्वार्थ हमे हमेशा हराता रहा पर हम आज तक समझ नही सके।
अब जागो हिन्द के वीरो और एक हो कर कार्य करो धर्म का और माँ भारती का (दादा)
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Peace if possible, truth at all costs.

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