दरवाजे पर मुस्लिम दोस्त..

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दरवाजे पर घंटी बजी.. मैं गया
... तो सामने अब्दुल खड़ा था ...
उसने कहा
"भाई मैं तुम्हे मारने आया हूँ "

मैंने कहा "क्यूँ" ?

क्यूँ क्या ? हमारे कुरआन में लिखा है कि तुम गैर धर्म वाले को मार दिया जाए ..

अबे पर मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ?

कुछ नहीं .. लेकिन कुरान कहता है कि तुम दुश्मन हो ..

लेकिन मेरे भाई दुश्मनी कब हुयी .. मैंने क्या बिगाड़ा ?

बिगाड़ा कुछ नहीं बस कुरआन कहता है कि जो मुस्लिम नहीं उसको मार डालो...

पर मैंने तो उल्टा तुम्हारी कितनी बार मदद की है .. अच्छा किया है ..

तो क्या हुआ पहले मैं कुरआन का कहा हुआ मानूंगा .. कुरआन कहता है..

साले कुरआन कुरआन की नौटंकी बंद कर .. जब पूरी दुनिया के लोग अपने अपने धर्म के साथ आराम से रह सकते हैं तो तुमलोगों को ही क्या खुजली चलने लगती है ?

तुमको मार के ही मिलेगी 72 सेक्सी हूर...कुरआन कहता है ..

अच्छा तो ये है कुरआन .. हत्या करने का इनाम लड़की..? देखो ये सब सच नहीं है ..

सब सच है कुरआन पर सवाल मत उठाओ .. कुरआन ने कह दिया 72 हूर मिलेगी तो मतलब मिलेगी ..

....... इसी के साथ अब्दुल ने पिस्तौल निकाली मेरे ऊपर ताना... गोली चलने की आवाज हुयी और अब्दुल मर गया..

(क्यूँकी उसके गोली चलाने से पहले मैंने गोली चला दी थी .. मैं जानता था कि ये किसी का नहीं हो सकता.. जैसे ही सुना कि दरवाजे पर मुस्लिम दोस्त आया है तो पिस्तौल साथ लेकर आया था).

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Peace if possible, truth at all costs.

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