सन् 1934 में जब सुभाष ऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने हेतु ठहरे हुए थे
उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की
आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र ने एमिली शेंकल (Emilie Schenkl) नाम की एक
ऑस्ट्रियन महिला से उनकी मुलाकात करा दी। एमिली के पिता एक प्रसिद्ध पशु
चिकित्सक थे। सुभाष एमिली की ओर आकर्षित हुए और उन दोनों में स्वाभाविक
प्रेम हो गया। नाजी जर्मनी के सख्त कानूनों को देखते हुए उन दोनों ने सन्
1942 में बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिन्दू पद्धति सेविवाह रचा लिया।
वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष ने उसे पहली बार तब
देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा
था। अगस्त 1945 में ताइवान में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की
मौत हुई, अनिता पौने तीन साल की थी।अनिता अभी जीवित है। उसका नाम अनिता
बोस फाफ ( Anita Bose Pfaff) है। अपने पिता के परिवार जनों से मिलने अनिता
फाफ कभी-कभी भारत भी आती है।अनिता ने ऑग्सबर्ग यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र
की प्रवक्ता के रूप में शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया और प्रोफेसर के पद से
रिटायर हुई। उन्होंने अपने पिता की जीवनी पर आधारित एक पुस्तक नेताजी
सुभाषचन्द्र बोस एण्ड जर्मनी अंग्रेजी में लिखी है। यह पुस्तक नेताजी के
अन्य जीवनी लेखकों से काफी विचार विनिमय के पश्चात् लिखी गयी है। इस पुस्तक
में सुभाषचन्द्र बोस और स्वतन्त्रता संग्राम से सम्बन्धित कुछ तथ्य बहुत
ही रोचक हैं। इस पुस्तक की पहली प्रति उन्होंने भारत आकर यहाँ के
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों में 6 फ़रवरी 2013 को नई दिल्ली स्थित
राष्ट्रपति भवन में स्वयं भेंट की थी।
(पुस्तक का प्रकाशन इण्डो जर्मन सोसायटी ऑफ इण्डिया के सौजन्य से हुआ है|)
18 अगस्त, 1945 को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी?यह तथ्य तो कुछ और ही बयान करते हैं-
1- ब्रिटिश पार्ल्यामेंट में मि. एटिली (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने 18 अगस्त, 1945 में कहा था कि उनका भारतीय नेताओं से समझौता हो चुका है कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पकड़े जाने पर उन्हें ब्रिटिश सरकार के हवाले कर दिया जायेगा!
2- 1948 में मास्को में दार्शनिक सम्मेलन में भाग लेने गये (पूर्व राष्ट्रपति) भारत के प्रख्यात दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मुलाकात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से हुई थी!
3- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस तिब्बत में एकनाथलाता के रूप में 1960 में रहे!
4- श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित की मुलाकात 1948 में रूस में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से हुई थी! उस समय वे भारत की विदेश मंत्री थी! शांताक्रूज हवाई अड्डे पर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह भारतवासियों के लिए एक अच्छी खबर लाई हैं परन्तु नेहरू जी के दबाव में आकर उन्होंने जीवनभर अपनी जबान नहीं खोली!
5- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1960 से 1970 तक शारदानन्द के रूप में प.बंगाल में शौलमारी आश्रम में रहे!
6- नेता जी 1964 में नेहरू जी की मत्यु के बाद उनके शव के साथ देखे गये थे!
7- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1971 में काँग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन्दिरा जी के साथ देखे गये!
8- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस गुमनामी बाबा के रूप में फैजाबाद में 1985 तक रहे!
9- तेरह मई,1962 को नेहरू जी ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बड़े बाई श्री सुरेशचन्द्र बोस को पत्र क्रमांक-704, पी.एम. / 62 में लिखा था कि हमारे पास नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु का कोई प्रमाण नही है!
10 -2005 में ताइवान सरकार ने मुखर्जी आयोग को बता दिया कि 1945 में ताइवान की भूमि पर कोई हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुआ ही नहीं था।
11 - 2005 में मुखर्जी आयोग ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने कहा कि
(i ) नेताजी की मृत्यु हो चुकी है पर नेताजी की मृत्यु उस विमान दुर्घटना में नहीं हुई ।
(ii ) जापानी मंदिर में रखे अवशेष नेता जी के नहीं है। लेकिन भारत सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
(पुस्तक का प्रकाशन इण्डो जर्मन सोसायटी ऑफ इण्डिया के सौजन्य से हुआ है|)
18 अगस्त, 1945 को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी?यह तथ्य तो कुछ और ही बयान करते हैं-
1- ब्रिटिश पार्ल्यामेंट में मि. एटिली (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने 18 अगस्त, 1945 में कहा था कि उनका भारतीय नेताओं से समझौता हो चुका है कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पकड़े जाने पर उन्हें ब्रिटिश सरकार के हवाले कर दिया जायेगा!
2- 1948 में मास्को में दार्शनिक सम्मेलन में भाग लेने गये (पूर्व राष्ट्रपति) भारत के प्रख्यात दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मुलाकात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से हुई थी!
3- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस तिब्बत में एकनाथलाता के रूप में 1960 में रहे!
4- श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित की मुलाकात 1948 में रूस में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से हुई थी! उस समय वे भारत की विदेश मंत्री थी! शांताक्रूज हवाई अड्डे पर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह भारतवासियों के लिए एक अच्छी खबर लाई हैं परन्तु नेहरू जी के दबाव में आकर उन्होंने जीवनभर अपनी जबान नहीं खोली!
5- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1960 से 1970 तक शारदानन्द के रूप में प.बंगाल में शौलमारी आश्रम में रहे!
6- नेता जी 1964 में नेहरू जी की मत्यु के बाद उनके शव के साथ देखे गये थे!
7- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1971 में काँग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन्दिरा जी के साथ देखे गये!
8- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस गुमनामी बाबा के रूप में फैजाबाद में 1985 तक रहे!
9- तेरह मई,1962 को नेहरू जी ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बड़े बाई श्री सुरेशचन्द्र बोस को पत्र क्रमांक-704, पी.एम. / 62 में लिखा था कि हमारे पास नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु का कोई प्रमाण नही है!
10 -2005 में ताइवान सरकार ने मुखर्जी आयोग को बता दिया कि 1945 में ताइवान की भूमि पर कोई हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुआ ही नहीं था।
11 - 2005 में मुखर्जी आयोग ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने कहा कि
(i ) नेताजी की मृत्यु हो चुकी है पर नेताजी की मृत्यु उस विमान दुर्घटना में नहीं हुई ।
(ii ) जापानी मंदिर में रखे अवशेष नेता जी के नहीं है। लेकिन भारत सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
Peace if possible, truth at all costs.