भारत का विभाजन हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के सिद्धांत एक दूसरे के विपरीत होने के कारण सिर्फ धार्मिक आधार पर ही हुआ था।
मुस्लिम आजादी के बाद हिंदुओं के साथ रहने के लिए कतई तैयार नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी आबादी के हिसाब से देश को दो हिस्सों में बंटवा लिया और अपना पाकिस्तान देश अलग बना लिया,, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि जिन अधिकांश मुस्लिमों ने देश के बंटवारे के लिए हिंदुओं से खूनी होली खेली, बंटवारे के बाद उनमें से ही अधिकांश पाकिस्तान गए ही नहीं और भारत में ही रह गए।इसके पीछे गांधी और नेहरू समेत काँग्रेस और वामपंथियों की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति भी जिम्मेदार मानी जाती है।
आजादी के तुरंत बाद दिल्ली के करोल बाग और तत्कालीन पंजाब के पानीपत (अब हरियाणा का शहर) से पाकिस्तान जाते हुए लाखों की मुस्लिम आबादी को महात्मा गांधी ने रोक लिया था और उन्हें भारत में पूरी सुरक्षा एवं सम्मान का वादा किया था,, लेकिन उन लोगों ने तब यह भी नारा लगाया था कि लड़कर लिया पाकिस्तान और हंसकर लेंगे हिंदुस्तान।
परंतु उनकी हर खूनी गलती को कांग्रेसी नेताओं ने माफ कर दिया और वोट बैंक के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति आज तक जारी है,, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए संविधान तक से खिलवाड़ करने का षडयंत्र ही रचे गये हैं तथा रचे ही जा रहे हैं और समाजवादी पार्टी तो मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत कर रही है, कोई इनसे पूछे कि क्या हिंदुओं के देश में मुसलामानों को धार्मिक आधार पर या हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था के ही आधार पर ‘पिछडी जातियों’ में आरक्षण क्यों,,,क्या ये लोग केवल मुस्लिम वोटों के कारण ही जीतते हैं..?इन्हें हिंदुओं के वोट नहीं चाहिए,,??यदि चाहिए तो फिर हिंदुओं की अनदेखी क्यों और हिंदुओं के बच्चों का निवाला इन असहिष्णु, कट्टर सांप्रदायिकता के ही पर्याय इस्लामिक अलगाववादी गद्दारों को क्यों..??
माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद देश के सार्वजनिक धन पर बडे भारी बोझ तथा सार्वजनिक क्षेत्र की विमान कंपनी एयर इंडिया के दीवालियेपन के सबसे बडे जिम्मेदार कारण “हज” को सरकारी सब्सिडी क्यों नहीं कम की जा रही उलटे हर राज्य का हज कोटा बढा कर हज हाऊस हर जगह क्यों स्थापित किये जा रहे हैं …?
मित्रों,,जब भी सेक्यूलरिज्म के बुरके में सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण का ही गंदा सांप्रदायिक खेल खेला गया है तब हमेशा देश में कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जहरीले नाग की तरह फन फैलाकर हमें ही डंसा है और राष्ट्रीयता समेत नागरिकता तक में जहर घोला गया है..!!
आज जिन राज्यों में मुसलमानों ने राजनैतिक सत्ता में अपनी पकड बना ली है वहाँ पडोसी देशों से इस्लामी आबादी की घुसपैठ हो रही है, आतंकवादियों को पनाह मिल रही है, अलगाव-वाद को भड़काया जा रहा है और हिन्दूओं का अपने ही देश में शरणार्थियों की हैसियत में पलायन हो रहा है,,,कश्मीर, असम, केरल, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल आदि इस का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
यासिन मलिक, बुखारी, आजम खां, सलमान खुर्शीद, औवेसी, और अन्सारी जैसे लोग खुले आम धार्मिक उन्माद भडकाते हैं मगर कांग्रेसी और सेक्यूलर सरकारें चुप्पी साधे रहती है,,अगर कोई हिन्दू प्रतिक्रिया में सच भी बोलता है तो मीडिया, अल्पसंख्यक आयोग और सरकारी तंत्र समेत सारे सेक्यूलर बुद्धिजीवी तक सभी एक से इस्लामी सुर में हिन्दू को साम्प्रदायिकता का प्रमाणपत्र थमा देते हैं,,,बीजेपी के कायर और स्वार्थी नेता अपने आप को अपराधी मान कर अपनी धर्म निरपेक्षता की सफाई देने लग जाते हैं।यह एक अकाट्य ऐतिहासिक सच्चाई है कि इस्लाम का जन्म भारत की धरती पर नहीं हुआ था,,इस्लाम दोस्ती और प्रेम भावना से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म की सभी पहचाने मिटाने के लिये एक धार्मिक आक्रान्ता और लुटेरे ,हत्यारे हमलावर की तरह ही भारत में आया था,,,, भारत में जो भी मुसलमान हैं उन्ही हत्यारों, लुटेरे हमलावरों,आक्रान्ताओं के वंशज हैं या फिर अधिकांश उन हिन्दूओं के वंशज हैं जो मृत्यु, भय, और अत्याचार से बचने के लिये या किसी लालच से इस्लाम में परिवर्तित किये गये थे।पाकिस्तान बनने के बाद अगर मुसलमानों ने भारत में रहना स्वीकारा था तो वह उन का हिन्दूओं पर कोई अहसान नहीं था,, उन्होंने अपना घर बार त्यागने के बजाये भारत में हिन्दूओं के साथ रहना स्वीकार किया था लेकिन आज भी मुसलमानों की आस्थायें और प्रेरणा स्रोत भारत से बाहर पाकिस्तान,अरब देशों में है।क्या आज तक किसी धर्मनिरपेक्ष या मानव अधिकार एक्टिविस्टों ने मुस्लिम समाज को उनकी कट्टर सांप्रदायिकता के पैरोकारों को फटकारा है..?क्या किसी ने कश्मीर असम, और दिल्ली सरकार को हिन्दू-सिख कत्लेआम और पलायन पर फटकारा है?
अत्याचार करना पाप है तो अत्याचार को सहना महापाप है,, सदियों से भारत में हिन्दू मुसलमानों के संदर्भ में यही महापाप ही करते आ रहे थे,,पर क्या आज तक किसी मानव अधिकार प्रवक्ता, प्रजातंत्री, और धर्म की निरपेक्षता का राग आलापने वालों ने मुसलमानों की ‘जिहादी मुहिम’ को नकारा है..?भारत में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले बेशर्म मीडिया या किसी मुस्लिम बुद्धिजीवी ने इस्लामी अत्याचारों के ऐतिहासिक तथ्यों की निंदा की है..?मूर्ख हिन्दू जिस डाली पर बैठते हैं उसी को काटना शुरु कर देते हैं,, खतरों को देख कर कबूतर की तरह आँखें बन्द कर लेते हैं और कायरता, आदर्शवाद और धर्मनिरपेक्षता की दलदल में शुर्तुमुर्ग की तरह अपना मुंह छिपाये रहते हैं,,, आज देश आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण, बेरोजगारी और महंगाई से पूरा देश त्रस्त है।हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की अनदेखी हो रही है लेकिन हिन्दू तो भारत पाकिस्तान क्रिकेट देखने में व्यस्त रहते हैं या पाकिस्तानी ग़ज़लें सुनने में मस्त रहते हैं अगर निष्पक्ष हो कर विचार करें तो भारत की दुर्दशा के केवल दो ही कारण है ,पहला-अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और दूसरा- नेताओं का स्वार्थ जिस में सब कुछ समा रहा है।
भारत का नागरिक होने के बावजूद वह वन्दे मातरम् , समान नागरिक संहिता, योगिक व्यायाम ,, पूजा – मंदिरों तथा स्थानीय हिन्दू पूजा पद्धति समेत धार्मिक परम्पराओं से नफरत करते हैं और खुल कर सार्वजनिक विरोध करते हैं.. उन का कट्टर सांप्रदायिक पागलपन और जेहादी उन्माद इस हद तक है कि संवैधानिक पदों पर रहते हुये भी उन की सोच में कोई बदलाव नहीं और क्या प्रमाण चाहिये…?
अगर जिस किसी राष्ट्रभक्त राजनैतिक पार्टी को भारत माता या नागरिकों से कोई लगाव है तो बेखटक यह घोषणा करनी चाहिये कि दो तिहाई मतों से सत्ता में आने पर हमारी पार्टी निम्नलिखित काम करेगी ही :
1.) धर्म के नाम पर मिलने वाली सभी तरह की सबसिडियों को बन्द किया जायेगा।
2.) परिवारों या नेताओं के नाम पर चलने वाली सरकारी योजनाओं का राष्ट्रीय नामंकरण दोबारा किया जायेगा।
3.) भ्रष्ट लोगों के खिलाफ समय सीमा के अन्तर्गत फास्ट ट्रैक कोर्टो में मुकदमें चलाये जायेंगे और मुकदमें का फैसला आने तक उन की सम्पत्ति जब्त ही रहेगी।
4.) पूरे देश में शिक्षा का माध्यम राष्ट्रभाषा या राज्य भाषा में होगा और ईसाई माध्यम के कान्वेंटों अथवा इस्लामी शिक्षा के ही मदरसा माध्यम को कोई मान्यता नहीं होगी।
5.) जिन चापलूस सरकारी कर्मचारियों ने कानून के विरुद्ध कोई काम किया है तो उन के खिलाफ भी प्रशासनिक कारवाई की जायेगी।
6.) धारा 370 को संविधान से खारिज किया जायेगा।
7.) पूरे देश में सरकारी काम हिन्दी और राज्य भाषा में होगा।
8.) समान नागरिक संहिता लागू कर दी जायेगी।
9.) भारत में नागरिकता प्राप्ति हेतु और कठिन व गहन नियमों की संरचना तथा आवेदक की भारत में उपयोगिता पर ही विचार करके भारतीय नागरिकता का पात्र माना जाये।
10) पाकिस्तानी और बंगलादेशी मुसलमानों को किसी भी तरह से नागरिकता देने से आगामी 10 वर्षों का प्रतिबंध लगाया जाये।
यदि यही दस सूत्र संपूर्ण इच्छाशक्ति और कठोरता से लागू कर दिये जायें तो भ्रष्टाचार, आतंकवाद समेत सांप्रदायिक दंगों की और कई अन्य समस्याऐं पहले एक साल में ही 80% तक जड़ से खत्म हो जायेंगी।
मित्रों, वास्तविकता में आज भारत में कट्टर सांप्रदायिक मुसलमानों और अलगाववादी जेहादी आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक दानव बन चुका है मुस्लिम वोटबैंक और उसके आसुरी पोषक..!!
मुस्लिम आजादी के बाद हिंदुओं के साथ रहने के लिए कतई तैयार नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी आबादी के हिसाब से देश को दो हिस्सों में बंटवा लिया और अपना पाकिस्तान देश अलग बना लिया,, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि जिन अधिकांश मुस्लिमों ने देश के बंटवारे के लिए हिंदुओं से खूनी होली खेली, बंटवारे के बाद उनमें से ही अधिकांश पाकिस्तान गए ही नहीं और भारत में ही रह गए।इसके पीछे गांधी और नेहरू समेत काँग्रेस और वामपंथियों की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति भी जिम्मेदार मानी जाती है।
आजादी के तुरंत बाद दिल्ली के करोल बाग और तत्कालीन पंजाब के पानीपत (अब हरियाणा का शहर) से पाकिस्तान जाते हुए लाखों की मुस्लिम आबादी को महात्मा गांधी ने रोक लिया था और उन्हें भारत में पूरी सुरक्षा एवं सम्मान का वादा किया था,, लेकिन उन लोगों ने तब यह भी नारा लगाया था कि लड़कर लिया पाकिस्तान और हंसकर लेंगे हिंदुस्तान।
परंतु उनकी हर खूनी गलती को कांग्रेसी नेताओं ने माफ कर दिया और वोट बैंक के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति आज तक जारी है,, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए संविधान तक से खिलवाड़ करने का षडयंत्र ही रचे गये हैं तथा रचे ही जा रहे हैं और समाजवादी पार्टी तो मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत कर रही है, कोई इनसे पूछे कि क्या हिंदुओं के देश में मुसलामानों को धार्मिक आधार पर या हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था के ही आधार पर ‘पिछडी जातियों’ में आरक्षण क्यों,,,क्या ये लोग केवल मुस्लिम वोटों के कारण ही जीतते हैं..?इन्हें हिंदुओं के वोट नहीं चाहिए,,??यदि चाहिए तो फिर हिंदुओं की अनदेखी क्यों और हिंदुओं के बच्चों का निवाला इन असहिष्णु, कट्टर सांप्रदायिकता के ही पर्याय इस्लामिक अलगाववादी गद्दारों को क्यों..??
माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद देश के सार्वजनिक धन पर बडे भारी बोझ तथा सार्वजनिक क्षेत्र की विमान कंपनी एयर इंडिया के दीवालियेपन के सबसे बडे जिम्मेदार कारण “हज” को सरकारी सब्सिडी क्यों नहीं कम की जा रही उलटे हर राज्य का हज कोटा बढा कर हज हाऊस हर जगह क्यों स्थापित किये जा रहे हैं …?
मित्रों,,जब भी सेक्यूलरिज्म के बुरके में सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण का ही गंदा सांप्रदायिक खेल खेला गया है तब हमेशा देश में कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जहरीले नाग की तरह फन फैलाकर हमें ही डंसा है और राष्ट्रीयता समेत नागरिकता तक में जहर घोला गया है..!!
आज जिन राज्यों में मुसलमानों ने राजनैतिक सत्ता में अपनी पकड बना ली है वहाँ पडोसी देशों से इस्लामी आबादी की घुसपैठ हो रही है, आतंकवादियों को पनाह मिल रही है, अलगाव-वाद को भड़काया जा रहा है और हिन्दूओं का अपने ही देश में शरणार्थियों की हैसियत में पलायन हो रहा है,,,कश्मीर, असम, केरल, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल आदि इस का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
यासिन मलिक, बुखारी, आजम खां, सलमान खुर्शीद, औवेसी, और अन्सारी जैसे लोग खुले आम धार्मिक उन्माद भडकाते हैं मगर कांग्रेसी और सेक्यूलर सरकारें चुप्पी साधे रहती है,,अगर कोई हिन्दू प्रतिक्रिया में सच भी बोलता है तो मीडिया, अल्पसंख्यक आयोग और सरकारी तंत्र समेत सारे सेक्यूलर बुद्धिजीवी तक सभी एक से इस्लामी सुर में हिन्दू को साम्प्रदायिकता का प्रमाणपत्र थमा देते हैं,,,बीजेपी के कायर और स्वार्थी नेता अपने आप को अपराधी मान कर अपनी धर्म निरपेक्षता की सफाई देने लग जाते हैं।यह एक अकाट्य ऐतिहासिक सच्चाई है कि इस्लाम का जन्म भारत की धरती पर नहीं हुआ था,,इस्लाम दोस्ती और प्रेम भावना से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म की सभी पहचाने मिटाने के लिये एक धार्मिक आक्रान्ता और लुटेरे ,हत्यारे हमलावर की तरह ही भारत में आया था,,,, भारत में जो भी मुसलमान हैं उन्ही हत्यारों, लुटेरे हमलावरों,आक्रान्ताओं के वंशज हैं या फिर अधिकांश उन हिन्दूओं के वंशज हैं जो मृत्यु, भय, और अत्याचार से बचने के लिये या किसी लालच से इस्लाम में परिवर्तित किये गये थे।पाकिस्तान बनने के बाद अगर मुसलमानों ने भारत में रहना स्वीकारा था तो वह उन का हिन्दूओं पर कोई अहसान नहीं था,, उन्होंने अपना घर बार त्यागने के बजाये भारत में हिन्दूओं के साथ रहना स्वीकार किया था लेकिन आज भी मुसलमानों की आस्थायें और प्रेरणा स्रोत भारत से बाहर पाकिस्तान,अरब देशों में है।क्या आज तक किसी धर्मनिरपेक्ष या मानव अधिकार एक्टिविस्टों ने मुस्लिम समाज को उनकी कट्टर सांप्रदायिकता के पैरोकारों को फटकारा है..?क्या किसी ने कश्मीर असम, और दिल्ली सरकार को हिन्दू-सिख कत्लेआम और पलायन पर फटकारा है?
अत्याचार करना पाप है तो अत्याचार को सहना महापाप है,, सदियों से भारत में हिन्दू मुसलमानों के संदर्भ में यही महापाप ही करते आ रहे थे,,पर क्या आज तक किसी मानव अधिकार प्रवक्ता, प्रजातंत्री, और धर्म की निरपेक्षता का राग आलापने वालों ने मुसलमानों की ‘जिहादी मुहिम’ को नकारा है..?भारत में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले बेशर्म मीडिया या किसी मुस्लिम बुद्धिजीवी ने इस्लामी अत्याचारों के ऐतिहासिक तथ्यों की निंदा की है..?मूर्ख हिन्दू जिस डाली पर बैठते हैं उसी को काटना शुरु कर देते हैं,, खतरों को देख कर कबूतर की तरह आँखें बन्द कर लेते हैं और कायरता, आदर्शवाद और धर्मनिरपेक्षता की दलदल में शुर्तुमुर्ग की तरह अपना मुंह छिपाये रहते हैं,,, आज देश आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण, बेरोजगारी और महंगाई से पूरा देश त्रस्त है।हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की अनदेखी हो रही है लेकिन हिन्दू तो भारत पाकिस्तान क्रिकेट देखने में व्यस्त रहते हैं या पाकिस्तानी ग़ज़लें सुनने में मस्त रहते हैं अगर निष्पक्ष हो कर विचार करें तो भारत की दुर्दशा के केवल दो ही कारण है ,पहला-अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और दूसरा- नेताओं का स्वार्थ जिस में सब कुछ समा रहा है।
भारत का नागरिक होने के बावजूद वह वन्दे मातरम् , समान नागरिक संहिता, योगिक व्यायाम ,, पूजा – मंदिरों तथा स्थानीय हिन्दू पूजा पद्धति समेत धार्मिक परम्पराओं से नफरत करते हैं और खुल कर सार्वजनिक विरोध करते हैं.. उन का कट्टर सांप्रदायिक पागलपन और जेहादी उन्माद इस हद तक है कि संवैधानिक पदों पर रहते हुये भी उन की सोच में कोई बदलाव नहीं और क्या प्रमाण चाहिये…?
अगर जिस किसी राष्ट्रभक्त राजनैतिक पार्टी को भारत माता या नागरिकों से कोई लगाव है तो बेखटक यह घोषणा करनी चाहिये कि दो तिहाई मतों से सत्ता में आने पर हमारी पार्टी निम्नलिखित काम करेगी ही :
1.) धर्म के नाम पर मिलने वाली सभी तरह की सबसिडियों को बन्द किया जायेगा।
2.) परिवारों या नेताओं के नाम पर चलने वाली सरकारी योजनाओं का राष्ट्रीय नामंकरण दोबारा किया जायेगा।
3.) भ्रष्ट लोगों के खिलाफ समय सीमा के अन्तर्गत फास्ट ट्रैक कोर्टो में मुकदमें चलाये जायेंगे और मुकदमें का फैसला आने तक उन की सम्पत्ति जब्त ही रहेगी।
4.) पूरे देश में शिक्षा का माध्यम राष्ट्रभाषा या राज्य भाषा में होगा और ईसाई माध्यम के कान्वेंटों अथवा इस्लामी शिक्षा के ही मदरसा माध्यम को कोई मान्यता नहीं होगी।
5.) जिन चापलूस सरकारी कर्मचारियों ने कानून के विरुद्ध कोई काम किया है तो उन के खिलाफ भी प्रशासनिक कारवाई की जायेगी।
6.) धारा 370 को संविधान से खारिज किया जायेगा।
7.) पूरे देश में सरकारी काम हिन्दी और राज्य भाषा में होगा।
8.) समान नागरिक संहिता लागू कर दी जायेगी।
9.) भारत में नागरिकता प्राप्ति हेतु और कठिन व गहन नियमों की संरचना तथा आवेदक की भारत में उपयोगिता पर ही विचार करके भारतीय नागरिकता का पात्र माना जाये।
10) पाकिस्तानी और बंगलादेशी मुसलमानों को किसी भी तरह से नागरिकता देने से आगामी 10 वर्षों का प्रतिबंध लगाया जाये।
यदि यही दस सूत्र संपूर्ण इच्छाशक्ति और कठोरता से लागू कर दिये जायें तो भ्रष्टाचार, आतंकवाद समेत सांप्रदायिक दंगों की और कई अन्य समस्याऐं पहले एक साल में ही 80% तक जड़ से खत्म हो जायेंगी।
मित्रों, वास्तविकता में आज भारत में कट्टर सांप्रदायिक मुसलमानों और अलगाववादी जेहादी आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक दानव बन चुका है मुस्लिम वोटबैंक और उसके आसुरी पोषक..!!
Peace if possible, truth at all costs.