क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि उस युवक के मन पर क्या बीती होगी, जो वायुसेना में विमान चालक बनने की न जाने कितनी सुखद आशाएँ लेकर देहरादून गया था; पर परिणामों की सूची में उसका नाम नवें क्रमाँक पर था, जबकि चयन केवल आठ का ही होना था। कल्पना करने से पूर्व हिसाब किताब में यह भी जोड़ लें कि मछुआरे परिवार के उस युवक ने नौका चलाकर और समाचारपत्र बाँटकर जैसे-तैसे अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
देहरादून आते समय वह केवल अपनी ही नहीं, तो अपने माता-पिता और बड़े भाई की आकांक्षाओं का मानसिक बोझ भी अपनी पीठ पर लेकर आया था, जिन्होंने अपनी न जाने कौन-कौन सी आवश्यकताओं को ताक पर रखकर उसे यह सोचकर पढ़ाया था कि वह पढ़-लिखकर कोई अच्छी नौकरी पायेगा और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक होगा।
परन्तु पायलट परीक्षा के परिणामों ने सब सपनों को क्षणमात्र में धूलधूसरित कर दिया। निराशा के इन क्षणों में वह जा पहुँचा ऋषिकेश, जहाँ जगतकल्याणी माँ गंगा की पवित्रता, पूज्य स्वामी शिवानन्द के सान्निध्य और श्रीमद् भगवद्गीता के सन्देश ने उसेे नये सिरे से कर्मपथ पर अग्रसर किया।
गंगा के तट पर रहते हुए उन्होंने संतों साधुओं से सरस्वती की आराधना, वीणा वादन तथा ध्यान साधना सीखा.. ...जिसका वे जीवन पर्यंन्त अभ्यास करते रहे
सरस्वती की साधना ने उन्हें संगीत शास्त्र और आधुनिक शस्त्र (मिसाइल) का निपुण बना दिया ।
15 अक्तूबर, 1931 को धनुष्कोटि (रामेश्वरम्, तमिलनाडु) में जन्मा अबुल पाकिर जैनुल आबदीन अब्दुल कलाम नामक वह युवक भविष्य में ‘मिसाइलमैन’ के नाम से प्रख्यात हुआ। उनकी उपलब्धियों को देखकर अनेक विकसित और सम्पन्न देशों ने उन्हें मनचाहे वेतन पर अपने यहाँ बुलाना चाहा; पर उन्होंने देश में रहकर ही काम करने का व्रत लिया था। यही डा. कलाम आगे चलकर भारत के 12वें राष्ट्रपति बने।
डा. कलाम की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे राष्ट्रपति बनने के बाद भी आडम्बरों से दूर रहे। वे जहाँ भी जाते हैं, वहाँ छात्रों से अवश्य मिलते हैं। वे उन्हें कुछ निरक्षरों को पढ़ाने तथा देशभक्त नागरिक बनने की शपथ दिलाते हैं। उनकी आँखों में अपने घर, परिवार, जाति या प्रान्त की नहीं, अपितु सम्पूर्ण देश की उन्नति का सपना पलता है। वे 2020 तक भारत को दुनिया के अग्रणी देशों की सूची में स्थान दिलाना चाहते हैं।
मुसलमान होते हुए भी उनके मन में सब धर्मों के प्रति आदर का भाव है। वे अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर गये, तो श्रवण बेलगोला में भगवान बाहुबलि के महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम में भी शामिल हुए। उनकी आस्था कुरान के साथ गीता पर भी है तथा वे प्रतिदिन उसका पाठ करते हैं। वर्तमान भ्रष्ट वातावरण में डा. कलाम का आचरण अनुकरणीय है। उनके राष्ट्रपति काल में जब-जब उनके परिवारजन दिल्ली आये, तब उनके भोजन, आवास, भ्रमण आदि का व्यय डा. कलाम ने अपनी जेब से किया।
उनके नेतृत्व में भारत ने पृथ्वी, अग्नि, आकाश जैसे प्रक्षेपास्त्रों का सफल परीक्षण किया। इससे भारतीय सेना की मारक क्षमता में वृद्धि हुई। भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाने का श्रेय भी डा0 कलाम को ही है।
भगवान् से प्रार्थना है कि उन्नत भारत के स्वप्नद्रष्टा, ऋषि वैज्ञानिक डा. कलाम इसी प्रकार भारत की युवा पीढ़ी में देशभक्ति जाग्रत करते रहें।
Peace if possible, truth at all costs.