पिण्डारी डाकू साईं की असली कहानी और उसके द्वारा हिन्दुओ के खिलाफ जिहाद
फैलाने के षड्यंत्र का भांडाफोड़
पिछले दिनों मेरे एक मित्र ने शिर्डी साईं के बारे में बहुत सी जानकारी इकठ्ठा की और मुझे बताया की साईं असल में क्या है कहा से आया, जन्म मरण और फिर
इतना लम्बे समय बाद उसका अचानक भगवान बन कर निकलना,
ये सब कोई संयोग नहीं सोचा समझा षड्यंत्र है, ब्रिटेन की ख़ुफ़िया एजेंसी MI5
जी हाँ मित्रो, एक ब्रिटिश एजंसी ने श्री राम मंदिर आन्दोलन के बाद अचानक साईं की भक्ति में तेजी देखि,
वैसे ब्रिटेन और शिर्डी के साईं का रिश्ता बहुत ही गहरा है क्युकी ये साईं वही है जो 1857 की क्रांति में कुछ लूटेरो के साथ पकड़ा गया था.
MI5 ब्रिटेन की ख़ुफ़िया एजेंसी है ,
साईं का पूरा इतिहास खोज निकलने में इस एजंसी का महत्वपूर्ण योगदान है, साईं का जन्म 1838में हुआ था,
पर कैसे हुआ और उसके बाद की पूरी कथा बहुत ही रोचक है, साईं के पिता का असली नाम था बहरुद्दीन,
जो की अफगानिस्तान का एक पिंडारी था, वैसे इस पर एक फिल्म भी आई थी जिसमे पिंडारियो को देशभक्त बताया गया है, ठीक वैसे ही जैसे गाँधी ने मोपला और नोआखली में हिन्दुओ के हत्यारों को स्वतंत्रसेनानी कहा था
,
औरंगजेब की मौत के बाद मुग़ल साम्राज्य ख़तम सा हो गया था केवल दिल्ली उनके आधीन थी,
मराठा के वीर सपूतो ने एक तरह से हिन्दू साम्राज्य की नीव रख ही दी थी, ऐसे समय में मराठाओ को बदनाम करके उनके इलाको में लूटपाट करने का काम ये
पिंडारी करते थे, इनका एक ही काम था लूत्पार करके जो औरत मिलती उसका बलात्कार करना,
आज एक का बलात्कार कल दूसरी का, इस तरह से ये मराठाओ को तंग किया करते थे, पर समय के साथ साथ देश में अंग्रेज आये और उन्होंने इन पिंडारियो को मार मार कर ख़तम करना शुरू किया,
साईं का बाप जो एक पिंडारी ही था, उसका मुख्य काम था अफगानिस्तान से भारत के राज्यों में लूटपाट करना,
एक बार लूटपाट करते करते वह महाराष्ट्र के अहमदनगर पहुचा जहा वह एक वेश्या के घर रुक गया, उम्र भी जवाब दे रही थी, सो वो उसी के पास रहने
लग गया, कुछ समय बाद उस वेश्या से उसे एक लड़का और एक लड़की पैदा हुआ, लड़के का नाम उसने चाँद मियां रखा और उसे लेकर लूट पात करना सिखाने के लिए उसे अफगानिस्तान ले गया,
उस समय अंग्रेज पिंडारियो की ज़बरदस्त धर पकड़ कर रहे थे इसलिए बहरुद्दीन भेस बदल कर लूटपाट करता था उसने अपने सन्देश वाहक के लिए चाँद मिया को रख लिया,
चाँद मिया आज कल के उन मुसलमान भिखारियों की तरह था जो चादर
फैला कर भीख मांगते थे, जिन्हें अँगरेज़ blanket bagger कहते थे,
चाँद मिया का काम था लूट के लिए सही वक़्त देखना और सन्देश अपने बाप
को देना,
वह उस सन्देश को लिख कर उसे चादर के निचे सिल कर हैदराबाद से अफगानिस्तान तक ले जाता था, पर एक दिन ये चाँद मियां अग्रेजो के
हत्थे लग गया और उसे पकडवाने में झाँसी के लोगो ने अंग्रेजो की मदद
की जो अपने इलाके में हो रही लूटपाट से तंग थे उसी समय देश में
पहली आजादी की क्रांति हुई और पूरा देश क्रांति से गूंज उठा,
अंग्रेजो के लिए विकत समय था और इसके लिए उन्हें खूंखार लोगो की जरुरत थी,
बहर्दुद्दीन तो था ही धारण का लालची, सो उसने अंग्रेजो से हाथ मिला लिया और झाँसी चला गया,
वह उसने लोगो से घुलमिल कर झाँसी के किले में प्रवेश किया और समय आने पर पीछे से दरवाजा खोल कर रानी लक्ष्मी बाई को हारने में अहम्भूमिका अदा की,
यही चाँद मिया आठ साल बाल जेल से छुटकर कुछ दिन बाद शिर्डी पंहुचा और वह के सुलेमानी लोगो से मिला जिनका असली काम था गैर मुसलमानों के बिच रह कर चुपचाप इस्लाम को बढ़ाना|
चाँद मियां ने वही से अल तकिया का ज्ञान लिया और हिन्दुओ को फ़साने के
लिए साईं नाम रख कर शिर्डी में आसन जमा कर बैठ गया, मस्जिद को जानबूझ कर एक हिन्दू नाम दिया और उसके वहा ठहराने का पूरा प्रबंध
सुलेमानी मुसलमानों ने किया, एक षड्यंत्र के तहत साईं को भगवान का रूप
दिखाया गया और पीछे से ही हिन्दू मुस्लिम एकता की बाते करके
स्वाभिमानी मराठाओ को मुर्दा बनाने के लिए उन्हें उनके ही असली दुश्मनों से एकता निभाने का पाठ पढाया गया
पर पीछे ही पीछे साईं का असली मकसद था लोगो में इस्लाम को बढ़ाना,
इसका एक उदाहरण साईं सत्चरित्र में है की साईं के पास एक पोलिस वाला आता है
जिसे साईं मार मार भगाने की बात कहता है,
अब असल में हुआ ये की एक पंडित जी ने अपने पुत्र को शिक्षा दिलवाने के
लिए साईं को सोंप दिया पर साईं ने उसका खतना कर दिया जब पंडित
जी को पता चला तो उन्होंने कोतवाली में रिपोर्ट कर दी, साईं
को पकड़ने के लिए एक पुलिस वाला भी आया जिसे साईं ने मार कर भगाने की बात कही थी,
शेयर करे और इस जिहादी साईं की असली सच्चाई सभी को बताये l
मेरा साई बाबा से कोई निजी दुश्मनी नही है ।
परतुं हिन्दू धर्म को नाश हो रहा है,
इसलिए मै कुछ सवाल करना चाहता हू,
हिन्दू धर्म एक सनातन धर्म है, लेकिन लोग आज कल लोग इस बात से परिचित
नही है क्या
जब भारत मे अंग्रेजी सरकार अत्याचार , और और सबको मौत के घाट उतार रहे थे
तब साई बाबा ने कौन से ब्रिटिश अंग्रेजो के साथ आंदोलन किया ?
जिदंगी भिख मांगने मे कट गई?
मस्जिद मे रह कर कुरान पढना जरूरी था.
बकरे हलाल करना क्या जरूरी था ?
सब पाखंड है, पैसा कमाने का जरिया है।
ऐसा कौन सा दुख है कि उसे भगवान दूर नही कर सकते है,
श्रीमतभगवत गीता मे लिखा है कि श्मशान और समाधि की पुजा करने
वाले मनुष्य राक्षस योनी को प्राप्त होते है
साई जैसे पाखंडी की आज इतनी ज्यादा मार्केटिंग हो गयी है कि हमारे हिन्दू भाई बहिन आज अपने मूल धर्म से अलग होकर साई मुल्ले कि पूजा करने लगे है।
आज लगभग हर मंदिर में इस जिहादी ने कब्जा कर लिया है।
हनुमान जी ने हमेशा सीता राम कहा और आज के मूर्ख हिन्दू हुनमान जी का अपमान करते हुए सीता राम कि जगह साई राम कहने लगगए ।
बड़ी शर्म कि बात है।
आज जिसकी मार्केटिंग ज्यादा उसी कि पूजा हो रही है। इसी लिए कृष्ण भगवान ने
कहा था कि कलयुग में इंसान पथ और धर्म दोनों से भ्रष्ट हो जाएगा।
100 मे से 99 को नहीं पता साई कौन था इसने कौन सी किताब लिखी क्या उपदेश दिये पर फिर भी भगवान बनाकर बैठे है।
साई के माँ बाप का सही सही पता नहीं पर मूर्खो को ये पता है कि ये किस किस
के अवतार है।
अंग्रेज़ो के जमाने मे मूर्खो के साई भगवान पैदा होकर मर गए पर किसी भी एक
महामारी भुखमरी मे मदद नहीं की।
इनके रहते भारत गुलाम बना रहा पर इन महाशय को कोई खबर नहीं रही।
शिर्डी से कभी बाहर नहीं निकले पर पूरे देश मे अचानक इनकी मौत के 90-100
साल बाद इनके मंदिर कुकरमूतते की तरह बनने लगे। चालीसा हनुमान
जी की हुआ करती थी आज साई की हो गयी।
राम सीता के हुआ करते थे। आज साई ही राम हो गए। श्याम राधा के थे आज वो भी साई बना दिये गए। ब्रहस्पति दिन विष्णु भगवान का होता था आज साई
का मनाया जाने लगा।
भगवान की मूर्ति मंदिरो में छोटी हो गयी और साई विशाल मूर्ति मे हो गए।
प्राचीन हनुमान मंदिर दान को तरस गए और साई मंदिरो के तहखाने तक भर
गए।
मूर्ख हिन्दुओ अगर दुनिया मे सच मे कलयुग के बाद भगवान ने इंसाफ किया तो याद रखना मुह छुपाने के लिए और अपनी मूर्ख बुद्धि पर तरस खाने के लिए कही शरण भी न मिलेगी।
इसलिए भागवानो की तुलना मुल्ले साई से करके पाप मत करो। और इस लेख
को पढ़ने के बाद भी न समझ मे आए तो अपना खतना करवाके मुसलमान बन जाओ।
Peace if possible, truth at all costs.