नेहरुद्दीन का एक और भांडा फूटा

0
देशद्रोही ग़द्दार हरामी नेहरुद्दीन की एक और हरामीपंती का भांडा फूटा,,, रचा था एक और शठयंत्र!!
'प्रसाद को राष्ट्रपति बनने से रोकने को नेहरू ने बोला था झूठ'
एक नई किताब में दावा किया गया है कि भारत केपहले पीएम जवाहरलाल नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए झूठ बोला था।'नेहरूः अ ट्रबल्ड लीगेसी' नामक यह किताब पूर्व खुफिया अधिकारीआरएनपी सिंह ने लिखी है। इसमें उन्होंने लिखा है, 'नेहरू ने प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए तमाम जतन किए थे। उन्होंने इसके लिए झूठ भी बोला था।'यह किताब विजडम ट्री से प्रकाशित हुई है और इसमें महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल और तत्कालीन अन्य नेताओंके पत्रों को भी शामिल किया गया है।सिंह ने सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए लिखा है कि नेहरू ने 10 सितंबर 1949 को राजेंद्र प्रसाद को एक खत में लिखा था कि उन्होंने और पटेल ने फैसला किया है कि सी राजगोपालाचारी को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाना सबसे सुरक्षित और श्रेष्ठ रहेगा।हालांकि, नेहरू तत्कालीन परिस्थितियों और इस मामले पर पटेल और संविधान सभा के ज्यादातर सदस्यों की मंशा नहीं भांप सके थे और उनका यह दांव उल्टा पड़ गया था। अगले दिन राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू के इस खत पर गहरीनिराशा जताई थी।राजेंद्र प्रसाद ने इसके जवाब में लिखा खत नेहरू के साथ ही पटेल को भी भेजा था। तब पटेलबॉम्बे (अब मुंबई) में थे।पटेल भी अपने बारे में किए गए नेहरू के इस दावे से चौंक गए थे, क्योंकि उनके और नेहरू के बीच कभी भी राष्ट्रपति को लेकर प्रसाद या राजाजी को लेकर चर्चा नहीं हुई थी। न ही उन दोनों ने कभी यह फैसला किया था कि राजाजी को राष्ट्रपति बनना चाहिए।किताब में लिखा है कि 11 सितंबर को प्रसाद ने साफ शब्दों में नेहरू को लिखा कि वह हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहे हैं और उनसे बेहतर व्यवहार किया जाना चाहिए। यह लेटर मिलते ही नेहरू समझ गए कि उन्होंने बेईमानी की और वह पकड़े भी गए हैं। उन्होंने इस मामले में अपनी गलती मान लेना ही ठीक समझा।नेहरू स्थिति को काबू से बाहर भी नहीं जाने देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आधी रात में ही पटेल को खत लिखा। उन्होंने कहा था कि वह राजेंद्र प्रसाद का खत पढ़कर परेशान हो गए थे। लगता है कि उन्होंने (प्रसाद ने) मुझे और पटेल को भी गलतसमझ लिया था। इसके बाद उन्होंने स्वीकार किया, 'जो मैंने लिखा, उसका वल्लभभाई (पटेल) से कोई नाता नहीं है। मैंने केवल अपनी बात की थी, जिसमें न तो उनसे सलाह की थी और न ही उनकी कोई कही गई कोईबात थी। मैंने अपने लेटर में जो भी लिखा उसका वल्लभभाई से कुछ लेना नहीं है...'किताब में लिखा है कि नेहरू को पता चल गया थाकि इस मामले से उनका भेद पटेल और प्रसाद के सामने खुल गया है। हालांकि, उन्होंने खुद को इस मामले से बचाने के लिए पटेल को भी खत लिखा और उनसे प्रसाद के खत की भाषा और विषयवस्तु पर आश्चर्य जताया। इसके साथ ही उन्होंने चालाकी दिखाते हुए पटेल से कहा कि अब मामले को संभालना आप ही के हाथ में है।
home

Post a Comment

0Comments

Peace if possible, truth at all costs.

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !