मुसलमान बनने की हसरत

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एक मूर्ख सेकुलर हिंदू ....... इस्लाम
की किसी शिक्षा से बहुत प्रभावित
हो गया और.... वो दिल में मुसलमान बनने
की हसरत लिए ..... एक मौलवी के पास पहुँच
गया...!
उसे देख कर मौलवी बहुत खुश हुआ .... और,
मौलवी ने उसे कलमा वगैरह पढ़ाने के
बाद ....उसको खतना कराने का आदेश दिया |
नया मुसलमान भी पूरे जोश में था, अतः उसने
तुरंत आदेश का पालन किया और पहले ही दिन
खतना करा लिया |
लेकिन.... करीब दो साल के बाद जब इस्लाम
की सच्चाईयाँ उसके सामने प्रकट हुई..... तो, वह
निराश होकर फिर उसी मौलवी के पास
पहुँचा और अपने असंतोष को व्यक्त करते हुए उसने
इस्लाम छोड़कर ......पुनः हिन्दू धर्म में लौटने
का रास्ता मौलवी से पूछा |
उसके इस प्रश्न पर मौलवी साहब बोले कि-
ऐसा सोचने का मतलब..... गले पर चाकू
फिरवाना अर्थात मुरतीद की सजा ...अर्थात
सिर को शरीर से जुदा करवाना |
मौलवी के इस उत्तर से..... उस नए मुसलमान
की आँखों से आँसू बह निकले.... और, फफककर रोते
हुए उसने इन शब्दों में फरियाद की, कि - यह
इस्लाम कैसा मज़हब
है? ....आपका मौलवी साहब ........कि - इसमें आओ,
तो नीचे से काटते हो और जाओ तो ऊपर काटते
हो ........?????
लेकिन सबसे दुखद है कि.......आज जितने हिन्दू,
हिंदुत्व के प्रति वफादार हैं....... उससे
कहीं ज्यादा हिन्दू.... हिंदुत्व के प्रति गद्दार
भी हैं, जो हिदुत्व को नुकसान पहुँचाने
वाला मुख्य कारण है |
ये गद्दार हिन्दू जो खुद को सुधारवादी और
सेक्युलर कहते हैं..... इस्लाम की कुछ तारीफ़ करने
की कोशिश करते हुए कहते हैं कि - इस्लाम ने
हिन्दुस्तान को बहुत कुछ दिया भी है ..!
लेकिन... उन मूर्खों के उत्तर में..... मैं
तो यही कहूंगा कि- इस्लाम के पास
कभी किसी को देने के लिए कुछ
ऐसा था ही नहीं जिसे लेकर कोई समाज
कभी गर्व करता |
अगर इस्लाम के इतिहास को हिन्दुस्तान याद
करे तो उसे सिर्फ और सिर्फ - इस्लाम के
अत्याचार, क्रूरता, बर्बरता और लूटपाट के
अलावा .....कुछ भी ऐसा नहीं दिखता जिस पर
इतिहास गर्व करे |
इस्लाम ने जितने जुल्म हिन्दू धर्म और
संस्कृति पर किये हैं....उसे ईमानदारी से पढ़कर
और फिर सोचकर कोई मुझे ये बताये कि -
वो सारी घटनाएं पशुओं से भी निम्न
थी या नहीं ......????
आज .....कोई मुसलमान भले ही उस
पशुता की वकालत करे क्योंकि..वही आज
उसकी पहचान है .... किन्तु - वास्तव में
यदि वो भी अपने इतिहास को देख पाए ... तो ,
शायद उसे कहीं यही दिखाई दे कि - उसके
पूर्वजो को सज़ा के तौर पर इस्लाम स्वीकार
कराया गया या उसकी पूर्वजा माँ को बलात्कारियों का शिकार
बनकर इस्लाम स्वीकार करना पडा |
क्योंकि.....धूर ्तता, और गद्दारी को इस्लाम में
सैद्धांतिक मान्यता है ....और, आहत की चीख -
पुकार में इस्लाम सुकून का अनुभव करता है .......!
क्रूरता और बर्बरता को..... इस्लाम
वीरता कहता है .....
फिर भी..... आज के ज़माने में.......इस्ला म के
प्रति मुस्लिमों की कट्टरता साम्प्रदायिकता नहीं है ......
परन्तु..... यदि हिन्दू , इस्लामिक कट्टरता के
विरुद्ध हिंदुत्व की रक्षा की बात करे तो यह
साम्प्रदायिकता अपराध है ....
जबकि यह सब जानते हैं कि......इस्लाम केवल एक
जिद है ....... और , यह धर्म कदापि नहीं है ......
क्योंकि - धर्म, मनुष्य को मानव से महामानव
और महामानव से परमात्मा बनाता है .......
जिससे इस्लाम कोसों दूर है |

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Peace if possible, truth at all costs.

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