१- बालू माफिया के खिलाफ मोर्चा खोलने और टैक्स फ्रॉड का खुलासा
करने वाले 2009 बैच के आईएएस अधिकारी डीके रविकुमार की लाश सोमवार को
संदिग्ध हालात में उनके बेडरूम के पंखे से टंगी पाई गई। पुलिस ने पहली नजर
में इसे खुदकुशी का मामला बताया है, लेकिन रवि के दोस्तों का दावा है कि उन
पर कई तरह से दबाव बनाए जा रहे थे और उन्हें धमकियां मिल रही थीं। सूत्रों
के मुताबिक वह एक बड़े स्कैम का खुलासा
करने वाले थे। 36 साल के रविकुमार कर्नाटक में राज्य आयकर विभाग में जॉइंट
कमिश्नर के पद पर तैनात थे ।...
२- मध्य प्रदेश के खनन माफिया से लोहा लेने वाले आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की 8 मार्च 2012 को ट्रैक्टर-ट्रॉलीसे कुचलकर हत्या कर दी गई थी। उस समय वह ड्यूटी पर थे कि तभी अवैध खनन के पत्थरों से भरी एक ट्रॉली उनके सामने आ गई, जिसे उन्होंने रोकने की कोशिश की, लेकिन वह उनको कुचलती हुई निकल गई।
३- आईएफएस अधिकारी पंडिलापल्ली श्रीनिवास बहुत बहादुरी से हाथीदांत और चंदन की लकड़ी की तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। इस दौरान उन्होंने चंदन तस्कर वीरप्पन की नाक में भी दम कर दिया था। वीरप्पन ने उनको फंसाने के लिए एक जाल बिछाया और उनके सामने सरेंडर की पेशकश की। जब श्रीनिवास 10 नवंबर 1991 को वीरप्पन से मिलने पहुंचे तो वीरप्पन ने गला काटकर उनकी हत्या कर दी।
४-सत्येंद्र दुबे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत थे। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले दुबे को 12 साल पहले 27 नवंबर 2003 को बिहार के गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। उस समय वह बनारस से एक विवाह समारोह में शामिल होकर घर लौट रहे थे। उन्होंने एनएचएआई में फैले हुए भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपायी को सीधे पत्र लिखा था। भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए सत्येन्द्र ने उस पत्र में अपना नाम गोपनीय रखने का अनुरोध किया था, लेकिन सत्येन्द्र के अनुरोध के बाद भी कार्यालय अधिकारियों ने उस पत्र को सत्येन्द्र के नाम के साथ अलग-अलग विभागों को भेज दिया।
५-आईआईएम, लखनऊ से पढ़ाई करने वाले शणमुघम मंजुनाथ इंडियन ऑयल कारपोरेशन में बतौर सेल्स मैनेजर कार्यरत थे। मिलावट के चलते यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के एक पेट्रोल पंप को महीनों तक सील रखने के कारण साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई थी। पंप दुबारा खुलने के एक महीने बाद मंजुनाथ वहां सरप्राइज रेड के लिए पहुंच गए। उसी रात नमूना लेने के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
२- मध्य प्रदेश के खनन माफिया से लोहा लेने वाले आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की 8 मार्च 2012 को ट्रैक्टर-ट्रॉलीसे कुचलकर हत्या कर दी गई थी। उस समय वह ड्यूटी पर थे कि तभी अवैध खनन के पत्थरों से भरी एक ट्रॉली उनके सामने आ गई, जिसे उन्होंने रोकने की कोशिश की, लेकिन वह उनको कुचलती हुई निकल गई।
३- आईएफएस अधिकारी पंडिलापल्ली श्रीनिवास बहुत बहादुरी से हाथीदांत और चंदन की लकड़ी की तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। इस दौरान उन्होंने चंदन तस्कर वीरप्पन की नाक में भी दम कर दिया था। वीरप्पन ने उनको फंसाने के लिए एक जाल बिछाया और उनके सामने सरेंडर की पेशकश की। जब श्रीनिवास 10 नवंबर 1991 को वीरप्पन से मिलने पहुंचे तो वीरप्पन ने गला काटकर उनकी हत्या कर दी।
४-सत्येंद्र दुबे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत थे। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले दुबे को 12 साल पहले 27 नवंबर 2003 को बिहार के गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। उस समय वह बनारस से एक विवाह समारोह में शामिल होकर घर लौट रहे थे। उन्होंने एनएचएआई में फैले हुए भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपायी को सीधे पत्र लिखा था। भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए सत्येन्द्र ने उस पत्र में अपना नाम गोपनीय रखने का अनुरोध किया था, लेकिन सत्येन्द्र के अनुरोध के बाद भी कार्यालय अधिकारियों ने उस पत्र को सत्येन्द्र के नाम के साथ अलग-अलग विभागों को भेज दिया।
५-आईआईएम, लखनऊ से पढ़ाई करने वाले शणमुघम मंजुनाथ इंडियन ऑयल कारपोरेशन में बतौर सेल्स मैनेजर कार्यरत थे। मिलावट के चलते यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के एक पेट्रोल पंप को महीनों तक सील रखने के कारण साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई थी। पंप दुबारा खुलने के एक महीने बाद मंजुनाथ वहां सरप्राइज रेड के लिए पहुंच गए। उसी रात नमूना लेने के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
Peace if possible, truth at all costs.