पाखंडी धर्मनिरपेक्षियों के कथित “ महान “ अकबर की मनोवृति

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[][] अकबर की मनोवृति ऐसी थी की आसपास के कोई भी राज्य बड़ा न हो सके ,अतः भविष्य मे उतंग मस्तक न कर सके । अपनी सेना कभी भी निष्कार्य न होनी चाहिए , सेना को युद्धरत रखना एवं हिन्दू नाश का संकल्प उनका था । पड़ोसी राज्य पर उसका आधिपत्य होना उसका लक्ष्य था ।
                 मध्यप्रदेश उतरिभाग –गोंडवाना कहा जाता है ,राणी दुर्गावती कुशलता एवं वीरतापूर्वक राज किया करती थी । पुत्र अल्प वयस्क होने के कारण सारा कार्यभार उन पर था । उसके पास 20.000 अश्वदल एवं 1.000 गजदल था , राजकोष भी विपुल था । राज एवं मानव कल्याण के अनेक सुकार्य किए ,प्रजा सुखी एवं समृद्ध थी । किन्तु पाखंडी ,दुष्ट अकबर को यह सहन नहीं हुआ । उसने अपने क्षत्रप ( राजपाल ) आसफखा को गोंडवना पर आक्रमण करने का आदेश दिया ।
      एक प्रति असुरसेना थी तो दूसरी ओर देवी स्वरूप साम्राज्ञी दुर्गावती की सेना । वीरतापूर्वक दुष्टो के साथ युद्ध किया , युद्ध अंतर्गत अपना पुत्र वीरनारायण हताहत हुआ । भारतीय युद्ध मे एक परंपरा थी की राजा अथवा राजकुमार श्रुंगार के साथ युद्ध करने निकाल ते थे , अतः तत्काल परिचित हो जाते थे । एवं राजा पर प्रहार करते थे ,
    राजकुमार हताहत हुए तो शेष सेना विभाजित होने लगी , राणी दुर्गवति पर बान की वर्षा हुई , अंतिम क्षणो मे दुर्गावती ने अपने ही सेनापति को अपनी हत्या करने को कहा , किन्तु सेनापति का जी न चला । दुष्टो के हाथ मरना अथवा बंधक बनाना , भयंकर यातना सहन करने उसे पूर्व स्वयं दुरगवाती ने अपनी कटारी से अपने प्राण त्याग दिये ........ ॥
क्या अकबर ‘महान ‘ था ?

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