आप सब जानते ही होंगे, भारत में जितने भी कागज़ के रूपये प्रचलन में हैं, उनमें से एक रूपये के नोट को छोड़ कर शेष सब 'प्रोमिसरी नोट' होते हैं. यानी ऐसा नोट जिसकी अंकित कीमत अदा करने का प्रॉमिस आपको रिजर्व बैंक का गवर्नर करता है. सरकार से किये गए करार के आधार पर यह बैंक आपसे वादा कर यह कागज़ आपको थमाता है.
पहले गोल्ड स्टैंडर्ड हुआ करता था कभी, यानी जितना सोना होगा खजाने में उतने ही मूल्य के नोट छापे जायेंगे. पर अब ऐसा स्टैण्डर्ड नहीं है लेकिन आज भी छापे जाने वाले नोट का कुछ प्रतिशत सोना उस बैंक के पास रखना पड़ता है.
एक रूपये के नोट के अलावा शेष सभी नोट चुकि रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं अतः उस पर 'भारतीय रिजर्व बैंक' लिखा होता है और गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ उसका वचन पत्र भी छपा होता है कि 'मैं धारक को ....वचन देता हूं.' जबकि एक रूपया के नोट पर सीधे 'भारत सरकार' लिखा होता है, और यह बिना वचन के वित्त सचिव के हस्ताक्षर से जारी किये जाते हैं.
गज़ब कहानी नोट की.
Peace if possible, truth at all costs.