कुछ प्रश्नों पर विचार तो कीजिये !!

0
१.संविधान के तहत अनुसूचित और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण की समय सीमा क्या निर्धारित की गयी थी और उसके बाद उसको बार बार क्यों बढ़ाया गया और किस पार्टी नें बढ़ाया है ! आज आरक्षण के कारण देश में हालत ये है कि आरक्षण पाने वाली जातियों और बिना आरक्षण पानें वाली जातियों के बीच टकराव देखनें को मिल रहा है और इससे क्या देश में एकता रह पाएगी !

२.तथाकथित आजादी ( हकीकत में आजादी नहीं मिली थी बल्कि सता का हस्तांतरण हुआ था जिसका दस्तावेज "पावर ऑफ अग्रीमेंट" मौजूद है ) के बाद जब देश का बंटवारा ही धार्मिक आधार पर हुआ था तो नेहरु नें इस देश को धर्मनिरपेक्ष क्यों घोषित करवाया था और जब देश को धर्मनिरपेक्ष ही रखना था तो वो तो पहले ही था फिर बंटवारा क्यों स्वीकार किया गया ! जबकि सरदार बल्लभ भाई पटेल इसको हिंदू राष्ट्र बनाने के पक्षधर थे!

३.जब देश की ५६५ रियासतों का एकीकरण सरदार बल्लभभाई पटेल नें किया था तो नेहरु नें कश्मीर का मामला क्यों अपनें पास रखा था और जब कश्मीर के महाराजा हरिसिंह नलवा नें भारत में मिलनें का स्वीकृति पत्र दे दिया था तो शैख़ अब्दुला के साथ नेहरु नें समझौता क्यों और किस आधार पर किया था जबकि बाकी की जितनी भी रियासतें थी उनको राजाओं और नबाबों के सहमति पत्र से ही भारतीय गणराज्यों में सम्मिलित किया गया था ! उस समझौते में दो देश दो निशान की बात और कश्मीर को विशेष राज्य की बात क्यों मानी गयी थी ! दो देश दो निशान वाली बात तो श्यामाप्रसाद मुखर्जी के द्वारा उसके लिए दिए गए बलिदान के बाद समाप्त कर दी गयी लेकिन विशेष राज्य का दर्जा अभी भी कश्मीर को मिला हुआ है जिसके कारण भारत सरकार के लिए बाकी राज्यों में जो अधिकार हैं उसमें से कई अधिकार कश्मीर में लागू नहीं होती है !

४. कश्मीर को दिया गया वो विशेष दर्जा वहाँ के हिंदुओं के लिए मौत से बदतर साबित हुआ जब १९९० में लाखों कश्मीरी हिंदुओं को मार दिया गया और उनकी बहन बेटियों के साथ विभ्त्स्व बलात्कार किया गया जिसको शब्दों में कह पाना भी बहुत कठिन है ! लाखों हिन्दुओ को वहाँ से भागना पड़ा और आज भी साढे तीन लाख हिंदू अपनें ही देश में शरणार्थी है और उनके हक में भाजपा के सिवा आज कोई पार्टी बोलती तक नहीं है जबकि वो लोग दो कमरों में अपनें पुरे परिवार के साथ रहते हैं ! कोई एक महीने तक अपनें पुरे परिवार के साथ दो कमरों में एक महीने गुजार ले तो उनकी पीड़ा का अंदाजा हो जाएगा और वो उस पीड़ादायक हालत का सामना पिछले २३ सालों से कर रहें हैं !

५.जब आजादी (?) के बाद देश को धर्मनिरपेक्ष मान ही लिया था तो १९५६ में हिंदू कोड बिल क्यों लाया गया था जबकि देश धर्मनिरपेक्ष था तो कोई भी कानून धार्मिक आधार पर नहीं बनाया जा सकता था ! वो धार्मिक आधार पर देश को बांटने की शुरुआत थी और उसके बाद तो कई ऐसे फैसले कांग्रेस की सरकारों नें लिए जो सीधे सीधे कट्टरपंथी मुस्लिमों के आगे घुटने टेकने जैसे थे जिसके कारण धार्मिक खाई गहरी होती चली गयी ! और १९७६ में तो हद ही हो गयी जब संविधान में संसोधन करके अल्पसंख्यक शब्द जोड़ दिया गया जो सीधा सीधा संविधान की मूल आत्मा धर्मनिरपेक्षता को ही खत्म करनें जैसा था ! उसके बाद १९८६ में मुस्लिम महिला शाहबानों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी संविधान संसोधन के द्वारा बदला गया और ये प्रावधान तक कर दिया कि मुस्लिमों के फैसले उनके धर्म के आधार पर ही होनें चाहिए ! इसके कारण इस देश में न्यायालयों को भी फैसले धार्मिक आधार पर देनें के लिए मजबूर कर दिया गया ! जब इतना सब जानने के बाद भी कोई कहता है कि कांग्रेस ही इस देश को एक रख सकती है तो मुझे हंसी भी आती है और कहने वाले की मूर्खता पर गुस्सा भी आता है क्योंकि जो खुद बांटने में लगी हो वो भला एक कैसे रख सकती है !

६. देश को आजादी (?) मिलने के बाद कांग्रेस के चचा (?) नें सत्ता संभाली थी जिन्होंने पहला काम तो यह किया कि कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को सुपुर्द कर दिया और दूसरी तरफ ६२००० वर्गमील क्षेत्र चीन को दे दिया और हमारे और चीन के बीच मजबूत दीवार तिब्बत पर चीन को काबिज होनें दिया ! यहाँ में दे दिया शब्द इस्तेमाल इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर पर हमला किया था और कश्मीर के महाराजा नें हमले के तुरंत बाद भारत में शामिल होनें की स्वीकृति दे दी थी लेकिन भारत नें तीन दिन तक अपनी सेनाए नहीं भेजी और जब भेजी और भारतीय सेनाए पाकिस्तान को पीछे खदेड़ रही थी तभी चाचा नेहरु (?) मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गए और वहाँ से दोनों देशों को पहले वाली स्थति में आनें का निर्देश मिला था तो हम तो पीछे हट गए और पाकिस्तान पीछे हटा नहीं ! इसी तरह चीन के साथ १९५४ में पंचशील समझौता किया जो केवल आठ वर्षों के लिए ही था ! पंचशील का समझौता चीन और हमारी दोस्ती का समझौता था और दोस्ती का समझौता जब समयसीमा पर निर्धारित हो तब तो दोस्ती पर शक होना लाजमी ही है लेकिन इस और ध्यान ही नहीं दिया और अतिआत्मविश्वासी होकर सेनाओं को सीमाओं से हटाकर सड़कें पुल बनाने में लगा दिया गया !
हमारी इस बेखबरी का चीन नें फायदा उठाया और वो तो उसको उठाना ही था उसनें तो आठ साल का रोडमेप बनाकर ही समझौता किया था ! और उसका रोडमेप एकदम साफ़ था तिब्बत पर कब्ज़ा करना और १९५९ में उसनें तिब्बत पर कब्ज़ा कर भी लिया था और उसके रोडमेप के हिसाब से उसको आशा थी की तिब्बत पर कब्ज़ा करनें पर भारत प्रतिरोध करेगा लेकिन भारत नें ऐसा कुछ नहीं किया और आसानी से तिब्बत पर चीन को काबिज होनें दिया ! उसके बाद चीन का हौसला बढ़ा और उसनें पंचशील समझौता खतम होनें के बाद उसनें भारत पर आक्रमण किया और हमारी सेनाएं तो इसके लिए तैयार ही नहीं थी फलस्वरूप हमारा ६२००० वर्गमील ( हालांकि सरकार नें अभी एक आरटीआई के जबाब में इसे ५३००० वर्गमील ही बताया है ) क्षेत्र पर चीन का कब्ज़ा हो गया ! अब इन दोनों के लिए कौन जिम्मेदार है और क्या इस तरह के कूटनीतिक रवैये से भारत की सीमाओं की रक्षा होगी क्योंकि यह उस समय की बात नहीं है आज भी यही हो रहा है जिसका पता समय समय पर मीडिया में आई रिपोर्टों से चल ही रहा है !

Post a Comment

0Comments

Peace if possible, truth at all costs.

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !