तो ये था नेहरु का सेक्युलरिज्म

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मजहब के नाम पर देश को पहले ही बांटा जा चुका था लेकिन नेहरू जी का सेक्युलरिज्म यही पर ख़त्म नहीं हुआ बल्कि “हिन्दू कोड बिल” के रूप में एक बार फिर राजनीति और धर्म आमने-सामने थे ! देसी लुटियंस आपको रूबरू करवाने जा रहे है स्वतंत्र भारत के तत्कालिक सर्वाधिक विवादस्पद कानून “हिन्दू कोड बिल”पर
 
1. 1948 में पहली बार, संविधान सभा के समक्ष “हिन्दू कोड बिल” को रखा गया ! हिन्दुओं ने इस बिल को अपने व्यक्तिगत जीवन में सरकार का हस्ताक्षेप माना ! अत: बिल का जोरदार तरीक़े से विरोध किया गया ! नेहरू और अम्बेडकर लाख कोशिशों के बावजूद इस बिल को पास करवाने में असमर्थ रहे !!
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2. भारी विरोध के बावजूद 5 फ़रवरी 1951 को पुन: “हिन्दू कोड बिल” को संविधान सभा के समक्ष पेश किया गया ! लेकिन तब तक भारतीय संविधान के तहत संसदीय प्रणाली लागू हो गयी थी और संविधान सभा अब “अस्थायी संसद” बन चुकी थी ! अब तक चुनाव न होने के कारण संसद के सदस्य जनता के चुने हुए नही थे !
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3. 1951 में कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर जनसंघ की स्थापना करने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संसद में “हिन्दू कोड बिल” का विरोध किया ! उन्होंने सवाल किया कि आखिरकार एक धर्म के लिए ही कानून बनाना कहाँ तक उचित है ! “यूनिफार्म सिविल कोड लॉ” क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए !
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4.”हिन्दू कोड बिल” को लेकर ये सवाल भी उठाया जा रहा था कि आखिर हिन्दू कौन है ? बिल के प्रावधान के अनुसार जो भी लोग मुस्लिम, पारसी और ईसाई नहीं है वो सभी हिन्दू है ! इस प्रावधान पर भी लोगों का गहरा विरोध था !!
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 5. “हिन्दू कोड बिल” में महिलाओं की दशा सुधारने के लिए विधवा विवाह, गैरजातीय विवाह को वैध कर दिया गया ! लड़कियों को पारिवारिक सम्पति में अधिकार देने के साथ ही साथ ही हिन्दुओं के लिए एक विवाह का कानून बनाया गया !
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6. हिंदूवादी और राष्ट्रवादी संगठनों ने “हिन्दू कोड बिल” के विरोध में ये तर्क भी दिया कि संविधान सभा के सदस्य देश की जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि नहीं है इसलिए “संविधान सभा” के सदस्यों को कोई भी बड़ा फ़ैसला नहीं लेना चाहिए !
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7. आर.एस .एस. जैसे संगठन हिन्दू कोड बिल” के खिलाफ़  सिर्फ इसलिए थे क्योंकि उनके अनुसार “हिन्दू कोड बिल” पर व्यापक बहस नहीं हुयी है और सरकार को “हिन्दू कोड बिल” के स्थान पर “यूनिफार्म सिविल कोड” लागु करना चाहिए, जो हर भारतीय पर लागू हो !!
 
8. हालांकि नेहरू और अम्बेडकर दोनों इस कड़वी सच्चाई को भलीभांति जानते थे कि सिर्फ़ हिन्दुओं को ही नहीं अपितु सभी भारतीयों (मुस्लिम ,ईसाई और पारसी) के लिए “हिन्दू कोड बिल” की तरह का सर्वव्यापी कानून होना चाहिए ! लेकिन कहीं न कहीं नेहरु मुस्लिम विरोध के डर के आगे झुक गये !
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9. देशभर में हो रहे हिन्दू कोड बिल के विरोध और आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र सियासी नफ़ा-मुनाफा को देखते हुए नेहरु जी ने हिन्दू कोड बिल को ठन्डे बस्ते में डाल दिया ! जिससे नाराज होकर अम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया !
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10. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत हुयी ! कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले अम्बेडकर चुनाव हार गये लेकिन जनसंघ और अन्य दलों के सहयोग से अम्बेडकर राज्यसभा पहुँचने में कामयाब रहे !

 
11. नेहरुजी के दिशा-निर्देश पर “हिन्दू कोड बिल” पर जारी गतिरोध को ख़त्म करने के लिए इस बिल को कई हिस्सों में बाँट कर “हिन्दू कोड बिल” को लागू कर दिया गया ! यद्यपि लोकसभा में और देशभर में कानून का बहुत विरोध हुआ लेकिन कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा में अपने बहुमत के चलते इन बिलों को पास करवाने में सफल रही !80353929-uniform-civil-code

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