in india muslim r 22%
मुस्लिम पोपुलेशन- --जब तक मुस्लिमों की
जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग
2% के आसपास होती है, तब वे एकदम
शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर
रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का
मौका नहीं देते, जैसे -
अमेरिका – मुस्लिम 0.6%
ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%
कनाडा – मुस्लिम 1.9%
चीन – मुस्लिम 1.8%
इटली – मुस्लिम 1.5%
नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%
जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक
पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में
अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें
अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य
धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –
डेनमार्क – मुस्लिम 2%
जर्मनी – मुस्लिम 3.7%
ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%
स्पेन – मुस्लिम 4%
थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%
मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने
पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य
धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और
अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने
लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और
शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का
दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल”
का माँस न खाने से उनकी धार्मिक
मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से
कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के
बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी।
उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों
को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का
माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी
“धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है
(अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से
मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन
देशों में हो चुका वह हैं –
फ़्रांस – मुस्लिम 8%
फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%
स्वीडन – मुस्लिम 5.5%
स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%
नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%
त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%
इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर
यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके
“क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक
कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये
(क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है
कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब
से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से
अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/
राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के
लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं,
शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी
“आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ
जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता
से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर
आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क
का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में
कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को
समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय
खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे
कि –
गुयाना – मुस्लिम 10%
इसराइल – मुस्लिम 16%
केन्या – मुस्लिम 11%
रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम
आबादी 70%)
जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो
जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें”
जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता
और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता
है, जैसे-
इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%
भारत – मुस्लिम 22%
मुस्लिम जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर
पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक
हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने
लगते हैं, जैसे –
बोस्निया – मुस्लिम 40%
चाड – मुस्लिम 54.2%
लेबनान – मुस्लिम 59%
जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो
जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का
“जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है
(उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया
मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक
स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर
वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –
अल्बानिया – मुस्लिम 70%
मलेशिया – मुस्लिम 62%
कतर – मुस्लिम 78%
सूडान – मुस्लिम 75%
जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद
तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई
की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों
को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी
वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के
हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को
100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है,
जैसे –
बांग्लादेश – मुस्लिम 83%
मिस्त्र – मुस्लिम 90%
गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%
ईरान – मुस्लिम 98%
ईराक – मुस्लिम 97%
जोर्डन – मुस्लिम 93%
मोरक्को – मुस्लिम 98%
पाकिस्तान – मुस्लिम 97%
सीरिया – मुस्लिम 90%
संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%
बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम
बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने
की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और
सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही
अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –
अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%
सऊदी अरब – मुस्लिम 100%
सोमालिया – मुस्लिम 100%a
यमन – मुस्लिम 100%
आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या
समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है,
लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के
मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा
सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले
ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो
जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत
में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास
मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि
उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल
के कई जिलों में यह आँकड़ा 60 से 80% तक
पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या
परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों”
को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता
है…
(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड
की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम
– द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट
तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)
Peace if possible, truth at all costs.