वैलेंटाइन डे का सच / Reality of valentines Day

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१४ फरवरी ,
 इसके एक हफ्ते पहले से लोग पागल होने लगते हैं रोज डे , किस डे,चोकलेट डे, वैलेंटाइन डे आदि और कुछ डाल अपने बांस के डंडो को तेल पिलाने लगते हैं इन्हें पीटने के लिए पर क्या ये दोनों ही जानते हैं के असल में ये वैलेंटाइन डे है क्या और कहाँ से शुरू हुआ?? क्या आप भी वैलेंटाइन डे मनाने वालों में से हैं ?? क्या आप भी लाठियों से इस दिन लोगो को पीटने वालों में से हैं ??  इसे जरुर पढ़िए  शायद आपके विचार इसे पढने के बाद बदल जाएँ , इसे इसलिए भी पढ़िए ताकि आगे से आपसे कोई वैलेंटाइन डे की असलियत पूछे तो आप बता सकें :-



इतिहास :-
रोमन साम्राज्य में एक राजा हुआ करता था क्लौदिअस और उसके समय में उनके चर्च का  यह मानना था के जो सैनिक शादी नहीं करते वो ज्यादा ताकतवर होते हैं तो उनकी प्रजा में राज घराने के अलावा किसी को भी शादी करने का हक नहीं था | कोई भी प्रेमी जोड़ा यदि बन जाये तथा शादी करने का सोचे और पता चल जाये तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था | तब एक चर्च के पादरी ने विरोध किया उसने कुछ जोड़ो की छुपकर शादी करवादी और जब यह बात सबको पता चली तब उसे गिरफ्तार करके यातनाएं देकर मार डाला गया उसका नाम था  संत वैलेंटाइन इसके बाद कई सालो तक विरोध चलता रहा फिर शादी करने वाले जोड़े उसकी याद में यह दिवस मनाकर विरोध करते रहे तब जाकर उन्हें शादी करने की आज़ादी प्राप्त हो पायी |

मुर्खता :-
अब हम भारतीय जो की सदियों से शादी करते आ रहे हैं भगवान राम , कृष्णा तथा सभी ऋषि मुनियों ने शादी की है तथा भारत में प्रेम दिवस के रूप में बसंत पंचमी और होली जैसे कई त्यौहार हैं जिनमे सारा समाज मिलजुलकर खुशियाँ मनाता है  फिर भारत में  मुर्खता पूर्ण तरीके से वैलेंटाइन को क्यों पूजा जा रहा है बस क्योंकि अँगरेज़ करते हैं तो हमें भी करना है क्योंकि वो ही हमारे माई बाप हैं वो देश छोड़ कर चले गए तो क्या हुआ अभी भी मानसिक रूप से तो हम उन्ही के गुलाम हैं | और हमारे माई बाप जो करेंगे हम तो अंध भक्ति में उसी का अनुसरण करेंगे सही है करो| इसी तरह के काले अंग्रेज लार्ड मेकाले बनाना चाहता था जो शरीर से भारतीय हों मगर मन और मानसिकता से अंग्रेजों की तरह सोचे ताकि कभी उनकी गुलामी से आज़ाद ना हो पायें | अफ़सोस के आज़ादी के पहले इतने काले अँगरेज़ नहीं थे जितने आज़ादी के बाद बन गए हैं | क्या आप अपने आपको वैज्ञानिक बुद्धि का  कहते हो क्या कभी जानने की कोशिश की के जो कर रहे हैं इसके पीछे का सच क्या है और क्यों कर रहे हैं अगर नहीं तो इसी तरह के पचासों दिवस साल भर मानकर अपनी गुलामी का सबूत देते रहिये  || या फिर जानिये इसके पीछे का असली सच :-

वैलेंटाइन डे के पीछे के मूल मकसद :-
इतने साल पुराने डे का आज क्या औचित्य था और वो भी अमेरिका के लिए जो खुद शादियाँ नहीं करते इसके पीछे का मूल कारण है विदेशी कंपनियां जो की इस दिन कार्ड , खिलौने,दिल वाले खिलौने, कंडोम , गर्भनिरोधक गोलियां , परफ्यूम , जहरीली चोकलेट जिनमे जानवरों का मॉस है , शराब ,  विषैले कोल्ड ड्रिंक , कपडे और इसी तरह के कई गिफ्ट के घटिया सामान बेचती हैं जिससे भारत के भोले भले नागरिकों  का लगभग हजारो करोड़ रुपया ये लोग भारत से  यूरोप और अमेरिका और आजकल चाइना ले जाते हैं और भारतियों के हाथ में थमा जाते हैं ..........वैलेंटाइन डे  का ठुल्लू  :) हाहाहा कितने बुद्धिमान और तर्कपूर्ण लोग है हमारे जो टीवी पर बहस करते हैं इसे मानना चाहिए ये प्रेम दिवस है | इन सभी मीडिया के अख़बारों और चैनलों को भी पैसे भेज दिए जाते हैं इसे और बड़ा चड़ा कर पेश करने के लिए ताकि प्यार में अंधे लोग इनका और अधिक सामान खरीदें और गिफ्ट दें ताकि भारत को और लूटा जा सके |
आजकल तो ७ दिन पहले से अजीब अजीब से दे मानने लगते हैं जिससे ये पैसा ७ गुणा बढ़कर जा रहा है जैसे की चोकलेट डे ( जिसमे जानवरों की हत्या करके उनकी चर्बी मिली गयी है search करें e 631) और किस डे जो छोटे छोटे बच्चों को बिगाड़ रहा है और धकेल रहा है सेक्स के अंधे कुए में |
कुछ मुर्ख लोग बोलते हैं इसे माता पिता से प्रेम भाई बहिन से प्रेम दोस्तों से प्रेम दिवस करके मनाते हैं और वो फिर इन्ही दुकानों पर जाकर यही सब गिफ्ट खरीद कर अपने इन लोगो में बाँटने लगते हैं अरे मूर्खों इस दिवस को मानाने की जरुरत ही क्या है ऐसा क्या है इस दिवस में आज तो काला दिवस होना चाहिए के देश का पैसा ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह ये कम्पनिया लूट कर ले जा रही हैं |

अब यह आपको तय करना है के आप किसके साथ हैं अश्लीलता पूर्ण प्रेम दिवस मानकर शराब पीजिये या जहरीली  कोल्ड ड्रिंक पिजिये और केक खाइए और विदेशी वस्तुए खरीद कर भारत का पैसा विदेश भेजिए ??

या फिर

ध्यान कीजिये हम उस भारत में रहते हैं जहाँ ७० करोड़ से ज्यादा लोग 20 रस प्रतिदिन या इससे भी कम  पर गुजारा करते हैं यदि भारत का पैसा भारत में रहेगा तो उनका कुछ भला हो सकेगा और त्याग दीजिये इन सभी विदेशी दिवसों को जो कॉर्पोरेट और बढ़ी कंपनियों के द्वारा रचे गए हैं याद रखिये जितनी ताकतवर बड़ी कंपनियां होंगी उतना ही कमजोर लोकतंत्र होगा ?

यदि आपको मेरी बातों में जरा सी भी सच्चाई लगती है तो इस ब्लॉग का लिंक कॉपी कर अपने सभी मित्रों को भेजे तथा पढाये तथा जिनपर नेट नहीं है उन्हें यह सब बाते बताएं और यदि आप किसी ऐसी चर्चा या टॉक शो का हिस्सा बनने जा रहे हैं जो इनलोगों ने आयोजित किया हो वह यह तर्क जरुर रखे |

धन्यवाद्

जय हिन्द जय भारत

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1Comments

Peace if possible, truth at all costs.

  1. आपके इन अद्भुत समझदार विचारों ने मुझे आपसे और अधिक प्रभावित किया है। मेरा यह लेख भी देखें वेलेंटाइन डे

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