अंडे खाने से पहले एक बार ये जरूर पढ़े, सच जानकार आप चोंक जाएँगे : Rajiv Dixit

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आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,ब्राह्मणों से लेकर जैनियों तक सभी ने खुल्लमखुल्ला अंडा खाना शुरू कर दिया है… खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ! 

जिस प्रकार लड़कियों मे 10 से 15 साल की आयु मे उनके अंडाशय मे हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर हो जाता है । वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के वीर्य के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते है।

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लड़कियों की तरह ही अन्य मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय ) में भी एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है (जैसा ऊपर बताया गया )..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में …शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है। 

इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..। इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा । 

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अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर…… 

1) पक्षियों (मुर्गियों) में भी लड़कियो की तरह अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ।

 2) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है ।

 3) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है । 

4) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में स्त्रियों के हार्मोन (estrogen) के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि … वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है ।

 5) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है। 

6) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है । 

7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है ! इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है ! 

दरअसल एलोपेथी डॉक्टर बहुत कहते है के अन्डे खाना बहुत आवश्यक है और उनका हिसाब किताब प्रोटीन वाला है ! 

वो कहते है प्रोटीन इसमें ज्यादा है विटामिन A ज्यादा है । 

लेकिन वो ऐसा क्यों कहते है ?? 
क्यों की उन्होने अपनी किताबों मे पढ़ा है। लेकिन क्यों पढ़ा है ??

 दरअसल हमारे डॉक्टर जो पढाई करते है जैसे MBBS , MS, MD ये पूरी पढाई बाहर से आई है अर्थात यूरोप से आयी है और यूरोप के देशों मे साल के 8 महीने तो बर्फ होती है खाने-पीने की प्रकर्तिक चीजें उनके पास ज्यादा है नहीं (और जो है वो सब हमारे यहाँ से जाती है जैसे फल ,सब्जियाँ आयुर्वेदिक ओषधियाँ आदि ।

 अब वहाँ जो लोग होंगे जब कभी एलोपेथी चिकित्सा की किताबें लिखी गई होंगी उनके पास मांस और अन्डे के इलावा और कुछ नही होगा । तो उनकी जो पुस्तके है उनमे वो ही लिखा जायेगा जो वहाँ उपलब्ध है । और यूरोप में पूरा इलाका बहुत ठंडा है !सब्जी होती नही , दाल होती नही हैं ! पर अंडा बहुत मिलता है कियोंकि मुर्गियां बहुत है । 

अब हमारे देश में भी वो ही चिकित्सा पढ़ा रहे है क्यूंकि आजादी के 67 साल बाद भी कोई कानून बदला नहीं गया ! पर उस चिकित्सा को हमने हमारे देश की जरुरत के हिसाब से बदल नही किया । 

अर्थात उन पुस्तकों में बदवाल होना चाहिए , उसमे लिखा होना चाहिए भारत में अन्डे की जरुरत नही है कियोंकि भारत में अन्डे का विकल्प बहुत कुछ है । पर ये बदवाल हुआ नही और हमारे डॉक्टर वो पुस्तक पढ़ कर निकलते है और बोलते रहते है अन्डे खाओ मांस खाओ । आयुर्वेद की पढाई पढ़ कर जो डॉक्टर निकलते है वो कभी नही कहते के अन्डे खाओ । अन्डे में प्रोटीन है पर सबसे ज्यादा प्रोटीन तो उड़द की दाल में है , फिर चने की डाल , मसूर की डाल ; अन्डे में विटामिन A हैं पर उससे ज्यादा दूध में है ।

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स लिए मित्रो आपसे निवेदन है शाकाहारी बने !!!

 वन्देमातरम  

और इस पर एक छोटी सी कविता भी पढ़ें ….

गर्व था भारत-भूमि को कि महावीर की माता हूँ।। 
राम-कृष्ण और नानक जैसे वीरो की यशगाथा हूँ॥ 
कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे।। 
पोरस जैसे शूर-वीर को नमन ‘सिकंदर’ करते थे॥ 

चौदह वर्षों तक वन में जिसका धाम था।। 
 मन-मन्दिर में बसने वाला शाकाहारी राम था।।
 चाहते तो खा सकते थे वो मांस पशु के ढेरो में।। 
लेकिन उनको प्यार मिला ‘ शबरी’ के झूठे बेरो में॥ 

चक्र सुदर्शन धारी थे गोवर्धन पर भारी थे॥ 
 मुरली से वश करने वाले गिरधर’ शाकाहारी थे॥ 
 पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम चोटी पर फहराया था।। 
निर्धन की कुटिया में जाकर जिसने मान बढाया था॥

 सपने जिसने देखे थे मानवता के विस्तार के।। 
 नानक जैसे महा-संत थे वाचक शाकाहार के॥ 
उठो जरा तुम पढ़ कर देखो गौरवमयी इतिहास को।। 
आदम से गाँधी तक फैले इस नीले आकाश को॥

 दया की आँखे खोल देख लो पशु के करुण क्रंदन को।। 
 इंसानों का जिस्म बना है शाकाहारी भोजन को॥ 
अंग लाश के खा जाए क्या फ़िर भी वो इंसान है? 
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है या कोई कब्रिस्तान है? 

आँखे कितना रोती हैं जब उंगली अपनी जलती है।।
 सोचो उस तड़पन की हद जब जिस्म पे आरी चलती है॥ 
बेबसता तुम पशु की देखो बचने के आसार नही।। 
जीते जी तन काटा जाए, उस पीडा का पार नही॥ 

खाने से पहले बिरयानी, चीख जीव की सुन लेते।। 
करुणा के वश होकर तुम भी शाकाहार को चुन लेते॥ 
करुणा के वश होकर तुम भी शाकाहार को चुन लेते॥ 


शाकाहारी बनो…! 
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अधिक से अधिक share करें शायद आपका एक share किसी को शाकाहारी बना दे ॥ 

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15Comments

Peace if possible, truth at all costs.

  1. chutiya banava na dhandha

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    1. Sachi vat 6e shakahari bano

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    2. Sachi vat 6e shakahari bano

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    3. sachi vat 6e khavay khavay eggs

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    4. ema bhi moglay to bahu maja ave

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  2. Main bhi nonveg ka tyag kar raha hoon

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  3. Main bhi nonveg ka tyag kar raha hoon

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    1. 9 March 2016 at 08:47 IS SAMAY AAP NON VEG KA TYAG KAR RAHE THE NAA ! KYA AB V AAP APNE DWARA KIYE GAYE SANKALP PAR DREN AUR MAJBOOT HAIN BHAI,
      KAHI NONVEG KHANA TOH SHURU NAHI KAR DIYA?

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  4. Virodh krne walo tu ghulam ho apni taamsi pravritti ke apni jeebh ki hawas k.. Muglon k ane ke pahle to.nahi khate the..

    Or ye nahi chhod sakte to vietnaam me kutte ka gosht khuleaam khaya jata h vo bhi khao..

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  5. bahut sacchi Baat Apne Kahi Hai Sir

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  6. dhanyawaad aapko hamara marg darshan karne ke liye

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