सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के केस में फैसला दिया था जिसमे
तलाक़ दी गयी बानो बुजुर्ग मुस्लिम महिला को घर से बाहर
निकालने पर गुजारा भत्ता दिया था --मगर इंदिरा गाँधी के
बनाये हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश भर में आंदोलन
चला दिया और राजीव गाँधी की सरकार ने झुक कर कोर्ट के
फैसले को पलटने के लिए संविधान संशोधन तक कर डाला -
जिसका मुख्य उद्देश्य था कि मुस्लिम वोट बैंक हाथ से ना निकले -
ऐसा घटिया काम किया कांग्रेस के नौनिहाल प्रधान मंत्री ने कि
उसी के बाद 3 तलाक़ और बढ़ा होगा क्यूंकि मुसलमानों को
राजीव सरकार ने छूट दे दी कि जब मर्जी बीवी को तलाक़ दो
और घर से निकाल दो --
कांग्रेस अपने गिरेबान में झांक ले --उसके बाद कांग्रेस ने
ट्रिपल तलाक का विरोध नहीं किया और इस मसले पर
हमेशा कहा कि इसका हल मुस्लिम समुदाय के पर ही
छोड़ देना चाहिए --
और आज जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैर-इस्लामी
और असंवैधानिक घोषित कर दिया तब, कांग्रेस आगे बढ़
कर फैसले का स्वागत कर रही है --जबकि मोदी सरकार को
कांग्रेस और सोनिया गाँधी देश को बाँटने वाली बताने में आगे
रहती है-
कांग्रेस को आज ये खुलेआम मानना होगा कि शाह बानो के
फैसले को पलटने की ही वजह से आज मुस्लिम औरतों का
बे-हाल है और उसके लिए कांग्रेस सीधे सीधे जिम्मेदार है -
एक वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक के मसले पर स्वतः
संज्ञान लिया था-मगर उसके पहले शाह बानो के केस के बाद
33 साल से मुस्लिम संगठनों की तरफ से ट्रिपल तलाक के खिलाफ
कोई विशेष संघर्ष किया हो ऐसा महसूस नहीं किया गया --
जबकि प्रधान मंत्री मोदी ने ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम महिलाओं
को खुल कर समर्थन दिया और इस समर्थन को 15 अगस्त को
लाल किले से भी दोहराया --मगर फिर भी आज एक मुस्लिम
महिला राहिला परवीन इंडिया टी वी पर कह रही थी कि भाजपा
इस फैसले पर कोई श्रेय ना ले --ये तो हमारी 33 साल पुरानी
लड़ाई की जीत है --
एक महिला के बारे में मैं पहले भी लिख चूका हूँ अपने 15 अगस्त
के लेख में जो इस मामले में सरकार का योगदान नहीं मानती थी
और आज एक ये हैं परवीन --अब ये कहना क्या गलत होगा कि
ये लोग कभी भाजपा का साथ नहीं देने वाले चाहे मोदी इनके लिए
जान ही क्यों न लगा दे --
(सुभाष चंद्र)
22/08/2017
Peace if possible, truth at all costs.