#गियासुद्दीन_तुगलक_ओर_वीर_क्षत्रिय #अमीर_खुसरो_का_पाखंड

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कुछ विचित्र धारणाओं के कारण
सारे संसार की शिक्षण संस्थाओं में
भारतीय इतिहास एवम शोध
एक मखोल बनकर रह गया है ।

यह लोग व्ययंग ओर उपहास से खिल्ली उड़ाते हुए
मुसलमानो की झूठी महानता,
नकली दयालुता,
ओर लुटेरे कर प्रबंधन आदि ना जाने कितनी नई नई बातों की खूबियां मनमाना बयान अपने अनुमान से ही गढ़ते रहते है ।

यह लोग भूल जाते है,
या जान बूझकर अनजान बन जाते है,
की तूफान की तरह भारत मे घुसने वाला मुसलमान गिरोह जानवरो ओर बर्बर जंगलियों का गिरोह था ✔
जिसमे सभ्यता ओट संस्कृति की छाया भी नही थी ।

इन लोगो को इस्लामी अंधविश्वास ने पूरी तरह यकीन दिला दिया था
कि हिन्दुओ की हत्या करना,
गायो को काटना
ओर सभी काफिर नारियों चाहे वह जापानी हो या चीनी,
अंग्रेज हो या हिंदुस्थानी, बलात्कार करना एक महान गौरवशाली काम समझते थे✔

आज के मुसलमान भी इन जल्लादों के नाम पर आहँ भरते है,✔
यह मुसलमान तो वह जानवर थे,
जो अपने ही भाई के गोश्त का पुलाव बनाकर उनके बच्चो को खिला देते थे 

लेकिन मात्र हिन्दू विरोध के कारण 
आज के मुसलमान भी इन पशुओं का गुणगान किये बिना नही रह सकते 

क्या इससे
हिन्दू- मुस्लिम एकता संभव है ?  ⁉⁉

ओर
जो हिन्दू इनसे सहानुभूति रखता है,
वह भी म्लेच्छ  है✔

इन जानवरों के जंगली शाशन को " महान ओर न्यायी युग मानना विद्या  का अपमान करना है,

छात्रों और जनता को बहकाने वाली धारणाएं साधारण तर्क का भी गला घोंट देती है ।

यह आग उगलने वाले जंगली बर्बर भेड़िए झुंड की भांति  भारत मे घुसे थे ।

यह किस प्रकार हिन्दुओ की उन्नति की चिंता करने वाले दयालु शाशक बन बैठे ?

शताब्दियां बीत चुकी है,
संसार काफी आगे बढ़ चुका है ,
लेकिन यह मल्लेछ आज भी वहीं के वहीं है ।

यह आज भी हर बात में हलालहराम
अपनी सुविधा के अनुसार ढूंढ ही लेते है।

यह लोग आज भी अंधविश्वास की खूनी आकांशा के अंधेरे से चिपके पड़े है ।

और इसी अंधेरे में इन्हें अपना गौरव नजर आता है ।

1972 के आसपास की बात है ।
पूर्वी पाकिस्तान के एक शहर में सभी कांफिरो के घरों में मुसलमान आग लगा रहे थे ।

उनकी स्त्रियों का बलात्कार कर रहे थे ।
क्यो की एक मुस्लिम लड़की को बोद्ध लड़के से प्यार हो गया था ।

इसी समय मिस्र को यमन के नागरिकों पर जहरीली गेस का उपयोग करते पकड़ा गया था ।

अभी तो सऊदी अरब ने
यमन पर अपना कहर ढा रखा है ।

20 वी शताब्दी में ऐसा क्रूर और नृशंग  अत्याचार हो सकता है,
तो कोई भी आदमी आसानी से अनुमान लगा सकता है …
भारत के साथ इन मुसलमानो ने क्या किया होगा !

यह लोग तो
भारत मे
जिहाद के नारे के बुलन्द करते हुए
हिन्दुस्थान को बर्बाद कर देने की
कसम खाकर ही यहां घुसे थे ।

इन्ही लुटेरो में 1320 में गयासुद्दीन तुगलक सुल्तान बनकर "
सुल्तानुल गियासुद्दीन दुन्या बाउद्दीन तुगलक शाह "
का लंबा चौड़ा पट्टा धारण किया ।
शाह सरनाम से आप समझ जाइये की यह ,
या इसका खानदान पहले कभी हिन्दू ही था ।

मल्लेछो ने देवगिरी से हिन्दू राजपूत कन्या एक राजकुमारी को बलात बाल पकड़कर घसीट कर,
देवगिरी को  तबाह कर अपने हरम में घसीटा था ।

उस राजकुमारी को पहले अल्लाउद्दीन के पुत्र खिज्र खान की पत्नी बनना पड़ा,

बाद में कुतुबुद्दीन ,

उसके बाद नसीरुद्दीन की वह भोग्या बनी ।

अब उस राजपूत राजकुमारी के बलात्कार की बारी गियासुद्दीन की थी ।

क्यो की हिंदुस्तान का प्रमुख लुटेरा सरदार ओर मुस्लिम दुस्ट होनेबके कारण व्यभिचार का खुला लाइसेंस इसी के पास था ।

इसी हिंसक जानवर को
मुस्लिम और वामपंथी इतिहासकार चापलूसी में
इस शैतान के बाप को
न्यायी, दयालु तथा उदार शासक कहते नही थकते ।

उदारहण
इनके चापलूसो में से एक जियाउद्दीन बरनी को ही लिया जाए ।

उसने गियासुद्दीन के बारे में लिखा है
" ये ( गियासुद्दीन ) जब गद्दी पर बैठे तो चरित्र की महानता, कुलीनता, तथा उदारता से विशिष्ठ प्रतीत होते थे  ।
जिन्होंने अपने सभी साथियों ओर परिचितों में इनाम बांटा ।
( page 226 book 3 इलियट एंड डाउसन )

ऐसे ही वर्णनों से दुनिया के सारे इतिहासकारों को अंधा बनाकर रख दिया है ।

इन लोगो ने ज़रा सी समझदारी से काम नही लिया
कि आखिर इन वर्णनों का मूल्य कितना है ,
इसमे सच्चाई कितनी है ,
ओर ऐसा लिखने वाले का उद्देश्य क्या है ?

#अमीर_खुसरो गियासुद्दीन तुगलक का समकालीन था ।

उसे एक महान मुस्लिम कवि माना जाता है ।

मगर उसकी दो कविताओं में यह भंडाफोड़ हो जाता है
कि किस प्रकार वह चापलूसी करता हिन्दू हत्या और विनाशलीला देखकर खुशी से लोटन कबूतर बन जाता था ।

गियासुद्दीन की चापलूसी के बारे में अमीर खुसरो ने एक शेर पढ़ा है

" उसने ऐसा कोई काम नही किया जो विवेक और समझदारी से भरा हुआ ना हो ।
अनेक विद्वता सुल्तान के ताव के नीचे दबी थी ।

लेकिन खुसरो का एक शेर मुस्लिम दुष्टता को नंगा कर देता है - वह कहता है

" हिन्दुस्थान उसे
( यानी सुल्तान को ) पसंद है ।
क्यो की इसकी जमीन तलवार के पानी से साफ कर दी गयी है ।
काफिरियात के बादल छंट गए है ।

मुस्लिम शाशनकाल में
मुस्लिम दरगाहों पर भेंट चढ़ाने ओर सजदा करने के लिए हिन्दुओ को मजबूर किया जाता था ।

किंतु बड़े शोक ओर शर्म की बात है, की हिन्दू आज भी यह काम करते है ।

प्रत्येक वर्ष खुसरो के दरबार मे इकट्ठे होते है ।
बड़े उमंग से उसकी कविताओं का पाठ करते है ।

मगर खुसरो हिन्दुओ की हत्या , हिन्दू बच्चो के खतने , हिन्दुओ स्त्रियों के बलात्कार और हिन्दू महलों के इस्लामीकरण पर बड़ा प्रसन्न होता था ।

गियासुद्दीन की कर प्रणाली जनता के खून को अंतिम बून्द तक चूस लेने वाली कर प्रणाली थी ।
बरनी ने अपनी नासमझी से इसका भंडाफोड़ भी कर दिया है ।
उसके अनुसार गियासुद्दीन ने यह हुक्म जारी किया,
की एक बार में इतना ओर ना लिया जाए,
की जिससे खेती के कामो पर असर पड़े ।

उन्माद में जनता विद्रोह ना कर दे ।
और समूह ना बना सके ।
( पेज वही 226 , इलियट एंड डाउसन )

इस हिन्दुस्थान को अहिंसा परमोधर्मः खा गया ! 

इस देश की वीर परम्परा नष्ठ हो गयी ।

इस रोग का उपचार मिहिरकुल ओर शंकराचार्य ने किया भो ,
बोद्ध धर्म को यहां से खदेड़ भी दिया गया
किन्तु उनकी फैलाई दुर्बलता यहां शेष रह गयी ।

इसी संक्रमण के काल मे मुसलमानो का तूफानी हमला हिन्दुस्थान में हुआ ,

जिसके प्रहारों को रोकने के लिए हिन्दुस्थान ने दुर्बलवस्था में भी असीम शौर्य का परिचय दिया ।

उस समय अरब में एक लोकक्ति प्रचलित हो गयी थी
" हिन्दुओ के तलवार के जैसी तीखी ओर तेज "

भारतीय क्षत्रियो को को इंसान की नैतिकता में विश्वास था ।

समर भूमि में सेना से लड़ने की उन्हें आदत थी ।

वे सपने में भी नही सोच सकते थे कि इंसान के वेश में जानवरों का हमला उनपर होगा,
जो खेतो को तबाह करेंगे घरों को उजाड़ेंगे ।

लेकिन क्षत्रियो ने हमेशा इन पशुओं को मुंहतोड़ जवाब भी दिया ।

आंध्र तेलंगना पर गियासुद्दीन ने आक्रमण किया ।
प्रतिदिन वहां झड़प होती थी ।
दोनो ओर से बहुत लोग रोजाना मारे जाते ।
लेकिन एक दिन ऐसा आया,
की हमारे वीर क्षत्रियो ने इनकी कमर तोड़ दी ।
मुसलमानो को रंगेद रंगेद कर मारा गया ।
मार इतनी जबरदस्त थी कि इनके सारे सैनिक पस्त हो गए  ।

गियासुद्दीन के सेनापति को मारकर उसकी चमड़ी राजपूतो ने गियासुद्दीन को भिजवा दी थी ।

तिरहुट के राजा हरिसिंह
( वर्तमान बिहार ) ने तो गियासुद्दीन को बंदी बनाकर इसका बिहार में जुलूस निकाला था ।

यह हरीसिंहः को बंदी बनाने आया था,
खुद बंदी बन गया ।

बिहारी क्षत्रियो के सामने 1 घण्टे में मुसलमान टिक नही सके ।
या अल्ला.... या अल्ला .... करते हुए इधर उधर भागने लगे ।
मोला टोला को चीख पुकार मचाते जहां रास्ता मिला
उसी रास्ते से भाग खड़े हुए ।

✖#इस_दुस्ट_का_अंत

इस्लामी रिवाज के अनुसार इस दुस्ट का अंत इसकी ही औलाद मु. तुगलक ने किया । ✔

दिल्ली से थोड़ी दूर पड़ाव डालकर उसने एक लकड़ी का मकान बनाया ।
उस दिखावी श्रद्धालु ओर विनम्र पुत्र ने अपने पिता से एक रात वहां आराम फरमाने की विनती की ।
दारू के नशे में बेखबर बेजीझक गियासुद्दीन मृत्यु शैया पर लेट गया ।
एक हाथी की टक्कर से सारा ढांचा उसके सिर पर पड़ा ।
कहीं सिर चूर चूर होने से बच गया तो ?
उस मलबे में आग लगा दी गयी ।
कहीं बेशर्म जान ना जली तो ? इतना पानी बहाया की कम से कम वह डूब तो मरे ।

इस दुस्ट का अंत यही होना चाहिए था,
ओर यही हुआ ।


#वीर_क्षत्रिय

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