हाजी मोहम्मद बौना खान की फिल्म लाल सिंह चड्डी,
एक विशुद्ध कम्यूनिस्ट एजेंडा फिल्म है,
देखने वाले के अवचेतन मस्तिष्क में सेना के प्रति घृणा भरता एजेंडा एक्सपोज,
जैसा कि आपको पता है कि इस फिल्म के बॉयकॉट की लहर इतनी तेज है कि यह एक दो दिन से लगातार ट्विटर पर ट्रेंडिंग है और अब तक लगभग पौने दो लाख ट्वीट आ चुके हैं
हिन्दुओं के मन में सेना के प्रति सहानुभूति का फायदा उठाने के लिए मोहम्मद बौना खान ने यह सीन आऊट किया कि लाल सिंह चड्ढा एक फौजी था,
और इस फिल्म की हीरोइन, तैमूर की अम्मी करीना बानो को एक सीन में बौना कहता है कि,
मेरी माँ मुझे कहती हैं कि फौज में चला जा, पर मुझे किसी को मारना अच्छा नहीं लगता है,
यदि आप गौर से इस डॉयलॉग को बार बार पढ़ेंगे तो इस डॉयलॉग की गंभीरता और एजेंडे को आप अवश्य समझ पाएंगे,
कम्यूनिस्टों के एजेंडे के तहत ये लोगों के अवचेतन मस्तिष्क में (उनकी जानकारी के बिना दिमाग में जगह बनाने वाला) विचार डाल रहा है कि,
१. सेना में जो लोग जाते हैं उनका लोगों को मारने का मन करता है, इसलिए सेना में जाते हैं,
२. सैनिक सबको जीने दो वाली भावना वाले नहीं होते, सैनिक अमानवीय क्रूर होते हैं,
३. और सैनिक जिनको मारते हैं, वो देश के दुश्मन, आतंकी, जिहादी नहीं बल्कि केवल लोग हैं। इसने आतंकी शब्द को लोग शब्द से डायल्यूट कर दिया,
४. करीना बनो इस बात पर एक बढ़िया से इम्प्रेस होने वाली स्माइल देती है, मतलब लड़कियों को ऐसे लोग पसंद हैं जो किसी को मारना नहीं चाहते,
ध्यान रहे हाजी मोहम्मद बौना यह कभी नहीं बोलेगा कि मुझे देश के दुश्मनों को मारना पसंद नहीं,
क्योंकि सीधी तरह से बात कर देता तो चेतन मस्तिष्क पर जाता और लोग पर एजेंडा उल्टा पड़ जाता इसलिए बोलना यही है पर लोगों को घुमाकर बात परोसो तो उनको पता भी न चले और एजेंडा भी कायम रहे,
गौर से सुनें मेरा यह डॉयलॉग👇
वही पीके वाला पान चबाते चोर जैसा मुँह और पंजाबी डॉयलॉग की इतनी घटिया डिलिवरी, अबे इससे अच्छा तो रील्स बनाते बच्चे बोल लेते हैं,
बहिष्कार पूर्ण बहिष्कार
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Peace if possible, truth at all costs.