
ईसा ने जितने भी तथाकथित चमत्कार किए हैं उससे अधिक अपने यहाँ कई संतों ने थोक भाव में किए हैं लेकिन किसी भी संत ने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा नहीं किया और ना ही उसके अनुयायियों ने उसका वैसे मार्केटिंग किया ।
ईसा के नाम पर जो चमत्कार बताए जाते हैं -जैसे मृतक को जीवित करना, पानी पर चलना, थोड़े से अन्न की टोकरी से पूरे गाँव को खिलाना । ऐसे चमत्कार कई संतों के किए हुए हैं। हाँ, पानी से शराब किसी ने नहीं बनाई वो इसलिए क्योंकि अपने यहाँ शराब को सम्मान नहीं दिया जाता था। मौसम पर हुकूमत के अलग अलग किस्से हैं । नवनाथों की बात करेंगे तो बात बहुत दूर तलक जाएगी। नाथपंथी संतों के चमत्कार भी कम नहीं ।
वैसे अगर ज्ञानेश्वर की बात करें तो उनके नाम से दीवार उड़ाकर ले जाने का भी चमत्कार दर्ज है, लेकिन मैं एक और चमत्कार की बात करना चाहता हूँ ।
जब उन्होने सर्व सचेतन चीजों में एक ही परमात्मा होने की बात कही तो उनका मज़ाक उड़ाया गया । उनसे कहा गया कि यहाँ ये भैंसा है जिसका नाम भी वही है तो तुम्हारा है । क्या इसे कोड़े मारे तो तुम्हारे पीठ पर बल उठेंगे ? ज्ञानेश्वर ने हामी भरी और वैसा ही हुआ ।
अब अगर ईसा भी ऐसा ही कुछ करते, मतलब उनको लगाए कोड़ों की पीड़ा से सज़ा फरमानेवाला गवर्नर पिलात तिलमिला उठता, जब उनके सर पे काँटों का ताज रखकर उसे दबाया गया तब खून उनपर आरोप लगानेवाले फरिसी के सर से रीसता और उनके उठाए हुए सलीब के वज़न से कोई और झुक जाता ...…
यकीन मानिए, वे वहीं जो भी खुद को घोषित करते, तत्काल सभी उनके पैरों में गिरकर कुबूल करते। वे खुद भी न मरते । और तो और, उनका संप्रदाय पूरे ज़ोर से स्थापित हो जाता और उनको पूजने के लिए जो लाखों इसाइयों को तत्कालीन राज सत्ताओं के हाथों भयानक तरीके से मृत्युदंड मिला, वे भी ससम्मान इसाई बन सकते और शांति से जी सकते ।

चर्च में 993 मासूम बच्चों का किया यौनशोषण,
सेक्युलर और मीडिया मौन!
जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे सुप्रीम कोर्ट में अपराध सिद्ध हो गया हो, सेक्युलर भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने लगते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है, अनेक झूठी कहानियां बन जाती हैं। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन-से हिन्दू साधु-संत पर कौन-सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलानी है? ऐसा लगता है- यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा!
वहीं, दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।
जिस चर्च के बारे में कहा जाता था कि वहां जीसस की शिक्षाएं दी जाती हैं, लोगों को सच का मार्ग दिखाया जाता है, वहां के पादरी एक तरह से जीसस के दूत की तरह हैं उस चर्च में वर्षों से ऐसा भयानक पाप हो रहा था, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। लोगों ने उस चर्च में अपने बच्चों को इसलिए भेजा था ताकि वह चर्च के ईसाई पादरियों के पास रहकर जीसस की शिक्षाओं को ग्रहण करेंगे लेकिन वहां तो कुछ और ही होता था। जिन पादरियों को जीसस का दूत समझा जाता था, वो पादरी हैवान बन चुके थे। चर्च को बलात्कार का अड्डा बना दिया गया था जहां 1 हजार के करीब बच्चों का यौन शोषण किया गया।
मामला पोलैंड के एक कैथोलिक चर्च का है जहां एक नई रिपोर्ट में 300 बच्चों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। मीडिया सूत्रों से 28 जून 2021 को नाबालिगों के शोषण को लेकर जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 1958 से लेकर 2020 तक करीब 292 पादरियों ने 300 बच्चों का यौन शोषण किया। इनमें लड़के और लड़कियाँ, दोनों ही शामिल थे। 2018 के मध्य से लेकर 2020 तक इनमें से कई हालिया मामलों की शिकायत चर्च प्रशासन से भी की गई।
कई पीड़ितों, उनके परिवारों और पादरियों के अलावा मीडिया और सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट तैयार की गई है। हाल ही में वारसॉ में पोलैंड के कैथोलिक चर्च के मुखिया आर्कबिशप वोजसिक पोलाक ने पीड़ितों से माफ़ी माँगते हुए कहा कि आशा है कि वो पादरियों को क्षमा कर देंगे। उन्होंने बताया कि वो पहले भी माफ़ी माँग चुके हैं। कुल मिला कर चर्च को 368 बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपी गई है।
बता दें कि इनमें से 144 मामलों को तो वेटिकन के ‘कॉन्ग्रिगेशन ऑफ डॉक्ट्रिन ऑफ फेथ’ ने भी शुरुआती जाँच में पुष्ट माना है। 368 में से 186 की अभी भी जाँच की जा रही है। हालाँकि, वेटिकन ने इनमें से से 38 मामलों को फर्जी मान कर उन्हें नकार दिया है। यौन प्रताड़ना के इन मामलों की जाँच कर रहे अधिकारी ने बताया कि उनके पास कई रिपोर्ट्स आई हैं। इस तरह की पिछली रिपोर्ट मार्च 2019 में जारी की गई थी।
इससे पहले चर्च की जो पहली रिपोर्ट आई थी, उसमें 1990-2018 के बीच के मामलों के बारे में बताया गया था। इस दौरान करीब 382 पादरियों द्वारा 625 नाबालिग बच्चों का यौन शोषण किया गया। ताज़ा रिपोर्ट में केवल उसके बाद खुलासा हुए मामलों को ही शामिल किया गया है। इस तरह चर्च में कुल 993 बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इनमें से 42 यौन शोषक पादरी ऐसे हैं, जिनके नाम पहली रिपोर्ट में भी दर्ज थे और उनके नाम दूसरी रिपोर्ट में भी मौजूद हैं।
ऐसे तो मौलवियों व पादरियों पर यौन शोषण के हजारों मामले हैं लेकिन मीडिया का कैमरा व तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसपर मौन हो जाता है जबकि किसी साधु-संत पर साजिश के तहत झूठे आरोप लगे तो भी मीडिया चिल्लाने लगती है। ऐसे बिकाऊ मीडिया की बातों में आकर हिंदू धर्मगुरुओं के खिलाफ गलत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
तो क्या इसा अपने उन अनुयायियों के मृत्यु के भी दोषी नहीं हैं ? जो ईसा कोई चमत्कार दिखाकर खुद को बचा न सके वो किसे कैसे बचाएंगे ?
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और हाँ, जिन इसाइयों को इन सभी चमत्कारों को सत्य नहीं मानना है, शौक से असत्य मानें, हमारी कोई जबर्दस्ती नहीं है । बस, आप के लिए भी हमारी वही भावना रहेगी, इतना अवश्य याद रखें ।
- संपादित रिपोस्ट
#Church #Cristian,
Peace if possible, truth at all costs.