#वर्ण व्यवस्था vs #जाति व्यवस्था

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*     धर्म vs सत्संग

जाति व्यवस्था vs वर्ण व्यवस्था

🚩आज सनातनियों को तोड़ने का सबसे बड़ा अस्त्र कोई है तो वो है जाति व्यवस्था,जो राजनीतिक उद्देश्यों से बनाई गई और पोषित की गई

🚩हमारे धर्म मे जो भी व्यवस्था थी वो कर्म आधारित थी यानी जो व्यक्ति जिस कर्म को स्वीकार करता है उसी के अनुरूप वर्ण को धारण करता है

🚩मुख्यतः 4 वर्ण है:- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र इस पर विस्तृत जानकारी श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन कर प्राप्त कर सकते है।

स्वाभाविक कर्म यानी जो स्वभाव से पसन्द हों किसी के दबाव में किये जाय

👉समझिये:- जो तेल निकालने का काम करे वो तेली, मिट्टी के बर्तन बनाये वो कुम्हार, लकड़ी का सामान बनाये वो खाती, लोहे का काम करे वो लोहार, स्वर्णकार को कहेंगे सोनार. ..... अब बताइये इस कर्म आधारित वर्ण या जाति व्यवस्था में कहां किसी का अपमान है???

🚩😡अपमान है यदि तो राजनीतिक जाती व्यवस्था में जो राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग में लायी जाती है

🚩दुखद है कि कुछ मूढ़बुद्धि अज्ञानी भगवान को भी जातियों में बांट रहे हैं

🚩🕉आज एक बहुत बड़े वर्ग को दलित कह (ये एक राजनीतिक जाति है क्योंकि हिन्दू शास्त्रों में इसका कोई वर्णन नहीं) बोलकर हिंदुओं से अलग कर मुश्लिमों में मिलाने की कोशिश की जा रही है लेकिन दलित भाइयों एक बार पाकिस्तान और कश्मीर में दलितों पर हुए मुस्लिम अत्याचार पर नजर डालनी चाहिए

🕉🚩आज दलित (राजनीतिक जाति) भले ही षड्यंत्र में फंसकर हिंदुओं से घृणा करें और हिंदुओं का विरोध करें लेकिन हम हिन्दू इन्हें षड्यंत्र का शिकार होने के लिए अकेला नहीं छोड़ने वाले, हम इन्हें सदैव रक्षित करने की कोशिश करते रहेंगे और इस्लामिक आक्रांताओं का शिकार होने से बचाएंगे

🕉🚩अनेकों कथित दलित नेता केवल अपनी राजनीतिक महत्वकांशा के लिए हिंदुओं को तोड़ते आये हैं लेकिन अब ये ओर नहीं होने देंगे... इनके मंसूबो को खत्म कर धर्म रक्षा अवश्य करेंगें

तो दोस्तो हम बात करते है प्राचीन काल की वर्ण व्यवस्था और आज की जाति व्यस्था की प्राचीन वर्ण व्यवस्था आज की जाति व्यवस्था से लाख गुना अच्छी थी आज हम मौजूद जाति व्यवस्था में जी रहे है जिस से समाज मे वैमनष्यता बहुत ज्यादा गई है समाज और लोगो विघटन बहुत हो रहा है जैसा कि हम आज देख भी रहे है

तो आज हम अपनी वैदिक वर्ण व्यवस्था पर नजर डालते है वो आज के जाति व्यवस्था के मुकाबले कितनी मजबूत भी और आज से लाख गुना अच्छी क्यो है इसे हम आज आसान वर्तमान भाषा मे समझने का प्रयास करते है

मान लो कोई मेडिकल कॉलेज है उसमें कोई लड़का शादी करना चाहता है तो वो किस से करेगा अपनी जाति में किसी कन्या से करेगा आज की स्थिति को देखकर अब स्थिति ऐसी बनती है की उसके समाज मे उसके योग्य कोई इतनी पढ़ी लिखी लड़की नही मिलती है तो वो क्या समाज की किसी अनपढ़ या उस से कम अशिक्षित लड़की से शादी करेगा

नही करेगा क्योकि लड़की उसके योग्य नही है हर कोई चाहेगा कि लड़की उसके योग्य हो ताकि समाज में वो उसके साथ चल सके (तो दोस्तो पहले जो वर्ण व्यवस्था थी वो जन्म से नही थी कर्म से थी कर्म के अनुसार व्यक्ति वर्ण में पहुचता था अगर कोई व्यापार का रास्ता चुनता तो वो वैश्य हो जाता था अगर कोई शास्त्रो का ज्ञान रखता तो वो ब्राह्मण हो जाता और जो धर्म की रक्षा और मानवता की रक्षा के लिए शास्त्र उठाता तो वो क्षत्रिय हो जाता था इन तीनो में से कोई भी रास्ता जो नही चुन पाता था वो अज्ञानी ही कहलाया जा सकता था ऐसी स्तिथि में उसका वर्ण शुद्र हो जाता था इसका मतलब ये नही था कि उसको हीन भावना से देखा जाए ऐसे लोगो को असहाय जानकर उस टाइम उनका बहुत ही ख्याल रखा जाता था ताकि कोई इनका शोषण कर सके क्योकि बुद्धिहीन व्यक्ति को कोई भी जल्दी से मूर्ख बनाकर उसका शोषण कर सकता था जिसकी मोटी बुद्धि हो वो चतुराई के कोई काम नही कर सकता था इसलिए ये लोग खेती और सेवा करते थे सेवा और खेती करने बालो का कोई अपमान या शोषण करे तो ये सृष्टि चल सकती है

नही चल सकती अगर सेवक सेवा खाने में जहर दे दे तो क्या होगा सेवक का काम सबसे ज्यादा विश्वसनीय होता है अगर खेती करने बालो का शोषण हो और खेती करने बाले खेती करना छोड़ दे दो ऊपर तीनो वर्ण क्या कर सकते है कुछ भी नही अपना भी पेट नही भर सकते थे इस हिसाब से देखा जाए तो इनका शोषण नही होता था कुछ चतुर लोगो ने इनका शोषण किया जिसकी वजह से हमारी वैदिक व्यवस्था पर ये एक कलंक की तरह लग गया और कुछ स्वार्थी लोगो ने शास्त्रो से छेड़छाड़ की उसके बाद मुस्लिमो और ईसाइयों ने भी जमकर इसमे छेड़छाड़ कर के सनातनियो को आपस मे लड़वाकर वैर पैदा कर दिया एक दूसरे का दुश्मन बना कर फूट डाल दी और फिर हम पर शासन किया )

फिर से कहनी पर लौटते है

तो हर कोई चाहेगा लड़की उसके योग्य हो और आजकल आप को यही देखने को मिलेगा जो व्यक्ति जिस फील्ड में है वो ऐसी ही लड़की / लड़का से शादी करेगा जो उसके फील्ड का ताकि समानता बनी रहे

किसी ने देखा है कि एक डॉक्टर किसी अनपढ़ या कम शिक्षित लड़की / लड़का से शादी करते नही देखा होगा आज के दौर में देखा जाता है एक डॉक्टर दूसरे डॉक्टर से शादी करता है चाहे वो किसी भी समाज या धर्म की हो तो यही है उसका वर्ण यही थी पहले वर्ण व्यवस्था बस आज इसके मायने बदल गए है और हम इसे दूसरे नजरिये से देखते है अगर आज हम वैदिक धर्म ग्रंथ पढ़े तो आप को ये सारी बाते बडी आसानी से समझ जायेगी और आज जो जातिवाद का जहर समाज मे घुल गया है और मानवता कलंकित हो रही है इस जातिवाद को खत्म कर के एक वार पुनः हमे वर्ण व्यवस्था की तरफ मुड़ना होगा ताकि हम अपनी आगे आने बाली पीढ़ी को एक अच्छा माहौल दे पाए नही तो हम आपस मे ही लड़ लड़कर मर जायेंगे और आजकल आप लोग देख भी रहे होंगे कुछ स्वार्थी लोग कैसे जाति के नाम पर लाशो पर राजनीति कर रहे है हमे जरूरत है एक बार फिर से अपने धर्म के बारे में जानने की हमारा इतिहास स्वर्णिम रहा है मानवता और इंसानियत की अगर किसी ने रक्षा की है तो वो हमारा सनातन ही धर्म है इस से अच्छा कोई धर्म नही है चाहो तो सब धर्म के इतिहास उठाकर देख लो सब ने मानवता का कैसे कत्ले आम किया है..

हर हर महादेव🔱

जय सत्य सनातन🚩

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉



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