मोगुल यानी गुलशन कुमार मने भारतीय संगीत इंडस्ट्री को अलग लेवल पर स्थापित या कहे तहलका मचाने वाली शख़्सियत की बॉयोपिक और भूषण कुमार व टी-सीरीज के लिए ड्रीम प्रॉजेक्ट है।
भूषण कुमार ने 2018 में अक्षय कुमार को केंद्र में रखकर अनाउसमेंट की थी। 3 महीने में फ़िल्में निपटाने वाले खिलाड़ी के रहते, म्यूजिकल कंटेंट फ्लोर पर जाने को राजी न हो रहा था। आखिर में ख़बरें निकली और ऑफिसियल स्टेटमेंट आई, अक्षय कुमार और टी-सीरीज के बीच क्रिएटिव डिफरेंस है। इसलिए उन्होंने फिल्म से अलग होने का फैसला लिया है। निर्माताओं ने अगले कदम में आमिर खान को लाइन-अप किया और उन्हें कंटेंट मज़ेदार लगा। क्योंकि गुलशन कुमार की जीवनी में शून्य से शिखर का रास्ता रहा है तिस पर उनकी मृत्यु ज्यादा सुर्खियों में रही थी। उन दिनों गुलशन कुमार लोगों की निगाहों में थे, लोकप्रिय भजन, हनुमान चालीसा हाई लाइट में थे। बी-टाउन के पार्श्वगायकों में भजन के प्रति रुझान बढ़ने लगा और इसके पीछे गुलशन कुमार थे। बॉलीवुड के म्यूजिक माफियाओं को गुलशन कुमार के इनिसेटिव रास न आए। बाक़ी इतिहास साक्षी है।
आमिर खान के साथ मोगुल अगले स्टेप्स ले रही थी। लाल सिंह के बाद फ्लोर पर जाने की बातें कही गई। वही, दूसरी ओर भूषण कुमार व फ़िल्म के निर्देशक सुभाष कपूर पर मीटू के तहत आरोप लगे। इससे माहौल बदलने लगा, साजिद खान से हॉउसफुल 4 छीन ली गई। ऐसे ही सुभाष कपूर के साथ आमिर आगे-पीछे होने लगे।
प्री कोविड में मोगुल का बिगुल बजा था, पोस्ट कोविड में अनिश्चितकाल के लिए होल्ड पर चली गई है। इधर, आमिर ने अभिनय से ब्रेक लेने की घोषणा कर दी है। मतलब आमिर भी मोगुल छोड़ चुके है।
मोगुल से ए लिस्टर हीरो का पीछे हटना, किसी दबाव का इशारा कर रहा है। वरना, टी-सीरीज के मुखिया आदिपुरुष के वीएफएक्स को री-करेक्शन पर 100 करोड़ का बजट अलॉट कर सकते है तो अपने पिता की बॉयोपिक पर पैसा बहा देंगे। बड़े से बड़ा चेहरा फ़िल्म होगा, कोई न नहीं कह पाएगा। आमिर ने दिलचस्पी दिखलाई ही थी।
लगता है मोगुल को बनाने न दिया जा रहा है। तभी तो कोई शेप न ले रही है। अक्षय कुमार को किसी फिल्म में क्रिएटिव डिफरेंस लगने लगा न, तो फ़िल्में 3 महीने में कतई पूरी न होगी। दरअसल, अक्षय कुमार को क्रिएटिव में लुक को लेकर पेंच रहता है। इसके कारण में एक साथ में कई फ़िल्में फ्लोर पर होती है और उनके किरदार उनके पीछे होते है, उसी क्रम में परमानेंट लुक किसी को न देते है विग पहनकर निपटाते बनते है।
अक्षय कुमार की डिक्शनरी में क्रिएटिव मामले रहे होते, तब सम्राट पृथ्वीराज में विग वाली मूछें न पहननी पड़ती, प्रोडक्शन डिजाइन में इंटरेस्ट लेते। यहाँ उनका फण्डा है पैसे लो, कंटेंट दो। ख़ैर
हो सकता है, गुलशन कुमार की मृत्यु के पीछे जिनके तार जुड़े है वे फ़िल्म को आगे बढ़ने न दे रहे है। बॉयोपिक पर ग्रहण लगा हुआ है। अधिकतर बजट, या डिस्ट्रीब्यूटर के चलते फ़िल्में डब्बा बन्द होती है। इसके सूत्र में तो महासागर है। इसमें कोई समस्या न होनी व अबतक सिल्वर स्क्रीन पर आ जानी थी।
Peace if possible, truth at all costs.