प्री-वेडिंग, वेडिंग शूट के नाम पर बाजार में एक अलग ही लेवल का खेल चल रहा है. लोगों पर आधुनिकता का भूत सवार हो गया है।
हिन्दू दुल्हन को कभी सुट्टा,चिलम फूंकता दिखाते हैं,कभी हाथ में शराब का गिलास पकड़ा देते हैं,कभी नीचे से लहँगा गायब कर शोट्स पहना देते हैं। पर हम इनका विरोध नहीं करते बल्कि हमारे घर की बेटियाँ प्री-वेडिंग शूट के नाम पर इनका अनुकरण करने लगी हैं।
वेस्टर्न की नकल कर हिंदू दूल्हा-दुल्हन शेंपियन की बॉटल खोल रहे हैं या मंडप पर किस्स कर रहे हैं। ।
सनातन संस्कृति यानी हिंदू विवाह पद्धति में दुल्हन देवी स्वरुप लक्ष्मी है और दूल्हा विष्णु अवतार। सहरा पहने लड़के से चरण स्पर्श तक नहीं करवाये जाते। लेकिन रतिक्रिया की कसर छोड़ हर तरह की अश्लीलता का प्रदर्शन हो रहा है। हम हमारे संस्कारों की धज्जियां उड़ाने वाले टीवी नौटंकी, फिल्मों और फिल्मी लोगों की शादियाँ से प्रभावित हो अपने पवित्र संस्कारों को नष्ट करने पर तुले हैं।
आधुनिकता या वामपंथी षड्यंत्र..!?
मोटे मोटे तौर पर भारत में प्री वेडिंग शूट का माहौल २०१० के बाद ज़ोर पकड़ने लगा था। सन २०१५ आते आते ये परंपरा आवश्यक हो गई और प्रोफेशनल भी। हम भारतीय बाहर से बुरी आदतें सीखते हैं लेकिन प्री वेडिंग शूट की गंदी आदत बाहर से नहीं आई। विदेश में डेस्टिनेशन वेडिंग शूट का रिवाज ज़रूर रहा है लेकिन प्री वेडिंग शूट की संक्रामक बीमारी भारत, जापान और चीन में अधिक फैली हुई है।
इन तीन देशों में ब्याह बहुत होते हैं। चीन में प्री वेडिंग शूट का कारोबार अरबों में पहुंच चुका है। यही दशा भारत में भी है। भारत में प्री वेडिंग शूट एक अन्य रचनात्मक स्तर पर है। बाइक पर बैठ दुल्हन को उड़ा ले जाने के एक्शन दृश्य भी प्री वेडिंग शूट का हिस्सा है। मादकता को पीछे छोड़ प्री वेडिंग शान से अश्लील हो चले हैं। हालांकि इस कुप्रथा से लड़ने के लिए तीन समाज मैदान में कभी के उतर चुके हैं। मध्यप्रदेश से सबसे पहले प्री वेडिंग शूट को प्रतिबंधित कर दिया गया। यहां के सिंधी समाज, माहेश्वरी समाज और जैन समाज ने इसे बैन कर रखा है।
आपको अधिक कुछ नहीं करना है। अपने समाज के लोगों के साथ बैठक कीजिए। प्री वेडिंग शूट के विरुद्ध प्रस्ताव पास कीजिए। जो प्रस्ताव न माने, उसके ब्याह में जाने की जरूरत ही नहीं है। उनको कहिए कि जब पांच लाख प्री वेडिंग शूट पर खर्च दिया तो और पांच लाख खर्च कर लोगों को भी किराए पर बुला ले। ये देश हमेशा से ऐसा नहीं था। सूरज बड़जात्या की विवाह आधारित फिल्में आने से पूर्व कम से कम मध्यमवर्ग और निम्न मध्यमवर्ग विवाह पर आवश्यक खर्चें ही करता था। नब्बे के दशक के बाद शादियों में ग्लैमर आ गया। ये ग्लैमर का झब्बा हमारे सनातन विवाहों के लिए बहुत ही अशुभ है।
भारत में मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय नव विवाहित जोड़ों की शादी की अगली सुबह कर्ज के बोझ से हुआ करती है। अधिकांश लड़कों को आलीशान विवाह का कर्ज स्वयं ही चुकाना होता है। सोचिए विवाह की पहली सुबह वर वधु के अकाउंट में वहीं पांच लाख जमा किए जाए, जो फोकट के तमाशे में जला दिए गए थे। सोचिए उनकी वह सुबह चिंतामुक्त, कर्जमुक्त और कितनी आशावान होगी।
समाज की प्रतिष्ठा दिनों दिन गरत में जा रही है।
अश्लीलता भरे गानों के साथ बन्दोली मे अपनी बहिन बेटियां नाच गान कर रही है। समाज के युवा भी मुल्ला कट दाढ़ी रखकर पठानी शूट पहनकर पाश्यात्य देशों के नवाब बनकर खूब अभद्रता दिखाते समाज के बड़े बुजर्गो को मोन्न मूक यह दृश्य देखना पड़ता है।
समय के रहते सुधार नही हुवा तो दूसरे समाजों की तुलना में अपना स्तर गिर जाएगा।फिर शादी एक धार्मिक व सामाजिक बन्धन नही रहकर सामाजिक समझौता रह जायेगा।
कई समाजों में प्री वेडिंग फ़ोटो शूट मनाया जाता है जिससे कई बार शादी से पहले भी अन बन शुरू हो जाती जो ज्यादा समय तक नहीँ चलती है।
शादी के पवित्र बंधन के साथ खिलवाड़ करते है।स्टेज प्रोग्राम में वर राजा वधु को सामने आकर हाथ पकड़कर स्टेज पर ले जाता है इससे भी कहानी खत्म नहीं होती है जब वर वधु जहाँ शोफा लगा होता है वहाँ पहुँचते है तो वहाँ पर सोफे में वर का भाई बैठ जाता है जो मुँह मांगी कीमत मांगता है जो लेने के बाद उठता है।
प्रिय सज्जनों जब हस्त मिलाप पंडित जी करवाते है तब आगे पर्दा रखते है जिससे किसी की नजर नही लगें जब सबके सामने वर राजा जो पठानी दाढ़ी व शूट में कन्या का हाथ पकड़कर सबके सामने लाता है तो वह ब्रह्म विवाह नहीं होता है वह पिचाश विवाह की श्रेणी में आता है।
हा वरमाला का वर्णन जरूर आता है वह भी मर्यादित तरीके से भगवान राम व सीता का विवाह वर्णन में वरमाला का उल्लेख जरूर है।
जब कि देवर जी का शोफे पर बैठकर याचना करने का उल्लेख व हाथ पकड़कर वधु को ले जाने का किसी भी विवाह पद्ति में उल्लेख नहीं।
भगाकर,पकड़कर,बलपूर्वक जो वधु को ले जाता है वह राक्षस विवाह की श्रेणी में आता है।
उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि वह मॉडर्न दिखने के लिए क्या कर रही हैं। समाज में यह गंदगी तेजी से फैल रही है।
जिस तेजी से लोग मॉर्डन लुक की ओर बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए बहुत जल्द शादी की रात की कोई तस्वीर दिखे तो हैरान मत होइए।
आज से पहले की पीढ़ी लाखों रुपए खर्च करके यह क्यूटियापा नहीं करती थी तो कौन से महत्वपूर्ण अवयवों की कमी रह गई उनके वैवाहिक जीवन में?
जरा कल्पना कीजिए,एक ओर मंडप में सप्तपदी के मंत्रों का उच्चारण हो रहा हो और दूसरी ओर बड़ेबड़े प्रोजेक्टर पर आपकी दुल्हन बनी हुई बेटी या बहू की प्रीवैडिंग शूट की ऐसी सिजलिंग हॉट तस्वीरें फ्लैश हो रहीं हों,शराब के नशे में धुत मेहमान आपके परिवार की मर्यादा आपकी बहू बेटी पर अश्लील टिप्पणी कर रहे हों तो आपको कैसा लगेगा?
अब कुछ लोग कुतर्क करने के लिए यह भी कह सकते हैं कि जरूरी थोड़े ही है हमारे बच्चे भी प्रीवैडिंग शूट में इतनी अश्लीलता करेंगे।
तो उनसे मेरा बस इतना कहना है एकबार जब शूट होने ही लगेगा तो यह आप नहीं कैमरामैन और वायरल होने के लिए बेताब हो रहे दूल्हा दुल्हन तय करेंगे कि ओंठों पर दाँत गड़ाते हुए फोटो खींचने पर ज्यादा वायरल होगी या कहीं और।
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो ऐसे अवसरों पर कैमरामैन और वैडिंग प्लानर के साथ तालमेल बिठाने के साथ-2 संस्कारों का भी ध्यान रख सकें।
हिन्दू दुल्हन को कभी सुट्टा,चिलम फूंकता दिखाते हैं, कभी हाथ में शराब का गिलास पकड़ा देते हैं, कभी नीचे से लहँगा गायब कर शॉर्ट्स पहना देते हैं।
परंतु हम इनका विरोध नहीं करते बल्कि हमारे घर की बेटियाँ प्री-वेडिंग शूट के नाम पर इनका अनुकरण करने लगी हैं।
वेस्टर्न की नकल कर हिंदू दूल्हा-दुल्हन शेंपियन की बॉटल खोल रहे हैं या मंडप पर किस्स कर रहे हैं।
विश्वास ना आ रहा हो तो सेकेंड लास्ट फोटो देख लीजिए।
किसी धनी,संभ्रांत परिवार की पुत्री की विवादास्पद फोटो किस प्रकार लोग प्रीवैडिंग शूट के नाम पर चटखारे ले लेकर देख रहे हैं।
सही और गलत के बीच बस एक महीन सी विभाजन रेखा होती है तो ऐसा रिस्क ही क्यों लेना।
अरे भाई, हिंदू रीतिरिवाजों से अगर विवाह करना है तो शास्त्रोक्त तरीके की विधि का पालन कीजिए ना।
किस वेद,किस शास्त्र में यह 'पूर्व पाणिग्रहण अंतरंग चित्रण' व्यवस्था का उल्लेख है? क्यों विवाह पूर्व ही एकदूसरे को जकड़ते हुए,एकदूसरे से अभद्रता की हद तक लिपटते हुए,होंठ चूसते हुए फोटोज खिंचवाकर अपने धर्म को कलंकित करने पर तुले हुए हो भाई?
आखिर को ईश्वर ने अब सारे जीवन की निकटता भाग्य में लिख ही दी है तो विवाहोपरांत जितना चाहे अंतरंग होते रहिएगा या अपनी संस्कृति को चोट पहुंचाकर ही,कुछ सो कॉल्ड रिवॉल्यूशनरी करके ही आपका ईगो सैटिस्फाइड होगा?
और अगर अमीरी का ही ज्यादा नशा चढ़ा हो कुछ नए-2 रईसों को तो लास्ट फोटो अवश्य देखिएगा। वास्तविक धनी परिवार का प्रीवैडिंग शूट कैसा होता है समझ आ जाएगा। आकाश अंबानी के विवाह के समय प्रेस रिलीज के लिए दी गई इस प्रीवैडिंग फोटो में माँ नीता अंबानी गर्व से निहार रही हैं अपने चिरंजीव बेटे को।
पूरे परिवार की भी एक फोटो साथ है पर विवाह पूर्व दुल्हन के साथ हाहाहूहू,आलिंगन,चुंबन,ग्रोपिंग,स्पैंकिंग और अठखेलियाँ करते हुए आकाश और श्वेता अंबानी की कोई फोटो नहीं है। रियल रॉयल फैमिलीज ऐसी होती हैं। लुच्चेपन का प्रदर्शन नए-2 रईस ही करते हैं खानदानी लोग नहीं।
सनातन संस्कृति यानी हिंदू विवाह पद्धति में दुल्हन देवी स्वरुप लक्ष्मी है और दूल्हा विष्णु अवतार।
सेहरा पहने लड़के से चरण स्पर्श तक नहीं करवाये जाते।
लेकिन रतिक्रिया की कसर छोड़ हर तरह की अश्लीलता का प्रदर्शन हो रहा है।
हम हमारे संस्कारों की धज्जियां उड़ाने वाले टीवी नौटंकी, फिल्मों और फिल्मी लोगों की शादियाँ से प्रभावित हो अपने पवित्र संस्कारों को नष्ट करने पर तुले हैं।
दूसरी बात यह है कि तोरण हमेशा लकड़ी से बने हो जो पांच चिड़िया वाला है वही मारे कभी भी चाइना मेड गजानन लगा तोरण कभी भी नहीँ मारे क्योंकि गजानन भगवान है उनका अपमान नहीं करे।
शादी एक पवित्र बंधन है, एक संस्कार है, कृपया इसका मजाक ना बनाएं। बड़ों और समुदाय के नेताओं को आगे आना चाहिए और इस तरह की अश्लीलता को रोकना चाहिए। 🚩🙏
अपनी वैदिक सस्कृति के रक्षक बनें जिससे कि आपके घर में सुख शांति हो आने वाली सन्तान सस्कारों से भरी हो।
जय परशुराम🙏🙏
लेखनी में त्रुटि के लिये शमा किसी के प्रति को द्वेष भावना नहीं समाज सुधार के लिए पोस्ट साझा की है कोई बुरा नहीं माने लेकिन मनन जरूर करें।
ईश्वर सदबुद्धि प्रदान करें।
Peace if possible, truth at all costs.