वामपंथी मीडिया का कटु सत्य।

0

कारगिल में जबरदस्त लड़ाई हो रही थी, रोजाना पाकिस्तान की तरफ से NH -1 पर shelling होती थी जिसमें जवान घायल होते थे, मारे भी जाते थे।


धीरे धीरे भारतीय फ़ौज ने पलटवार करना शुरू किया और कई Peaks जीत भी ली।


उन्हीं दिनों एक पत्रकार War Coverage के नाम पर घूम रही थी। Army में उनके sources थे। इसलिए बिना रोकटोक कहीं भी चली जाती थी, साथ में Satellite फोन भी होता था।


सीमा पार रावलपिंडी में कोई उस satellite फोन के coordinates पर नज़र रखता था और फिर अचानक कुछ घंटो बाद उन्हीं locations पर जबर्दस्त shelling होती थी। कई जवान घायल होते हैं। कई वीरगति को प्राप्त हुए।

कोई जांच नहीं हुई।


26/11 का हमला हो गया, हमले का दूसरा दिन था। ताज होटल में कई लोग अभी भी फंसे हुए थे।


एक कमरे में कुछ लोग थे, उन्हें जैसे तैसे एक फोन मिल गया और उन्होंने बाहर सूचना दे दी कि वह इस फ्लोर पर हैं और उन्हें बचाया जाए।


सूचना पत्रकार तक पहुंची और पत्रकार ने Live आ कर channel पर बताया कि उस फ्लोर से उसके source ने बताया है कि वहाँ Explosion हुआ है।


कराची में बैठे हुए handlers भी यही channel देख रहे थे। उन्होने तुरंत satellite phone से आतंकवादियों को संपर्क किया और बताया कि इस फ्लोर पर कुछ लोग हैं। जाओ और उन्हें क़त्ल कर दो।


2 आतंकवादी उस फ्लोर के हर कमरे में जा कर देखते हैं एक कमरे में कुछ लोग दिखते हैं। उनकी automatic guns चलती हैं और sources हमेशा के लिए ख़त्म हो जाते हैं।


मुंबई हमले को दो दिन हो चुके थे। नरिमन house (छाबड़ हाउस ) में अभी तक कुछ लोग बंधक बनाये हुए थे, आतंकवादी अब मरने को तैयार थे।


तभी एक Mi -17 helicopter नरिमन house के ऊपर मंडराने लगता है। उसमे से 22 NSG कमांडो उतरते हैं और positions ले लेते हैं। आस पास की छतों पर Media के गिद्ध camera ले कर खड़े थे, Live Coverage और TRP के लालच में operation की Live Feed news channels पर जा रही थी।


कराची से फोन आता है और कमांडो की बकायादा positions बताई जाती हैं। जब NSG enter करती है तो उन पर जबरदस्त हमला होता है। कोई tactic काम नहीं आ रही थी। क्यूंकि जो Shock Element था वो तो अब कहीं रहा नहीं।


आतंकवादियों ने जबरदस्त तैयारी कर रखी थी। Targets उन्हें पता थे, गोलिबारी में NSG के कमांडो गजेंद्र सिंह बिष्ट की मृत्यु हो गयी।


जितने भी hostage थे वह सब भी मारे गए, अंत में NSG ने Blasts किये और सब आतंकवादियों को मार डाला।


TV चैनल्स ने इस live feed से मुनाफा कमाया, वहीं छतो पर टंगे मीडिया वालों को promotions मिले, Awards मिले, किसी को पद्म श्री मिला, कोई लुटियन का प्रिय हो गया।


लेकिन मरा कौन।🫵🏻

हमारे ही लोग और हमारे ही जवान


ना इन पत्रकारो पर कोई कार्यवाही हुई, न कभी हो पाएगी।

यह सब घटनाएं Fiction नहीं हैं।


साभार: The Key Board Warrior ⌨️

Post a Comment

0Comments

Peace if possible, truth at all costs.

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !