1968 में हुआ हिंदुओं के साथ सबसे बड़ा धोखा..

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मथुरा की कथित शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष डॉ जेड हसन का एक बयान कल अखबार में छपा था। 

जेड हसन ने कहा है कि वो कृष्ण जन्मभूमि मामले को अदालत के बाहर निपटाना चाहते हैं। अल तकैय्या (काफिरों को धोखा देने के लिए मुसलमानों द्वारा बोला जाने वाला पवित्र झूठ) करते हुए हसन ने कहा कि मथुरा प्रेम की नगरी है और यहां पर कोई विवाद नहीं होने देंगे और अदालत के बाहर विवाद को सुलझाने के लिए श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान से बात करेंगे। 

ये जानकारी तो आपको होगी ही की मथुरा की सिविल अदालत ने कृष्ण जन्म स्थल के 13.7 एकड़ का जमीन का सर्वे कराने का निर्णय किया है उसी के संदर्भ में हसन का यह बयान आया है।

-यहां आपको ये बात समझनी होगी कि आखिर ये #श्री_कृष्ण_जन्मस्थान_सेवा_संस्थान क्या है? दरअसल श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान, #शाही_ईदगाह कमेटी के द्वारा बनवाया गया एक फर्जी संस्थान है और 1968 में इसी फर्जी संस्थान के साथ शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने एक समझौता किया था। इस फर्जी समझौते के तहत यह तय हुआ था कि #औरंगजेब द्वारा बनवाई गई #ईदगाह_मस्जिद जहां पर है वहीं पर रहेगी । समझौते में #कृष्ण_जन्मभूमि पर हुए अवैध कब्जे को मान्यता दे दी गई थी 

-लेकिन सच्चाई ये है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के पास कोई अधिकार ही नहीं था कि वो शाही ईदगाह कमेटी के साथ कोई समझौता करें क्योंकि श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान की इस मामले में कोई भूमिका 1968 के पहले थी ही नहीं।

दरअसल कटरा केशव देव जिसे कृष्ण जन्मभूमि कहा जाता है ये पूरा 13.7 एकड़ का भूमि खंड #मदन_मोहन_मालवीया के द्वारा बनाए गए ट्रस्ट, #श्री_कृष्ण_जन्मभूमि_ट्रस्ट के नाम पर था और तब मस्जिद की जमीन भी उसी के दायरेमें आती थी लेकिन #शाही_ईदगाह_कमेटी ने बहुत चालाकी से 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान नामक एक फर्जी संस्था से समझौता कर लिया और उसको प्रचार के माध्यम से मान्यता दिलवाने में सफलता हासिल कर ली।

-इसीलिए अदालत में श्री कृष्ण जन्म स्थान को लेकर हिंदुओं ने जो भी केस दायर किए हैं उसमें 1968 के इस समझौते को रद्द करने की बात कही गई है दरअसल सच्चाई ये है कि मदन मोहन मालवीया के द्वारा बनाए गए श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने उद्योगपति बिरला की मदद से करोड़ों रुपए खर्च करके यह भूखंड राजा पटनीमल के वारिसों से खरीदा था लेकिन चालबाज ईदगाह कमेटी ने दगाबाजी करके #कांग्रेस के राजमें हिंदुओं को चकमा दिया। जबकि 1947 के पहले शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के हैसियत सिर्फ और सिर्फ राजा पटनीमल के एक किराएदार के रूप में ही थी।

- यानी जो समाचार 29 दिसंबर के अखबारों में प्रकाशित हुआ कि शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष जेड हसन श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान से बात करेगा और अदालत के बाहर विवाद का हल करेगा । ये 1968 से चली आ रही ईदगाह कमेटी की उसी दगाबाजी का एक्सटेंशन ही है।

-हिंदुओं के साथ 1968 में इतना बड़ा खेला हो गया इतनी बड़ी धोखेबाजी हो गई और ये सब इसलिए हुई क्योंकि उस समय #गांधी_परिवार देश के ऊपर हुकूमत कर रहा था । देश की सभी संस्थाएं अदालत से लेकर के अद्लिया तक और चपरासी से लेकर के अफसर तक सब कांग्रेस पार्टी के गुलाम हुआ करते थे और यही वजह है कि शाही ईदगाह कमेटी की चालबाजी चल गई लेकिन अब इस चालबाजी का पर्दाफाश करने के लिए इस लेख को सभी व्हाट्सएप नंबर पर तुरंत शेयर कर दें।

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