कुरान के आधार पर अल्लाह के ज्ञान का नमूना

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कुरान के आधार पर अल्लाह के ज्ञान का नमूना दिया जा रहा है

1-अल्लाह की आत्मप्रशंसायदि कुरान को अल्लाह का कलाम माना जाये तो अल्लाह ने खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जैसी अल्लाह ने इन आयतों में डींग मारी हैअल्लाह से न तो धरती की कोई चीज छुपी है,और न उसने आसमान की किसी चीज को छोड़ा है "सूरा -आले इमरान3 :5 आकाशों और धरती के अन्दर छुपी हुई सभी बातें अल्लाह जानता है "सूरा -हूद11 :123 अल्लाह आकाशों और धरती के सभी रहस्य जानता है "सूरा -अल कहफ़18:26 क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह वह सभी बातें जानता है जो आकाश और धरती के अन्दर हैं "सूरा -अल हज22:70 कसम है कि अल्लाह को आकाश के बारे में छोटी छोटी बात का पूरा ज्ञान है "सूरा -सबा34 colonthree emoticon बेशक अल्लाह आकाशों और धरती के बारे में सभी गुप्त बातें जानता है "सूरा -फातिर 35:38 अल्लाह वह सभी बातें जनता है जो आकाश और धरती के भीतर हैं "सूरा -तगाबुन64:4

2-अल्लाह सिर्फ दो गिन सकता है जो अल्लाह न तो गणित ठीक से जानता हो और न भूगोल जानता हो उसकी इबादत करना बेकार है .कुरआन की सूरा रहमान (सूरा संख्या55)को पढ़ने से पता चलता है कि अल्लाह दो की संख्या से अधिक नहीं जानता है . इसीलिए उसने हर चीजें सिर्फ दो,ही बनायीं हैं,
उदहारण के लिए,
दो समुद्र हैं जो परस्पर मिले हुए हैं "55:19
दो बहते हुए स्रोते (Fountains )हैं "55:50
दो उबलते हुए पानी के कुण्ड हैं "55:66
डराने वालों के लिए दो बगीचे हैं "55:46
दो बगीचे और भी हैं "55:62
क्या अल्लाह इतना भी नहीं जनता कि दो और दो बगीचे मिलकर चार बगीचे होते हैं?
वह दो पूरब है और दो पश्चिम का स्वामी है "55:17जब अल्लाह ही ऐसी मुर्खता की बात कहता है तभी तो यही कारण है कि कोई मुसलमान बड़ा वैज्ञानिक नहीं बन सका है .
सभी जिहादी बन रहे हैं

3-अल्लाह की कसमें मुसलमान अक्सर अल्लाह की कसम खाते रहते हैं,लेकिन अल्लाह अपनी बेतुकी बातों को सही साबित करने के लिए चाँद की कसमें खाता रहता है जैसे,कसम है चाँद की " सूरा -अल मुदस्सिर74 :32कसम है चाँद की जब वह उसके पीछे छुप जाये "सूरा -अश शम्श91 :2

4-अल्लाह की अक्ल का नमूनाअल्लाह आकाश (space )को कपडेकी तरह फटने वाली वस्तु मानकर कहता है"फिर यह आकाश फट जायेगा,औरउसका रंग तेल की तरह लाल हो जायेगा सूरा -रहमान55:37

5-चन्द्रमा के लिए सीढियांअल्लाह के अनुसार चन्द्रमा पर जाने के लिए सीढियों की जरूरत होगी .और लोग बिना किसी यान के एक एक सीढी चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .अल्लाह मुसलमानों से कहता है "निश्चय ही इसके लिए ( चंद्रमा पर जाने के लिए ) तुम्हें एक के बाद एक सीढी चढ़ना पड़ेगीं "सूरा -इन शिकाक84 :19"لَتَرْكَبُنَّ طَبَقًا عَنْ طَبَقٍ "(इसके लिए अरबी में " तरक्बुन्न तबकन अन तबक "यानि by scalating step by step)अल्लाह के अनुसार जैसे कोई मुल्ला एक एक सीढी चढ़ कर मस्जिद की ऊंची मीनार पर चढ़ जाता है,वैसे ही मुसलमान सीढ़ियाँ चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .

6-अल्लाह की चुनौतीलगता है कि अल्लाह को विज्ञानं की प्रगति और शक्ति का अंदाजा नहीं होगा,या वह सभी को अपने रसूल जैसा अनपढ़ समझता होगा .तभी उसने मनुष्यों को ऐसी चुनौती दे डाली होगी . अल्लाह ने कहा कि,हे मनुष्य और जिन्नों के समूहों यदि तुम में सामर्थ्य हो तो,इस धरती की परिधि से निकल कर आकाश की सीमा में प्रवेश करके अन्दर घुस कर आगे निकल जाओ " सूरा -रहमान55:33न तो तुम धरती की सीमा से बहार निकल सकते हो,और न आकाश की सीमा में प्रवेश कर सकते हो "सूरा - अनकबूत29:22लेकिन अल्लाह की यह चुनौती उस समय बेकार हो गयी जब1961में अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की सीमा से निकल कर चन्द्रमा की सीमा में घुस गए .और अल्लाह देखता ही रह गया

7-मनुष्य का चन्द्र अभियानचन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है,जो सदा से लोगों की उत्सुकता का केंद्र रहा है,जब वैज्ञानिकों को पता चला कि चन्द्रमा पर भी प्रथ्वी की तरह धरती है,जिस पर जाया सकता है .इसी बात की पुष्टि करने के लिए सन1957में रूसी वैज्ञानिकों ने स्पुतनिक(Sputnik)नाम का एक कृत्रिम उपग्रह यान चन्द्र पर उतारा था .इसके बाद सन1961में रूस ने वोस्तोक1(Vostok1)नाम का एक और यान चन्द्रमा पर भेजा,जिसमे यूरी गागरिन)yuri Gagarin )नाम का एक अंतरिक्ष यात्री था .फिर अमेरिका ने भी20जुलाई1969को नील आर्मस्ट्रोंग(Neil Armstrong)नाम के एक व्यक्ति को चन्द्रमा की धरती पर उतारा था,जो धरती के आकाश की सीमा को भेद कर अंतरिक्ष से आगे बढ़ कर चन्द्रमा की सैर करके वापिस इसी धरती पर सकुशल वापिस आ गया था .इस तरह अल्लाह का वह दावा झूठा साबित हो गया,जो उसमे कुरान की सूरा रहमान55:33में और सूरा - अनकबूत29:22में किया था,कि मनुष्य प्रथ्वी के वायुमंडल को पर करके आकाश की सीमा से आगे नहीं जा सकता

8-अल्लाह कहाँ हार सकता है?अब हमने ठीक से समझ लिया है कि जमीन पर रह कर अल्लाह को हराना कठिन है .और न उसे भगा सकते हैं "सूरा -जिन्न72:12(इसीलिए अमेरिका की नेवी ने ओसामा बिन लादेन पर हवाई हमला करके मौत के घाट उतार दिया था )

9-आकाश से हमलाअल्लाह ने कुरान में खुद यह संकेत दे दिया था कि हमें ( यानि उसके लोगों को) धरती पर रह कर हराना मुश्किल है .अल्लाह ने दावा किया था कि कोई हमारे ऊपर आकाश से हमला नहीं कर सकता .चूँकि अल्लाह अक्सर खुद के लिए बहुवचन सर्वनाम (Plural We)का प्रयोग करता है . इसलिए उसके हम शब्द में अल्लाह के साथ सभी मुसलमान शामिल हैं .अल्लाह के इस दावे को अमेरिका की नेवी ने उस समय गलत साबित कर दिया जब2मई2011को पाकिस्तान के एबटाबाद में गुप्त रूप से छुपे हुए ओसामा बिन लादेन को हवाई हमला करके मार दिया था .अमेरिका के इस अभियान को" ओपरेशन नेप्चून स्पीयर"(OperationNapune Spear )का नाम दिया गया था .अमेरिका का राष्ट्रपति ओबामा खुद मुसलमान है,उसे पता था कि जमीन पर अल्लाह को हराना कठिन होगा .सिर्फ आकाश से हमला करने से ही अल्लाह यानी ओसामा को मार सकते हैं इन ऐतिहासिक अकाट्य प्रमाणों से स्पष्ट हो जाता अल्लाह की आई क्यू (I Q )जकारिया नायक के बच्चे से भी कम होगी .अगर अल्लाह सचमुच ईश्वर होता तो वह ऐसी अवैज्ञानिक,कल्पित,बातों सही साबित करने के लिए कसमे नहीं खाता .लेकिन चाहे कोई कितनी भी कसमें खाए,और कितने भी दावे करे,हरेक झूठ का उसी तरह से भंडा फूट जाता है,जैसे अल्लाह के ज्ञान और दावों का भंडा फूट गया . इसीलिए उपनिषद् में कहा है "सत्यमेव जयते "

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