आखिर क्या है देश को हिला देने वाला चारा घोटाला?

1
जिस वक्त चारा घोटाला चर्चा में आया उस वक्त ये देश का सबसे बड़ा घोटाला था. ऐसा घोटाला जिसमें भैंस स्कूटर पर जाती थीं और मुर्गियां लाखों का चारा खा गईं.
लालू जिस मामले में दोषी साबित हुए हैं वो अब से करीब दो दशक पहले का है. उस वक्त बिहार विभाजित नहीं था.
करीब सात साल लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उन्हीं के वक्त में चारा घोटाला उजागर हुआ. लालू यादव ने इस घोटाले को दबाने की हर कोशिश की.
सीएजी ने घोटाले का जिक्र अपनी रिपोर्ट में कई बार किया लेकिन लालू इसे टालते रहे.
एक फरवरी, 1993.रांची में आयकर विभाग से जुड़े अधिकारियों को टिप मिली कि इंडियन एयरलाइंस एक उड़ान से भारी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है. जब तक आयकर अधिकारी एयरपोर्ट पहुंचे, विमान रनवे की तरफ बढ़ना शुरु हो चुका था.
विमान रुकवाकर आयकर अधिकारियों ने तलाशी शुरु की. पशुपालन विभाग के एक अधिकारी और एक ठेकेदार के पास से कुल मिलाकर तीन करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई और बड़े मात्रा में हीरे और सोने के गहने.
आयकर अधिकारियों ने छापेमारी से मिले सामान की की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी और फिर ऑफिशियल चैनल से ये सूचना पहुंची राज्य सरकार के पास. लेकिन इस पर कार्रवाई करना तो दूर, आंख मूंद ली सरकार ने. लेकिन लालू ये मामला दबाए नहीं रख पाए. 1994 में कई जगह छापेमारी में कई कर्मचारी पकड़े गए. लेकिन अब भी घोटाले का बड़ा रूप सामने आना बाकी थी.
जनवरी 1996 का महीना था. बिहार की लालू यादव सरकार में वित्त आयुक्त थे वीएस दुबे. दुबे की छवि ईमानदार अधिकारी की थी. दुबे के पास राज्य के महालेखाकार कार्यालय की तरफ से पत्र आया, नवंबर और दिसंबर 1995 के दो महीनों में राज्य के पशुपालन विभाग की तरफ से आश्चर्यजनक तौर पर ज्यादा रकम की निकासी सरकारी खजाने से की गई थी. दुबे को इसमें गड़बड़झाले की बू आई.
राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और उपायुक्तों को जनवरी महीने में दुबे ने मेमो लिखा और इस बारे में जांच करने का आदेश दिया. ज्यादातर अधिकारियों ने इस मेमो की अनदेखी की, लेकिन पश्चिम सिंहभूम जिले के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने इसे गंभीरता से लिया और जांच शुरु की. विभाग की कुछ ही फाइलों को पलटा, तो आंखें फट गई.
अमित खरे के हाथ एक ऐसी फाइल लगी, जिसमें मौजूद दस्तावेज ये दिखा रहे थे कि चाइबासा के एक पशुपालन केंद्र की एक मुर्गी दिन भर में चालीस किलोग्राम चीकन फीड यानी दाना खा रही थी. आगे पन्ने पलटे तो पता चला कि उस एनिमल फार्म में दो हजार मुर्गियां दिखाई गई थीं और महज एक महीने में उन्हें इतना चारा खाता हुआ दिखाया गया था, जितना असल में वो अगले चालीस साल में खा सकती थीं. खरे ने सरकारी लूट के इन सबूतों को देखने के बाद इस मामले में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया.
सीबीआई ने जांच शुरू की. मामला अदालत में चला और अब आकर मुकाम तक पहुंचा है. तब से अब सत्रह साल नौ महीने बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को घोटाले के लिए दोषी करार दिया. दिलचस्प ये है कि इस घोटाले की जांच का आदेश बतौर मुख्यमंत्री खुद लालू यादव ने दिया था.
केजरी बिहार मैं चुनाव नहीं लड़ रहे वरन बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेंगे यानी परोक्ष रूप से लालू यादव का प्रचार करेंगे और फ़ायदा पहुंचाएंगे !
केजरी के मूर्ख भक्त किस मुंह से बोलोगे हम भ्रष्टाचार के खिलाफ है 'जी'
समझ में नहीं आ रहा की कांग्रेस, मायावती , लालू, नितीश, मुलायम और अरविन्द केजरीवाल जब एक होकर मोदी के खिलफ है , तो ऐड में झूठ क्यों दिखाया गया की अरविन्द के पीछे सब पड़े है ?

Post a Comment

1Comments

Peace if possible, truth at all costs.

  1. one question only ...
    if a man is culprit den why he gave order to examine ?
    i think u forgotten abut jganaath misra
    ......

    ReplyDelete
Post a Comment

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !