आपातकाल के शोर में जानिए कैसे पटेल को गृहमंत्री पद से हटाने की साजिश रचा करते थे आपातकाल के नायक जयप्रकाश नारायण... #TheTrueIndianHistory
#संदीपदेव। कई लोग कहते हैं तुम उल्टा इतिहास बताते हो, मैं उनसे कहता हूं मैं उस इतिहास को बताता हूं, जिसे किसी न किसी कारण से दबाया गया है। तो, जिस जयप्रकाश नारायण उर्फ जेपी को आज आपलोग जानते हैं, उससे अलग जेपी एक चेहरा जवालरलाल नेहरू के टूल के रूप में भी था, जिसे जवाहर लाल सरदार पटेल के विरुद्ध इस्तेमाल करते थे। गांधीजी की हत्या के बाद उसका सारा दोष पटेल पर मढ़ने और इनका इस्तीफा लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू ने जेपी से एक प्रेस वार्ता का आयोजन करवाया था और पटेल से इस्तीफा लेने का कुचक्र रचाा था। जवाहरलाल पटेल को हटाकर जयप्रकाश नारायण को गृहमंत्री बनाना चाहते थे।
गांधीजी के मरते ही जवाहरलाल ने पटेल को अपने मंत्रीमंडल से हटाने के लिए कुचक्र रचना शुरू कर दिया था। इस कुचक्र रचने के लिए जवाहरलाल नेहरू जेपी को अपने पास अपने आवास में ही रहने का स्थान दिए हुए थे। जवाहरलाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण की इस साजिश में मौलाना आजाद और रफी अहमद किदवई भी शामिल थे। पटेल को हटाने के लिए इन लोगों ने एक बैठक का आयोजन किया। डॉ. दिनकर जोशी ने 'महामना सरदार' में लिखा है, '' इस गुफतगू का पता तत्कालीन मंत्रीमंडल के एक अन्य सदस्य श्रीप्रकाश को लगा और उन्होंने पटेल को इसकी जानकारी दी।''
सरदार ने इसके बाद जवाहरलाल नेहरू से संपर्क कर, इस पर स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि यह उचित नहीं है कि आप अपने घर से इस तरह की कोशिश करें। आपको मेरा इस्तीफा चाहिए तो वह मैं दे देता हूं। जवाहरलाल सीधे सीधे पटेल से तो टकरा नहीं सकते थे, क्योकि संगठन पर पटेल की पकड़ थी, इसलिए वह जेपी का इस्तेमाल कर रहे थे। जवाहरलाल ने सच्चाई खुलने पर जेपी को अपने घर से हटाकर दूसरी जगह पर रहने की व्यवस्था करायी।
बताइए, आपको इतिहास की पाठय पुस्तको में जेपी का यह रूप कभी पढने को मिला या यह कभी पढने को मिला कि जवाहरलाल नेहरू किस तरह गांधीजी की हत्या के बाद पटेल को अपने मंत्रीमंडल से हटाकर स्वच्छंद होने के प्रयास में थे। ... और मुझसे कहते है कि मैं उल्टी हिस्ट्री बताता हूं, अरे नेहरूवादी व वामपंथियों ने इतना झूठ लिखा है कि सच भी आपको आज उल्टा दिखाई देता है। आकाश एक सच है और यदि यह आपको उल्टा दिखायी देने लगे तो समझो कि आपको 'वर्टिगो' अर्थात चक्कर की बीमारी है। ऐसे लोगों से आग्रह है कि आप अपना इलाज कराइए्..।
#संदीपदेव। कई लोग कहते हैं तुम उल्टा इतिहास बताते हो, मैं उनसे कहता हूं मैं उस इतिहास को बताता हूं, जिसे किसी न किसी कारण से दबाया गया है। तो, जिस जयप्रकाश नारायण उर्फ जेपी को आज आपलोग जानते हैं, उससे अलग जेपी एक चेहरा जवालरलाल नेहरू के टूल के रूप में भी था, जिसे जवाहर लाल सरदार पटेल के विरुद्ध इस्तेमाल करते थे। गांधीजी की हत्या के बाद उसका सारा दोष पटेल पर मढ़ने और इनका इस्तीफा लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू ने जेपी से एक प्रेस वार्ता का आयोजन करवाया था और पटेल से इस्तीफा लेने का कुचक्र रचाा था। जवाहरलाल पटेल को हटाकर जयप्रकाश नारायण को गृहमंत्री बनाना चाहते थे।
गांधीजी के मरते ही जवाहरलाल ने पटेल को अपने मंत्रीमंडल से हटाने के लिए कुचक्र रचना शुरू कर दिया था। इस कुचक्र रचने के लिए जवाहरलाल नेहरू जेपी को अपने पास अपने आवास में ही रहने का स्थान दिए हुए थे। जवाहरलाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण की इस साजिश में मौलाना आजाद और रफी अहमद किदवई भी शामिल थे। पटेल को हटाने के लिए इन लोगों ने एक बैठक का आयोजन किया। डॉ. दिनकर जोशी ने 'महामना सरदार' में लिखा है, '' इस गुफतगू का पता तत्कालीन मंत्रीमंडल के एक अन्य सदस्य श्रीप्रकाश को लगा और उन्होंने पटेल को इसकी जानकारी दी।''
सरदार ने इसके बाद जवाहरलाल नेहरू से संपर्क कर, इस पर स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि यह उचित नहीं है कि आप अपने घर से इस तरह की कोशिश करें। आपको मेरा इस्तीफा चाहिए तो वह मैं दे देता हूं। जवाहरलाल सीधे सीधे पटेल से तो टकरा नहीं सकते थे, क्योकि संगठन पर पटेल की पकड़ थी, इसलिए वह जेपी का इस्तेमाल कर रहे थे। जवाहरलाल ने सच्चाई खुलने पर जेपी को अपने घर से हटाकर दूसरी जगह पर रहने की व्यवस्था करायी।
बताइए, आपको इतिहास की पाठय पुस्तको में जेपी का यह रूप कभी पढने को मिला या यह कभी पढने को मिला कि जवाहरलाल नेहरू किस तरह गांधीजी की हत्या के बाद पटेल को अपने मंत्रीमंडल से हटाकर स्वच्छंद होने के प्रयास में थे। ... और मुझसे कहते है कि मैं उल्टी हिस्ट्री बताता हूं, अरे नेहरूवादी व वामपंथियों ने इतना झूठ लिखा है कि सच भी आपको आज उल्टा दिखाई देता है। आकाश एक सच है और यदि यह आपको उल्टा दिखायी देने लगे तो समझो कि आपको 'वर्टिगो' अर्थात चक्कर की बीमारी है। ऐसे लोगों से आग्रह है कि आप अपना इलाज कराइए्..।
आज अचानक यह ब्लॉग देखा - इस में कही गयी कुछ बातों पर मुझे संशय है - 1. जेपी और नेहरु की कभी अन्तरंग मित्रता नहीं रही. 2. नेहरु ने जेपी को कितनी ही बार मंत्री बन ने के ऑफर दिए लेकिन जेपी ने अस्वीकार कर दिए. 3. जेपी कभी PM आवास में नहीं रहे 4. रफ़ी अहमद किदवई कभी सरदार पटेल के खिलाफ नहीं थे 5 श्री प्रकाश कभी इस तरह के कुचक्र का हिस्सा नहीं बन सकते थे. वे सबसे पहले पाकिस्तान में हाई कमिश्नर बने और कराची के एक होटल में अपना ऑफिस खोला था - उस के बाद वे बम्बई के राज्यपाल रहे और अंत में देहरादून में बस गए.
ReplyDeleteआज अचानक यह ब्लॉग देखा - इस में कही गयी कुछ बातों पर मुझे संशय है - 1. जेपी और नेहरु की कभी अन्तरंग मित्रता नहीं रही. 2. नेहरु ने जेपी को कितनी ही बार मंत्री बन ने के ऑफर दिए लेकिन जेपी ने अस्वीकार कर दिए. 3. जेपी कभी PM आवास में नहीं रहे 4. रफ़ी अहमद किदवई कभी सरदार पटेल के खिलाफ नहीं थे 5 श्री प्रकाश कभी इस तरह के कुचक्र का हिस्सा नहीं बन सकते थे. वे सबसे पहले पाकिस्तान में हाई कमिश्नर बने और कराची के एक होटल में अपना ऑफिस खोला था - उस के बाद वे बम्बई के राज्यपाल रहे और अंत में देहरादून में बस गए.
ReplyDeletemai iss blog ki satyata ko parmanit to nahi kar sakta par iss se sahmati jatata hu.
ReplyDeleteJawahar lal nahru Sardar Patel ko futi ankh dekhna bhi nahi chahte the yeh jag jahir hai or wo har samay iss gale k kante ko nikalne ki kosis mai rahte the yeh bhi jag jahir hai.
isliye blog mai jo likhha hai wo satya ho sakta hai...