ईसाइयों के धर्माँतरण संस्थानोँ का कडवा सच।

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भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जब मदर टेरेसा को कहा था कि तुम्हारा ये सेवा का कार्य तो अच्छा है पर तुम हिन्दुओ का धर्मांतरण करना छोड़ दो। तब उस मदर टेरेसा ने कहा था कि धर्म परिवर्तन के लिए ही तो सेवा कार्य करते है। कलकत्ता के अस्पतालों में मरीज तड़प-तड़प कर मर जाता था लेकिन उसे दवा तब तक नहीं मिलती थी जब तक वह अपना धर्म परिवर्तन नहीं कर लेता था। ये तमाम ईसाई जो आज चंगाई समारोह दिखा रहे है और कहते है कि पादरी हाथ हिलाएगा और अंधे को दिखने लग जायेगा, लंगड़ा चलने लग जायेगा और बहरा सुनने लग जायेगा। लेकिन उस दिन तुमने अपना चंगाई समारोह क्यूँ नहीं दिखाया जब अस्पताल में मदर टेरेसा तड़प-तड़प- के मर गयी? तब क्यूँ नहीं हाथ हिलाया ? क्योंकि तुम्हारा चंगाई समारोह चंगाई नहीं नंगई समारोह है। ये तमाम पत्रकार जिन्होंने 6 दिसम्बर 1992 को पन्ने काले किए थे ना, बोलते है न्यूज़ नहीं छापेंगे, साम्प्रदायिकता की बात है, देश के लिए शर्म की बात है। हमे बताये साम्प्रदायिकता का राग रटने वालो तुमने पन्ने उस दिन काले क्यों नहीं किए, उस दिन देश के लिए शर्म की बात नहीं थी! जब हिंदी बोलने पर क्रिस्चन स्कूलोँ के अंदर बच्चो ने कोड़े खाए, जब मेँहँदी लगाने पर बच्चोँ को मारा गया, बच्चियों को मारा गया। तब शर्म नहीं आई? जब 300 मंदिर टूटे तब शर्म नहीं आई ? जब देश की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गयी की देश का सोना गिरवी रखना पड़ा तब शर्म नहीं आई? जब 3000 सिखों को जिन्दा जला दिया गया तब तुमको शर्म नहीं आई? तुम्हारी शर्म के मानदंड अलग है बेशर्मोँ। आज बात करते है देश का प्रजातंत्र खतरे में पड़ जायेगा, प्रजातंत्र खतरे में पड़ जायेगा। अगर हिम्मत है तो हमारी केवल एक बात का जवाब दो, उस स्थान का नाम बताओ जहाँ हिंदू भाव हो प्रजातंत्र खतरे में हो। प्रजातंत्र खतरे में केवल वही पड़ता है जहाँ राष्ट्रवादी लोग कम हो जाते है, जहाँ पर हिंदू कम हो जाते है आजतक मंदिर से कोई गोली चली हो तो बताये ? झगडे कहाँ से चालू होते है ? कहते हैँ संवेदनशील एरिया है। ये मुंबई संवेदनशील क्यों नहीं है? इंदौर का हिंदू बहुल इलाका संवेदनशील क्यों नहीं है? बाकि सब राज्यो में जहाँ हिंदू ज्यादा हैँ वो संवेदनशील क्यों नहीं है? संवेदनशील कश्मीर क्यों है ? आज उत्तरप्रदेश के कई इलाके संवेदनशील क्यों है? संवेदनशील वही होते है जहा हिंदू कम होते है। लेकिन कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता। प्रजातंत्र आज मुंबई में खतरे में क्यों नहीं है? कश्मीर में, असम में क्यों खतरे में पड़ता है ? क्योंकि वह हिंदू कम हो गए है। "प्रजातंत्र है तब तक, जब तक हिंदू है बहुसंख्यक, और प्रजातंत्र का द्रोही कभी ना हिंदू हुआ अभी तक "। क्यों ? क्योंकि मुसलमान पहले भी ज्यादा हुए, कह दिया हम मुसलमान हैँ हमे पाकिस्तान चाहिए। ये क्रिस्चन कहते है हमेँ क्रिस्चनलैंड चाहिए, हमे नागालैंड चाहिए। सबको अपना अपना स्थान चाहिए। लेकिन हिंदू अगर मांगेगा तो क्या? हिंदू को बस केवल उसका हिन्दुस्थान चाहिए। जब ग़दर फिल्म में पाकिस्तान को गाली दी गई तो मालूम पड़ा के क्या होता है के लड़की मुस्लमान है तो लड़का हिंदू नहीं हो सकता। लड़का हिंदू है तो लड़की मुस्लमान नहीं चलेगी। ये टीवी चेनेल जो दिखाते रहे है लड़की हिंदू है ठीक है, लड़का मुस्लमान है ठीक है। कोई दिक्कत नहीं। मुसलमान लड़का हिंदू लड़की से शादी कर सकता है। अपने घर में बेगम बना कर रख सकता है, लेकिन हिंदू लड़का मुस्लमान लड़की से शादी नहीं कर सकता। ये तमाम फिल्म इंडस्ट्री जो आज खड़ी हुई है, आज के पहले जब दिलीप कुमार आया था नाम था ' युसूफ खान ' लेकिन हिंदू नाम रखना पड़ा। मधुबाला को हिंदू नाम रखना पड़ा, मीना कुमारी को हिंदू नाम रखना पड़ा। क्यों ? क्योंकि आज से पहले हिंदू नाम के बिना कोई फिल्म देखने को तैयार नहीं था, और आज ये फिल इंडस्ट्री दिखाती है की कोई भी बलात्कार होगा तो मंदिर में होगा। मंदिर पुजारी होगा तो एक नंबर का गुंडा और वाहियात होगा। हमेशा लड़की की रक्षा करेगा तो मोलवी करेगा, या कोई पादरी करेगा। लेकिन पता है आज जितनी भी इज्जत लुटी जा रही है, सबसे ज्यादा कहा लुटी जा रही है? आज सत्य बोलने की हिम्मत नहीं है। (रोज सैकडोँ यौन शोषण चर्चोँ और मदर्शोँ मेँ हो रहे है पादरियोँ और मौलवियोँ द्वारा।)
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