"समाधि और कब्र में अंतर होता है" ???

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आप सभी के ज्ञान के लिए ये पोस्ट दे रहा हूँ |
योग के आठ अंग है - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि |
जो व्यक्ति सभी चरणों को पार कर लेता है योगी कहलाता है तथा समाधी योग का अंतिम चरण है |
वह व्यक्ति जो योगी नहीं है समाधिस्त नहीं है उसकी समाधी होना असंभव है |
वह ध्यान ही ‘समाधि’ हो जाता है, जिस समय केवल ध्येय रूप ‍का ही भान होता है और अपने स्वरूप के भान का अभाव-सा रहता है। ध्यान करते-करते जब योगी का चित्त ध्येयाकार को प्राप्त ‍हो जाता है और वह स्वयं भी ध्येय में तन्मय सा बन जाता है, ध्येय से भिन्न अपने आप का ज्ञान उसे नही सा रह जाता है, उस स्थिति का नाम समाधि है।
योगी समाधी में से बाहर भी आ जाते हैं तथा कभी कभी इसी स्थिति में ध्याता, ध्यान, ध्येय – इन तीनों की एकता सी हो जाती है | अब इस स्थिति में योगी समाधि से बाहर नहीं आता |
शिष्यों द्वारा किये गए पूर्वावलोकन अथवा योगी के आदेश के अनुसार उनका उसी स्थिति में अंतिम संस्कार कराया जाता है | तथा वह स्थान समाधिस्त स्थान तथा साधारण भाषा में समाधि कहलाता है |
मुस्लिम व्यक्तियों की मृत देह को के भूमि में दबाने के बाद वह स्थान कब्र कहलाती है | इसमें कोई रहस्य नहीं है |
तो आशा करता हूँ की आपको इन में अंतर समझ आया होग|

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Peace if possible, truth at all costs.

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