मसीह, मोहम्‍मद और मार्क्‍सवादियों का दर्द क्‍या है?

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मसीह, मोहम्‍मद और मार्क्‍सवादियों का दर्द क्‍या है, इसे कुछ ऐसे समझिए। मसीहवादियों ने पूरे यूरोप को रौंद दिया। प्राचीन यूनान सभ्‍यता आज कहीं नहीं है, उसे वर्तमान रूप में आप ग्रीस नाम से जानते हैं। यूनान का वजूद ही मिट गया इसी तरह बेबिलोन को मुहम्‍मदवादियों ने नष्‍ट कर इराक और फारस को नष्‍ट कर ईरान बना दिया। कुछ इसी तरह मिश्र की सभ्‍यता को नष्‍ट कर इजिप्‍ट बना दिया ईसायत और ईस्‍लाम ने पूरी दुनिया की प्राचीन सभ्‍यताओं को नष्‍ट कर उसे नया नाम दिया ताकि दुनिया जाने कि इन दोनों धर्म के आने से पहले पूरा संसार अंधकारमय था और इन्‍होंने ही दुनिया में उजाला भरा, नए राष्‍ट्रों का निर्माण किया, जबकि वास्‍तव में इन्‍होंने केवल और केवल विध्‍वंस किया।

लेकिन भारत की हिंदू संस्‍कृति और सभ्‍यता ने इनके पूरे खेल को बिगाड़ दिय। जहां दुनिया की समूची सभ्‍यता को इन्‍होंने 15 से 25 साल के भीतर नष्‍ट कर एक नए नाम से नए देश को खड़ा कर दिया, वहीं 800 साल के इस्‍लामी शासन और 200 साल के ईसायत के शासन के बाद भी राजा भरत का 'भारत' भी बना रहा और उसके 85 फीसदी संतान भी वैसे ही रहे। जिन 15 से 20 फीसदी लोगों ने डर और प्रताड़ना के कारण अपना धर्म बदल लिया था, उनकी भी साझी सभ्‍यता और संस्‍कृति बनी रही, कुछ मूर्खों को छोड़कर।

अंग्रेजों ने जाते-जाते पाकिस्‍तान निर्माण के नाम पर भारत की पहचान नष्‍ट करने की कोशिश की और आज धर्मांतरण और आतंकवाद के बल पर फिर से हमें नष्‍ट करना चाहते हैं। पूरी दुनिया में एक मात्र हिंदुस्‍तानी सभ्‍यता और संस्‍कृति थी, जिसने 1000 साल तक धर्म के नाम पर विध्‍वंस फैलाने वाले इन मसीह-मोहम्‍मदवादियों का मुकाबला भी किया, इन्‍हें परास्‍त भी किया, अपनी पहचान भी बनाए रखी और अपने देश के मूल नाम और स्‍वरूप को भी बनाए रखा। इसके बावजूद इन विध्‍वंसकारियों के तीसरे और सबसे आधुनिक पार्टनर, मार्क्‍सवादी इतिहासकरों ने कहा कि भारत कभी एक राष्‍ट्र नहीं था और हिंदू धर्मभीरू थे। जब कुचलने की शक्ति काम नहीं आई तो मानसिक शक्ति से इसे कुचलना चाहा। आप भी अपने सच्‍चे इतिहास को जानकर इन भारत विरोधियों को उनके झूठ का करारा जवाब दीजिए। शास्‍त्रार्थ की परंपरा ही हमारी मूल शक्ति है, यह याद रखिए।

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