भारत के संविधान मे ‘ सेकुलर ‘ शब्द क्यों ??

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 १९७६ मे भारत के संविधान मे ‘ सेकुलर ‘ शब्द जोड़ा गया था .और ये कहने की जरूरत नहीं की ‘ राम ‘ शब्द भारत की अस्मिता से जब से जुड़ा हुआ है जब दुनिया मे और कोई धर्म था ही नहीं .अब भारत की जनता खुद ही फैसला कर ले की सेकुलर शब्द से मोहबत रखती है की राम शब्द पर अपनी आस्था रखती है .
राम की आस्था को खतम कर पाने की शाजिश सेकुलर शब्द लगाकर कांग्रेस द्वारा रची गयी क्या इसकी सजा अब इन दोमुहे मुल्लो को देने का वक्त नहीं आगया है??????

शिमला के एक लेखक रामकृष्ण शर्मा ने पीएमओ से संविधान की प्रस्तावना से ‘सेकुलर’ शब्द हटाने को एक पत्र भेजा।
लेखक रामकृष्ण शर्मा ने पत्र में तर्क दिया है कि सेकुलर का एक अर्थ धर्महीन होता है। भारत को धर्महीन कहना उचित नहीं है, वो भी देश के संविधान की प्रस्तावना में।
उन्होंने इस शब्द को प्रीएंबल से हटाने के लिए यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाया
रामकृष्ण कौशल ने जब गृह मंत्रालय से आरटीआई में इस पत्र पर हुई कार्रवाई से अवगत करवाने को कहा, तो पिछले दिनों गृह मंत्रालय के उपनिदेशक वीके राजन ने बतौर केंद्रीय जनसूचना अधिकारी जानकारी दी।
लेखक का दावा है कि ऑक्सफोर्ड और वैबस्टर शब्दकोष के अनुसार ‘सेकुलर’ शब्द का अर्थ नॉट रिलिजियस यानी धर्महीन या डिफरेंट फ्रॉम चर्च एंड रिलीजन यानी चर्च या धर्म से भिन्न होना है।
भारत कभी भी धर्महीन, अधर्मी या धर्म से भिन्न नहीं रहा है। भारत की पहचान ही धर्म से है, न कि धर्महीन होने से। इसलिए सेकुलर शब्द को प्रस्तावना से हटाया जाना चाहिए।
इसके स्थान पर उपयुक्त शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। उनका कहना है कि संविधान की संरचना के समय प्रस्तावना में यह शब्द था ही नहीं। इसे 27 साल बाद जोड़ा गया।

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