(1) दशहरा, दीपावली पर दूसरे धर्म का मित्र भले ही कोई बधाई ना दे किन्तु ये,
ईद और क्रिसमस पर बधाई तुरंत देते हैं. पहले मिनट में फेसबुक अपडेट हो जाता
है.
(2) अपने धर्म का मज़ाक उड़ाने में गर्व महसूस करते हैं और अपने को आधुनिक और बुद्धिजीवी समझ कर सुहागिनों की तरह इतराते हैं.
(3)
अगर किसी ने अनजाने में भी किसी दूसरे धर्म की कोई हक़ीक़त भी बयान कर दी तो
उसको आपत्तिजनक मानकर पूरे देश में विधवा बन कर 'सेक्युलर विलाप' करने
लगते हैं.
(4) एक तरफ पश्चिम की नग्नता का पुरजोर समर्थन करते हैं दूसरी तरफ बलात्कार पर रोते हैं.
(5) हर चीज़ जो हिन्दू है उसे हीन समझते हैं. पता नहीं अपने भारतीय माता-पिता पर क्या रवैया होगा?
(6) दीपावली के पटाखों में प्रदूषण देखते हैं और नए साल के पटाखे दारू के साथ सूंघते हैं.
(7) होली में पानी की बर्बादी देखते हैं और IPL में सिंचाई को बारीकी से देखते हैं की कहीं पानी कम ना पड़ जाये.
(8)
मूर्ति विसर्जन को नदियों में प्रदूषण कहते हैं और बकरीद में काटे जाने
वाले लाखों जानवरों के खून जो उसी नदी में जाता है पर 'सेक्युलर खामोशी'
रखते हैं.
(9) PK फिल्म को जमीनी सच्चाई कहते हैं और सूरत पुलिस के मॉक ड्रिल को धर्म विशेष का अपमान समझते हैं.
(10)
इस्लामी आतंकवाद से लाखों ज़िंदगियाँ जाने के बाद भी कहते हैं की आतंक का
कोई धर्म नहीं होता लेकिन एक उग्र प्रदर्शन को भगवा आतंक तुरंत कह देते
हैं. *************************
ऐसे हज़ारों बिंदु हैं जिनसे इन सुतिये हिन्दुओं की पहचान की जा सकती है.
ईद और क्रिसमस पर बधाई तुरंत देते हैं. पहले मिनट में फेसबुक अपडेट हो जाता
है.
(2) अपने धर्म का मज़ाक उड़ाने में गर्व महसूस करते हैं और अपने को आधुनिक और बुद्धिजीवी समझ कर सुहागिनों की तरह इतराते हैं.
(3)
अगर किसी ने अनजाने में भी किसी दूसरे धर्म की कोई हक़ीक़त भी बयान कर दी तो
उसको आपत्तिजनक मानकर पूरे देश में विधवा बन कर 'सेक्युलर विलाप' करने
लगते हैं.
(4) एक तरफ पश्चिम की नग्नता का पुरजोर समर्थन करते हैं दूसरी तरफ बलात्कार पर रोते हैं.
(5) हर चीज़ जो हिन्दू है उसे हीन समझते हैं. पता नहीं अपने भारतीय माता-पिता पर क्या रवैया होगा?
(6) दीपावली के पटाखों में प्रदूषण देखते हैं और नए साल के पटाखे दारू के साथ सूंघते हैं.
(7) होली में पानी की बर्बादी देखते हैं और IPL में सिंचाई को बारीकी से देखते हैं की कहीं पानी कम ना पड़ जाये.
(8)
मूर्ति विसर्जन को नदियों में प्रदूषण कहते हैं और बकरीद में काटे जाने
वाले लाखों जानवरों के खून जो उसी नदी में जाता है पर 'सेक्युलर खामोशी'
रखते हैं.
(9) PK फिल्म को जमीनी सच्चाई कहते हैं और सूरत पुलिस के मॉक ड्रिल को धर्म विशेष का अपमान समझते हैं.
(10)
इस्लामी आतंकवाद से लाखों ज़िंदगियाँ जाने के बाद भी कहते हैं की आतंक का
कोई धर्म नहीं होता लेकिन एक उग्र प्रदर्शन को भगवा आतंक तुरंत कह देते
हैं. *************************
ऐसे हज़ारों बिंदु हैं जिनसे इन सुतिये हिन्दुओं की पहचान की जा सकती है.
Peace if possible, truth at all costs.