हिन्दू अपने आराध्य के जन्मस्थल पर हिन्दू स्मारक बनाने में असमर्थ हो चुके हैं ... ??

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जैसे अयोध्या में श्री राम का जन्मस्थान है वैसे
ही मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है और
उसी जन्मभूमि के आधे हिस्से पर यहाँ भी मुफ्तखोर
मुसलमानों ने बना दी है ईदगाह।
औरंगजेब ने 1660 में मथुरा में कृष्ण मंदिर
को तुड़वाकर ईदगाह बनवाई थी।
भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, वहां पहले वह कारागार
हुआ करता था।
यहां पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था।
इस संबंध में महाक्षत्रप सौदास के समय के एक
शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी 'वसु' नामक
व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था।
इसके बहुत काल के बाद दूसरा मंदिर विक्रमादित्य के
काल में बनवाया गया था। इस भव्य मंदिर को सन्
1017-18 ई. में महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था।
बाद में इसे महाराजा विजयपाल देव के शासन में सन्
1150 ई. में जज्ज नामक किसी व्यक्ति ने बनवाया।
यह मंदिर पहले की अपेक्षा और भी विशाल था जिसे
16वीं शताब्दी के आरंभ में सिकंदर लोदी ने नष्ट
करवा डाला।
ओरछा के शासक राजा वीरसिंह जूदेव बुंदेला ने पुन:
इस खंडहर पड़े स्थान पर एक भव्य और पहले
की अपेक्षा विशाल मंदिर बनवाया।
इसके संबंध में कहा जाता है कि यह इतना ऊंचा और
विशाल था कि यह आगरा से दिखाई देता था। लेकिन
इसे भी मुस्लिम शासकों ने सन् 1660 में नष्ट कर
इसकी भवन सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर
एक भव्य ईदगाह बनवा दी, जो कि आज
भी विद्यमान है।
1669 में इस ईदगाह का निर्माण कार्य पूरा हुआ।
इस ईदगाह के पीछे ही महामना पंडित मदनमोहन
मालवीयजी की प्रेरणा से पुन: एक मंदिर स्थापित
किया गया है, लेकिन अब यह विवादित क्षेत्र बन
चुका है, क्योंकि जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह
है और आधे पर मंदिर।
हिन्दू अपने आराध्य के जन्मस्थल पर हिन्दू स्मारक
बनाने में असमर्थ हो चुके हैं ...
क्यूंकि बड़ी चालाकी से इनके अन्दर से धर्म के
महत्त्व को समाप्त कर दिया गया है ।

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