ऐ अल्लाह जन्नत के असली हक़दार
कौन,शिया या सुन्नी ?
धरती पर विचरण करने वाले मानव, यह सभी जानते
हैं, की इस्लाम वालों की मान्यता है कुरान और
हदीस अनुसार ही जन्नत के हक़दार सिर्फ और
सिर्फ, मुसलमान ही हैं, अन्य
किसी को भी जन्नत नसीब
होना नही है | यद्यपि, ईसाई भी दावा करते हैं
अपने को haven {जन्नती} होने का |
किन्तु कुरानानुसार, तथा हदीसों के मुताबिक अल्लाह केवल
जन्नत में मुसलमानों को ही दाखिल करायेंगे | बाकि सबके लिए
जन्नत में अल्लाह ने खुद नोएन्ट्री, का बोर्ड
मनो लगा रखी हो |
यह तो कुरान से स्पष्ट है कि ईसाईयों को अल्लाह ने जन्नत में जाने
नही देंगे, और, जितने भी मत, पंथ, वाले हैं,
किसी को भी जन्नत में दाखिल होने
नही देंगे, और किसी को जन्नत नसीब
होना है, मात्र मुसलमानों को छोड़. दुनिया का कोई भी मानव
कहलाने वाला, जितना भी नेक काम क्यों न करे,अल्लाह
किसी को भी जन्नत में घुसने नही देंगे |
भले ही भारत के प्रधानमंत्री जी ने
कश्मीरी वाड़
पीड़तों को जितना भी सहायता करें, औत
जितना भी मानववादी बन कर उन
कश्मीरी मुसलमानों का हमदर्द बने, अल्लाहतायला,
या खुदावन्द करीम, प्रधानमन्त्री नरेन्द्रभाई
मोदी जी को जन्नत नसीब
नहीं कराएँगे | और यह
कश्मीरी मुसलमानों को बखूबी मालूम है |
कारण बचपन से ही मुसलमानों के दिमाग में कूट कूट कर
भरा गया हैं, मुस्लिम और गैर मुस्लिमों का भेद, जन्नत, जाने वाले कौन, और
जहन्नुम में किनको डाला जायेगा ? यही ज्ञान हर
मुसलमानों के घरपर लड़कपन से ही भरा जाता है |
किन्तु शिया और, सुन्नी, यह दोनों अपने को मुसलमान कहते हैं
मानते हैं, और दोनों ही जन्नत के हक़दार मानते हैं अपनेको |
इधर अल्लाह ने इनके लिए
कहीं भी किसी भी कुरानी आयात
में यह नही कहा कि इन शिया और सुन्नी में
जन्नत के असली वारिशान कौन है ? गैर इस्लाम वाले जन्नत में
नही जा सकते यह तो स्पष्ट कर दिया अल्लाह ने कि इस्लाम
को जो नही मानता वह काफ़िर है, और ऐसे काफिरों को जन्नत में
कोई जगह नही है | पर यह शिया और
सुन्नी दोनों ही मुसलमान, या इस्लाम के मानने
वाला होने का ही दावा करते हैं, अगर यह
दोनों ही जन्नत वासी हैं, और एक दुसरे को मौत के
घाट उतार रहे हैं | और मरने वालों का कहना है की हम इन
शियायों को मारकर जन्नत में जायेंगे | और उधर मरने वाले
भी दावा कर रहे हैं की अगर हम इनके हाथ
मरते हैं तो हम ही जन्नत में जायेंगे | और अल्लाह ने कोई
स्पष्टीकरण कुरान में दिया ही नही,
तो अब यह निर्णय कौन करेगा की असली जन्नत
का हक़दार कौन है शिया, या सुन्नी ? हमारे भारत से 4
मराठी युवा, इन सुन्नी लड़ाकूओं से जा मिले थे, घर
वालों को कहा हम अल्लाह के रास्ते में जन्नत के रास्ते में चल पड़े, और
उन चारों में से एक जन्नत पहुंच भी गया | जो वहां जाकर हूरों,
गिलमानों का लुत्फ़ उठा रहा होगा | अल्लाह उसे पवित्र शराब का परिवेषण
करवा भी रहे हैं, परिन्दों का गोश्त का कवाब के साथ,जो कुरान के
मुताविक सारा सामान उसे मुहैया करा रहे हैं | पर जो इन सुन्नियों के हाथ मारे
जा रहे हैं, क्या अल्लाह उन्हें भी अपने आगोश में लेकर
जन्नत के सभी सुख सुविधओं से उसे तृप्त करा रहे हैं ?
अब यहाँ शिया, और सुन्नी, दोनों ही ताल ठोक रहे
हैं, जन्नत का हक़दार बता रहे हैं अपने को, अभी लखनऊ
से एक शिया परिवार का युवा अपने वालिद से अनुमति लेकर गया था,
महीना भर वहां यह सारा तांडव अपने नज़र से देख कर घर
वापस आया, शायद उस बेचारे को अल्लाह का जन्नत नसीब करने
पर भरोसा नही रहा होगा ? और सोचा कि अल्लाह ने यह
तो नही बतलाया की जन्नत में तुम शिया जावगे, मार
खा कर, या फिर तुम्हे मार कर यह सुन्नी जायेंगे जन्नत में ?
बेचारे शहीदी का, स्पस्टीकरण न होने
पर अल्लाह के बातों पर यानि कुरान पर भरोसा नही किया, और
वापस आगया भारत | हमारे मिडिया वालों ने उसे उसके
पिता को भी दिखाया, उस लड़के के
पिता भी शिया मौलाना है | अब दुनिया वालों को पूछना चाहिए उन
अल्लाह से की ऐ अल्लाह,हम
काफिरों को या गैर.मुसलिमों को जहन्नुम में भेजेंगे ही, जो आप
का फैसला है | पर अल्लाह मियां इन शियाओं को आपने अंधकार में किसलिए
रखा ? की उनपर जो जुल्म सुन्निओं ने ढाया है सिर्फ जन्नत
जा कर, आप के बशारत अनुसार | कि आप ने ही उन
सुन्नियों को कहा जन्नत में जाने से यह, यह सामान तुम्हे मिलेंगे, जिस
कारण वह हमे मौत के घाट उतार रहे हैं, छोटे छोटे,
बच्चों को भी नही बखशा, औरतों के इज्ज़त लुटने
को भी, जो जिनाह नही मानते, अल्लाह, आप ने
ही फ़रमाया इन जिनाह करने वालों को यह
सजा दी जाये =सौ कोड़े लगाये जाएँ- या फिर सिना तक
मिटटी में दबाकर पत्थर मार,मार कर मार दिए जाये | तो अल्लाह
यह आप कि बताये कुरानी आदेश
को भी नही मान रहे है ?
अल्लाह मियाँ यह तो बताते
की जन्नतका असली हक़दार कौन है, शिया, या, फिर
सुन्नी ? और अगर
सुन्नी ही असली हक़दार हैं जन्नत
के, तो क्या शियाओं को गैर मुस्लिम माना जाये ? और अगर
शिया भी मुस्लमान हैं तो सुन्नी जो इनके जान के
पीछे पड़े है,या मार रहे हैं,अथवा कत्लेआम कर रहे हैं,
तो क्या इतना गुनाह करने पर भी आप इन्हें जन्नत
नसीब करेंगे ? या आप इन लोगों को गुनाहगार होने
की सजा भी सुनायेंगे ? तो अल्लाह मियाँ आप के पास
सजा भी तो, जहन्नुम ही हैं ? और आप ने
ही कहा जो एक बार, {ला ईलाहा.इल्लाल्लाहहू,
मुहम्मादुर,रसूलल्लाह } कहेगा वही जन्नती है
| ऐ अल्लाह हम दुनिया वालों को भी पता होना चाहिए
की जन्नत के असली हक़दार कौन है ?
कौन,शिया या सुन्नी ?
धरती पर विचरण करने वाले मानव, यह सभी जानते
हैं, की इस्लाम वालों की मान्यता है कुरान और
हदीस अनुसार ही जन्नत के हक़दार सिर्फ और
सिर्फ, मुसलमान ही हैं, अन्य
किसी को भी जन्नत नसीब
होना नही है | यद्यपि, ईसाई भी दावा करते हैं
अपने को haven {जन्नती} होने का |
किन्तु कुरानानुसार, तथा हदीसों के मुताबिक अल्लाह केवल
जन्नत में मुसलमानों को ही दाखिल करायेंगे | बाकि सबके लिए
जन्नत में अल्लाह ने खुद नोएन्ट्री, का बोर्ड
मनो लगा रखी हो |
यह तो कुरान से स्पष्ट है कि ईसाईयों को अल्लाह ने जन्नत में जाने
नही देंगे, और, जितने भी मत, पंथ, वाले हैं,
किसी को भी जन्नत में दाखिल होने
नही देंगे, और किसी को जन्नत नसीब
होना है, मात्र मुसलमानों को छोड़. दुनिया का कोई भी मानव
कहलाने वाला, जितना भी नेक काम क्यों न करे,अल्लाह
किसी को भी जन्नत में घुसने नही देंगे |
भले ही भारत के प्रधानमंत्री जी ने
कश्मीरी वाड़
पीड़तों को जितना भी सहायता करें, औत
जितना भी मानववादी बन कर उन
कश्मीरी मुसलमानों का हमदर्द बने, अल्लाहतायला,
या खुदावन्द करीम, प्रधानमन्त्री नरेन्द्रभाई
मोदी जी को जन्नत नसीब
नहीं कराएँगे | और यह
कश्मीरी मुसलमानों को बखूबी मालूम है |
कारण बचपन से ही मुसलमानों के दिमाग में कूट कूट कर
भरा गया हैं, मुस्लिम और गैर मुस्लिमों का भेद, जन्नत, जाने वाले कौन, और
जहन्नुम में किनको डाला जायेगा ? यही ज्ञान हर
मुसलमानों के घरपर लड़कपन से ही भरा जाता है |
किन्तु शिया और, सुन्नी, यह दोनों अपने को मुसलमान कहते हैं
मानते हैं, और दोनों ही जन्नत के हक़दार मानते हैं अपनेको |
इधर अल्लाह ने इनके लिए
कहीं भी किसी भी कुरानी आयात
में यह नही कहा कि इन शिया और सुन्नी में
जन्नत के असली वारिशान कौन है ? गैर इस्लाम वाले जन्नत में
नही जा सकते यह तो स्पष्ट कर दिया अल्लाह ने कि इस्लाम
को जो नही मानता वह काफ़िर है, और ऐसे काफिरों को जन्नत में
कोई जगह नही है | पर यह शिया और
सुन्नी दोनों ही मुसलमान, या इस्लाम के मानने
वाला होने का ही दावा करते हैं, अगर यह
दोनों ही जन्नत वासी हैं, और एक दुसरे को मौत के
घाट उतार रहे हैं | और मरने वालों का कहना है की हम इन
शियायों को मारकर जन्नत में जायेंगे | और उधर मरने वाले
भी दावा कर रहे हैं की अगर हम इनके हाथ
मरते हैं तो हम ही जन्नत में जायेंगे | और अल्लाह ने कोई
स्पष्टीकरण कुरान में दिया ही नही,
तो अब यह निर्णय कौन करेगा की असली जन्नत
का हक़दार कौन है शिया, या सुन्नी ? हमारे भारत से 4
मराठी युवा, इन सुन्नी लड़ाकूओं से जा मिले थे, घर
वालों को कहा हम अल्लाह के रास्ते में जन्नत के रास्ते में चल पड़े, और
उन चारों में से एक जन्नत पहुंच भी गया | जो वहां जाकर हूरों,
गिलमानों का लुत्फ़ उठा रहा होगा | अल्लाह उसे पवित्र शराब का परिवेषण
करवा भी रहे हैं, परिन्दों का गोश्त का कवाब के साथ,जो कुरान के
मुताविक सारा सामान उसे मुहैया करा रहे हैं | पर जो इन सुन्नियों के हाथ मारे
जा रहे हैं, क्या अल्लाह उन्हें भी अपने आगोश में लेकर
जन्नत के सभी सुख सुविधओं से उसे तृप्त करा रहे हैं ?
अब यहाँ शिया, और सुन्नी, दोनों ही ताल ठोक रहे
हैं, जन्नत का हक़दार बता रहे हैं अपने को, अभी लखनऊ
से एक शिया परिवार का युवा अपने वालिद से अनुमति लेकर गया था,
महीना भर वहां यह सारा तांडव अपने नज़र से देख कर घर
वापस आया, शायद उस बेचारे को अल्लाह का जन्नत नसीब करने
पर भरोसा नही रहा होगा ? और सोचा कि अल्लाह ने यह
तो नही बतलाया की जन्नत में तुम शिया जावगे, मार
खा कर, या फिर तुम्हे मार कर यह सुन्नी जायेंगे जन्नत में ?
बेचारे शहीदी का, स्पस्टीकरण न होने
पर अल्लाह के बातों पर यानि कुरान पर भरोसा नही किया, और
वापस आगया भारत | हमारे मिडिया वालों ने उसे उसके
पिता को भी दिखाया, उस लड़के के
पिता भी शिया मौलाना है | अब दुनिया वालों को पूछना चाहिए उन
अल्लाह से की ऐ अल्लाह,हम
काफिरों को या गैर.मुसलिमों को जहन्नुम में भेजेंगे ही, जो आप
का फैसला है | पर अल्लाह मियां इन शियाओं को आपने अंधकार में किसलिए
रखा ? की उनपर जो जुल्म सुन्निओं ने ढाया है सिर्फ जन्नत
जा कर, आप के बशारत अनुसार | कि आप ने ही उन
सुन्नियों को कहा जन्नत में जाने से यह, यह सामान तुम्हे मिलेंगे, जिस
कारण वह हमे मौत के घाट उतार रहे हैं, छोटे छोटे,
बच्चों को भी नही बखशा, औरतों के इज्ज़त लुटने
को भी, जो जिनाह नही मानते, अल्लाह, आप ने
ही फ़रमाया इन जिनाह करने वालों को यह
सजा दी जाये =सौ कोड़े लगाये जाएँ- या फिर सिना तक
मिटटी में दबाकर पत्थर मार,मार कर मार दिए जाये | तो अल्लाह
यह आप कि बताये कुरानी आदेश
को भी नही मान रहे है ?
अल्लाह मियाँ यह तो बताते
की जन्नतका असली हक़दार कौन है, शिया, या, फिर
सुन्नी ? और अगर
सुन्नी ही असली हक़दार हैं जन्नत
के, तो क्या शियाओं को गैर मुस्लिम माना जाये ? और अगर
शिया भी मुस्लमान हैं तो सुन्नी जो इनके जान के
पीछे पड़े है,या मार रहे हैं,अथवा कत्लेआम कर रहे हैं,
तो क्या इतना गुनाह करने पर भी आप इन्हें जन्नत
नसीब करेंगे ? या आप इन लोगों को गुनाहगार होने
की सजा भी सुनायेंगे ? तो अल्लाह मियाँ आप के पास
सजा भी तो, जहन्नुम ही हैं ? और आप ने
ही कहा जो एक बार, {ला ईलाहा.इल्लाल्लाहहू,
मुहम्मादुर,रसूलल्लाह } कहेगा वही जन्नती है
| ऐ अल्लाह हम दुनिया वालों को भी पता होना चाहिए
की जन्नत के असली हक़दार कौन है ?
Peace if possible, truth at all costs.