महिलाये कहती है की हम औरते मर्दों से पीछे नहीं है.....जबकि सच तो ये है की ये औरते पुरुषो के आसपास भी नहीं है....पीछे की बात तो बहुत दूर की है...अमेरिका में महिला सैनिक combat टेस्ट को पास ही नहीं कर पाती.... सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि सभी जगह यही आलम है.... भारत में तो आरक्षण और छूट देकर औरतो को मर्दों की बराबरी पर खड़ा किया जाता.... चाहे सेना हो या पुलिस ..किसी भी जगह औरते पुरुषो की बराबरी के टेस्ट पास नहीं कर पाती इसीलिए उनको हर टेस्ट में छूट मिलती है..... पता नहीं क्यों हम समानता का पाखण्ड करते है।। खुद को शक्ति कहकर झूठी शान दिखाने वाला स्त्री समाज ये भूल जाता है कि पुरुष शक्ति का आदि स्त्रोत है जिस से अनंत शक्तिया रोज जन्म लेती है....
अमेरिका में औरते सेना के टेस्ट पास नहीं कर पाती फिर भी ओबामा के आदेश के कारण उनको सेना में रखना पड़ता है।।। महिलाये सिर्फ कहती है की हम पुरुषो से कम नहीं...जबकि सच ये है की ये औरते पुरुषो के आगे कुछ भी नहीं.. वो तो आज का सिस्टम ऐसा बना दिया गया है की कोई भी औरत आरक्षण और छूट लेकर पुरुष के समान पद हासिल कर लेती है...नैतिकता की दृष्टी से इसको समानता बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता....
और अंत में औरते कहती है की--ये पुरुष प्रधान समाज हैं,पुरुष स्त्री विरोधी है और पुरुष नहीं चाहते की औरत आगे बढे ..etc etc....
औरते सिर्फ इस तरह के आरोप लगा सकती है लेकिन खुद को बराबर साबित नहीं कर सकती ... स्त्री पुरुष को तो कुदरत ने ही समान नहीं बनाया तो किसमे दम है की दोनों को समान बना सके..... पुरुषो की योग्यता और मेहनत का मजाक उड़ाकर औरतो को उनकी बराबरी पर लाकर जबरजस्ती खड़ा करने का समानता पाखण्ड बंद होना चाहिए.....बच्चा बच्चा जानता है की सेना में और पुलिस में नौकरी करने वाली औरते पुरुषो के मुकाबले कितनी बहादुर और ताकतवर होती है.....
Peace if possible, truth at all costs.