सिगारेट और शराब: मन, शरीर और कुटुंब का सत्यानाश

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मौत का दूसरा नाम गुटखा पान मसाला
क्या आपको छिपकली, तेजाब जैसी गंदी तथा जलाने वाली वस्तुएँ मुँह में डालनी अच्छी लगती हैं? नहीं ना? क्योंकि गुटका, पान-मसाला में ऐसी वस्तुएँ डाली जाती हैं।
अनेक अनुसंधानों से पता चला है कि हमारे देश में कैंसर से ग्रस्त रोगियों की संख्या का एक तिहाई भाग तम्बाकू तथा गुटखे आदि का सेवन करने वाले लोगों का है। गुटखा खाने वाले व्यक्ति की साँसों में अत्यधिक दुर्गन्ध आने लगती है तथा चूने के कारण मसूढ़ों के फूलने से पायरिया तथा दंतक्षय आदि रोग उत्पन्न होते हैं। इसके सेवन से हृदय रोग, रक्तचाप, नेत्ररोग तथा लकवा, टी.बी जैसे भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
तम्बाकू में निकोटिन नाम का एक अति विषैला तत्त्व होता है जो हृदय, नेत्र तथा मस्तिष्क के लिए अत्यन्त घातक होता है। इसके भयानक दुष्प्रभाव से अचानक आँखों की ज्योति भी चली जाती है। मस्तिष्क में नशे के प्रभाव के कारण तनाव रहने से रक्तचाप उच्च हो जाता है।
व्यसन हमारे जीवन को खोखला कर हमारे शरीर को बीमारियों का घर बना देते हैं। प्रारंभ में झूठा मजा दिलाने वाले ये मादक पदार्थ व्यक्ति के विवेक को हर लेते हैं तथा बाद में अपना गुलाम बना लेते हैं और अन्त में व्यक्ति को दीन-हीन, क्षीण करके मौत की कगार तक पहुँचा देते हैं.
जीवन के उन अंतिम क्षणों में जब व्यक्ति को इन भयानकताओं का ख्याल आता है तब बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए हे बालको! गुटका और पान-मसाले के मायाजाल में फँसे बिना भगवान की इस अनमोल देन मनुष्य-जीवन को परोपकार, सेवा, संयम, साधना द्वारा उन्नत बनाओ।
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"जन-जागरण लाना है तो पोस्ट को Share करना है।"

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