आजकल
सर्वत्र साँई बाबा की धूम है, कहीँ साँई चौकी, साँई संध्या और साँई पालकी
मेँ मुस्लिम कव्वाल साँई भक्तोँ के साथ साँई जागरण करने मेँ लगे हैँ।
मन्दिरोँ मेँ साँई की मूर्ति सनातन काल के देवी देवताओँ के साथ सजी है।
मुस्लिम तान्त्रिकोँ ने भी अपने काले इल्म का आधार साँई बाबा को बना रखा है
व उनकी सक्रियता सर्वत्र देखी जा सकती है।
कोई इसे विष्णुजी का ,कोई शिवजी का तथा कोई दत्तात्रेयजी का अवतार बताता है ।
परन्तु साँई बाबा कौन थे? उनका आचरण व व्यवहार कैसा था? इन सबके लिए हमेँ निर्भर होना पड़ता है “साँई सत्चरित्र” पर!
जी हाँ ,दोस्तोँ! कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीँ जो रामायण व महाभारत का नाम न जानता हो? ये दोनोँ महाग्रन्थ क्रमशः श्रीराम और कृष्ण के उज्ज्वल चरित्र को उत्कर्षित करते हैँ, उसी प्रकार साईँ के जीवनचरित्र की एकमात्र प्रामाणिक उपलब्ध पुस्तक है- “साँईँ सत्चरित्र”॥
इस पुस्तक के अध्ययन से साईँ के जिस पवित्र चरित्र का अनुदर्शन होता है,
क्या आप उसे जानते हैँ?
चाहे चीलम/तम्बाकू/बीडी पीने की बात हो, चाहे स्त्रियोँ को अपशब्द कहने की?, चाहे बातबात पर क्रोध करने की , चाहे माँसाहार की बात हो, या चाहे धर्मद्रोही, देशद्रोही व इस्लामी कट्टरपन की….
इन सबकी दौड़ मेँ शायद ही कोई साँई से आगे निकल पाये। यकीन नहीँ होता न?
तो आइये चलकर देखते हैँ…
साईं के 95% से अधिक भक्तों ने "साँईँ सत्चरित्र" नही पढ़ी है, वे केवल देख देखी में इस बाबे के पीछे हो लिए!
कोई बात नही हम आपको दिखाते है सत्य क्या है।
निम्न प्रति साँईँ सत्चरित्र अध्याय 1 की है ! इसे ध्यान से पढ़े :---
जब इतना अधिक सम्मान दिया गया है तो इसकी जाँच भी करनी आवश्यक है !
इसी किताब में बताया गया है की बाबा के माता पिता, जन्म, जन्म स्थान किसी को ज्ञात नही । इस सम्बन्ध में बहुत छान बिन की गई । बाबा से व अन्य लोगो से पूछ ताछ की गई पर कोई सूत्र हाथ नही लगा । यथार्थ में हम लोग इस इस विषय में सर्वथा अनभिज्ञ है । 16 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम दिखाई पड़े (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 4) ।
कोई भी निश्चयपूर्वक यह नही जनता की वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन थे ! (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 38 )
जिस व्यक्ति के बारे में आप सर्वथा अनभिज्ञ है और वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन थे - कुछ पता नही !
फिर उसका गौत्र कैसे लिख दिया आपने ??
पहले ही पन्ने पर झूठ !!!................ झूठ नं 1
इससे स्पष्ट है की मस्जिद में रहने वाले एक अनाथ साईं को जबरदस्ती प्रमोट किया गया । न की केवल सनातनी देवी देवताओं के साथ इसका नाम लिखा गया अपितु श्री गणेश, वेद माता सरस्वती तथा ब्रह्मा विष्णु महेश के तुल्य बना दिया गया ।
जबरदस्ती महर्षि भारद्वाज के कुल में पैदा किया गया ।
कोई इसे विष्णुजी का ,कोई शिवजी का तथा कोई दत्तात्रेयजी का अवतार बताता है ।
परन्तु साँई बाबा कौन थे? उनका आचरण व व्यवहार कैसा था? इन सबके लिए हमेँ निर्भर होना पड़ता है “साँई सत्चरित्र” पर!
जी हाँ ,दोस्तोँ! कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीँ जो रामायण व महाभारत का नाम न जानता हो? ये दोनोँ महाग्रन्थ क्रमशः श्रीराम और कृष्ण के उज्ज्वल चरित्र को उत्कर्षित करते हैँ, उसी प्रकार साईँ के जीवनचरित्र की एकमात्र प्रामाणिक उपलब्ध पुस्तक है- “साँईँ सत्चरित्र”॥
इस पुस्तक के अध्ययन से साईँ के जिस पवित्र चरित्र का अनुदर्शन होता है,
क्या आप उसे जानते हैँ?
चाहे चीलम/तम्बाकू/बीडी पीने की बात हो, चाहे स्त्रियोँ को अपशब्द कहने की?, चाहे बातबात पर क्रोध करने की , चाहे माँसाहार की बात हो, या चाहे धर्मद्रोही, देशद्रोही व इस्लामी कट्टरपन की….
इन सबकी दौड़ मेँ शायद ही कोई साँई से आगे निकल पाये। यकीन नहीँ होता न?
तो आइये चलकर देखते हैँ…
साईं के 95% से अधिक भक्तों ने "साँईँ सत्चरित्र" नही पढ़ी है, वे केवल देख देखी में इस बाबे के पीछे हो लिए!
कोई बात नही हम आपको दिखाते है सत्य क्या है।
निम्न प्रति साँईँ सत्चरित्र अध्याय 1 की है ! इसे ध्यान से पढ़े :---
जब इतना अधिक सम्मान दिया गया है तो इसकी जाँच भी करनी आवश्यक है !
इसी किताब में बताया गया है की बाबा के माता पिता, जन्म, जन्म स्थान किसी को ज्ञात नही । इस सम्बन्ध में बहुत छान बिन की गई । बाबा से व अन्य लोगो से पूछ ताछ की गई पर कोई सूत्र हाथ नही लगा । यथार्थ में हम लोग इस इस विषय में सर्वथा अनभिज्ञ है । 16 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम दिखाई पड़े (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 4) ।
कोई भी निश्चयपूर्वक यह नही जनता की वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन थे ! (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 38 )
जिस व्यक्ति के बारे में आप सर्वथा अनभिज्ञ है और वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन थे - कुछ पता नही !
फिर उसका गौत्र कैसे लिख दिया आपने ??
पहले ही पन्ने पर झूठ !!!................ झूठ नं 1
इससे स्पष्ट है की मस्जिद में रहने वाले एक अनाथ साईं को जबरदस्ती प्रमोट किया गया । न की केवल सनातनी देवी देवताओं के साथ इसका नाम लिखा गया अपितु श्री गणेश, वेद माता सरस्वती तथा ब्रह्मा विष्णु महेश के तुल्य बना दिया गया ।
जबरदस्ती महर्षि भारद्वाज के कुल में पैदा किया गया ।
Peace if possible, truth at all costs.