काबा जो बैलुल्लाह यानी अल्लाह का घर माना जाता है, उसका अति प्राचीन
नाम मक्ख-मेदिनी है और मक्ख-मेदिनी का मतलब होता है यज्ञभूमि। मक्का का
काबा मंदिर वास्तव में काव्य शुक्र का मंदिर है। काबा काव्य का ही अपभ्रंश
है। शुक्र का अर्थ जुम्मा अर्थात् बड़ा होता है और गुरु शुक्राचार्य बड़े ही
माने जाते हैं।
यज्ञ करने वाला अपनी सांसारिक इच्छाओ और वासनाओ को छोड देता है और यज्ञ में पाक एवं बिना सिले सफेद वस्त्र पहनने की परम्परा वैदिक काल में रही है और यही सब हज के दौरान भी होता है, हाजी एहराम पहनते हैं यानी दो बिना सिले सफेद कपडे के टुकडे होते हैं।
यज्ञ हिंसा से रहित होता है और हज भी हिंसा से रहित होती है। मक्का का पाक क्षेत्र पूरी तरह सम्मानित है, ये लोग वेदो को तो भूल गए, लेकिन यहां पर फिर भी अल्लाह की सबसे पहली किताब वेदो के ही कानून का पूरी तरह पालन किया जाता है, वेद में किसी भी प्रकार की हिंसा या बलि का विधान नहीं और मक्का में यही वेदो का कानून आज भी चलता है, इस पाक क्षेत्र में कोई भी हाजी किसी भी जानवर, यहां तक की मक्खी और इससे भी आगे बढकर किसी प्रकृति यानी किसी पौधे को तनिक भी हानि नहीं पहुंचा जा सकते। हज यात्री का पूरा अस्तित्व अल्लाह को समर्पित हो जाता है। यदि अल्लाह को कुर्बानी पंसद होती तो काबा जो बैलुल्लाह यानी अल्लाह का घर माना जाता है, फिर यहां पर सबसे अधिक बकरे काटने के लिए हाजी साथ लेकर जाते? लेकिन यह क्षेत्र तो हिंसा से रहित है, क्योंकि यहां वेदो का कानून चलता है। पांच वक्त की नमाज का बहुत महत्व है। नमाज खुद संस्कृत का शब्द है यानी पंच और यज्ञ। और पांच का महत्व वेदो में ही है, जैसे पंचाग्नि, पंचपात्र, पंचगव्य, पंचांग आदि।
पांच दिन के हज के दौरान पूरी दुनिया के हाजी मक्का में एकत्र होते हैं और एक साथ इबादत करते हैं और एक साथ लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। हज शब्द ही संस्कृत के व्रज का अपभंश है, वज्र का अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है।
सफेद वस्त्रधारी हाजी काबा की सात परिक्रमाएं करते हैं, सात परिक्रमा का विधान पूरी तरह वेदो का है। सप्तपदी मंदिरो में होती है, सप्तपदी विवाह संस्कार में होती है यज्ञ के सामने। John Lewis Burckhardt लिखते हैं कि मुसलमानों में हज की यात्रा इस्लाम पूर्व की है। उसी प्रकार Suzafa और Merana भी इस्लाम पूर्व के पाक क्षेत्र हं और क्योंकि यहा Motem और Nabyk नाम के देवताओ के बुत होते थे। अराफात की यात्रा कर लेने पर यात्री प्रकार Motem और Nabyk की यात्रा करते हैं। N. J. Dawood ने कुरान के अंग्रेजी संस्करण की भूमिका में लिखा है कि कुरान का प्रत्येक शब्द स्वर्ग में लिखे हुए शिलालेख से अल्लाह ने देवूदत ग्रेबियल द्वारा मोहम्मद को जैसा सुनाया, वैसा लिखा गया। बाइबिल कहती है और स्वर्ग में ईश्वर का मंदिर खोला और उसके नियम का संदूक उसके मंदिर में दिखाई दिया। ईश्वर का ज्ञान चार संदूको में है। अब सच यह है कि सृष्टि के आरम्भ में ही अल्लाह ने चार मौलाओ यानी ऋषियों को अपना ज्ञान दिया, इसलिए अल्लाह का कानून वेद हैं। वेदो में ज्ञान और विज्ञान है, लेकिन कुरान में ज्ञान-विज्ञान की बाते कम और इतिहास अधिक है। लेकिन इतिहास लिखने का कार्य अल्लाह का नहीं हो सकता, इतिहासकारो का होता है। अल्लाह तो ज्ञान और विज्ञान की बाते ही बता सकते हैं
यज्ञ करने वाला अपनी सांसारिक इच्छाओ और वासनाओ को छोड देता है और यज्ञ में पाक एवं बिना सिले सफेद वस्त्र पहनने की परम्परा वैदिक काल में रही है और यही सब हज के दौरान भी होता है, हाजी एहराम पहनते हैं यानी दो बिना सिले सफेद कपडे के टुकडे होते हैं।
यज्ञ हिंसा से रहित होता है और हज भी हिंसा से रहित होती है। मक्का का पाक क्षेत्र पूरी तरह सम्मानित है, ये लोग वेदो को तो भूल गए, लेकिन यहां पर फिर भी अल्लाह की सबसे पहली किताब वेदो के ही कानून का पूरी तरह पालन किया जाता है, वेद में किसी भी प्रकार की हिंसा या बलि का विधान नहीं और मक्का में यही वेदो का कानून आज भी चलता है, इस पाक क्षेत्र में कोई भी हाजी किसी भी जानवर, यहां तक की मक्खी और इससे भी आगे बढकर किसी प्रकृति यानी किसी पौधे को तनिक भी हानि नहीं पहुंचा जा सकते। हज यात्री का पूरा अस्तित्व अल्लाह को समर्पित हो जाता है। यदि अल्लाह को कुर्बानी पंसद होती तो काबा जो बैलुल्लाह यानी अल्लाह का घर माना जाता है, फिर यहां पर सबसे अधिक बकरे काटने के लिए हाजी साथ लेकर जाते? लेकिन यह क्षेत्र तो हिंसा से रहित है, क्योंकि यहां वेदो का कानून चलता है। पांच वक्त की नमाज का बहुत महत्व है। नमाज खुद संस्कृत का शब्द है यानी पंच और यज्ञ। और पांच का महत्व वेदो में ही है, जैसे पंचाग्नि, पंचपात्र, पंचगव्य, पंचांग आदि।
पांच दिन के हज के दौरान पूरी दुनिया के हाजी मक्का में एकत्र होते हैं और एक साथ इबादत करते हैं और एक साथ लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। हज शब्द ही संस्कृत के व्रज का अपभंश है, वज्र का अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है।
सफेद वस्त्रधारी हाजी काबा की सात परिक्रमाएं करते हैं, सात परिक्रमा का विधान पूरी तरह वेदो का है। सप्तपदी मंदिरो में होती है, सप्तपदी विवाह संस्कार में होती है यज्ञ के सामने। John Lewis Burckhardt लिखते हैं कि मुसलमानों में हज की यात्रा इस्लाम पूर्व की है। उसी प्रकार Suzafa और Merana भी इस्लाम पूर्व के पाक क्षेत्र हं और क्योंकि यहा Motem और Nabyk नाम के देवताओ के बुत होते थे। अराफात की यात्रा कर लेने पर यात्री प्रकार Motem और Nabyk की यात्रा करते हैं। N. J. Dawood ने कुरान के अंग्रेजी संस्करण की भूमिका में लिखा है कि कुरान का प्रत्येक शब्द स्वर्ग में लिखे हुए शिलालेख से अल्लाह ने देवूदत ग्रेबियल द्वारा मोहम्मद को जैसा सुनाया, वैसा लिखा गया। बाइबिल कहती है और स्वर्ग में ईश्वर का मंदिर खोला और उसके नियम का संदूक उसके मंदिर में दिखाई दिया। ईश्वर का ज्ञान चार संदूको में है। अब सच यह है कि सृष्टि के आरम्भ में ही अल्लाह ने चार मौलाओ यानी ऋषियों को अपना ज्ञान दिया, इसलिए अल्लाह का कानून वेद हैं। वेदो में ज्ञान और विज्ञान है, लेकिन कुरान में ज्ञान-विज्ञान की बाते कम और इतिहास अधिक है। लेकिन इतिहास लिखने का कार्य अल्लाह का नहीं हो सकता, इतिहासकारो का होता है। अल्लाह तो ज्ञान और विज्ञान की बाते ही बता सकते हैं
Peace if possible, truth at all costs.