1) तीन- तीन बीबी रखते है,
रात को संतुस्ट एक को भी नहीं कर सकते,
फिर धंदा करवाते है, बीमारी फैलाते है ॥
2) दरजनो बच्चे पैदा करते है
कमा कर खिला नहीं सकते,
फिर चोरी डाका मरने के लिये
छोड़ देते है
3) आरक्षण की मांग करते है,
बिना पढाई लिखाई के इनको
नौकरी कि जरूरत है,
बसफ़ोकट का माल समझ रखा है
सरकारी पैसे को ॥
4) पहले तो कोई प्राइवेट नौकरी
कोई इनको देते नहीं,
अगर मिल गई तो हर दो घण्टे बाद
इन का नमाज का टाइम हो जाता है..
साले कामचोर ॥
5) फ्री मे इनको हज़ पर भेज दो,
खुश है ।
टैक्स का इन क़ो पता ही नहीं क्या होता है,
बस
हिंदुओं का मन्दिर मे जो दान आ गया
उस से इनको हज़ करवा दो ॥
6) अल्लाह क़ो कार्टून बना डेनमार्क मेँ
ओर दंगे स्टार्ट दिल्ही, मुंबई, हैदराबाद मे,
बस लड़ाई करने के लिये बहाने कि जरूरत है,
पढ़ना लिखा तो है नहीं,
समाज मे इज्जत क्या होती है,
उस का इन कुछ पता ही नहीं है।
रात को संतुस्ट एक को भी नहीं कर सकते,
फिर धंदा करवाते है, बीमारी फैलाते है ॥
2) दरजनो बच्चे पैदा करते है
कमा कर खिला नहीं सकते,
फिर चोरी डाका मरने के लिये
छोड़ देते है
3) आरक्षण की मांग करते है,
बिना पढाई लिखाई के इनको
नौकरी कि जरूरत है,
बसफ़ोकट का माल समझ रखा है
सरकारी पैसे को ॥
4) पहले तो कोई प्राइवेट नौकरी
कोई इनको देते नहीं,
अगर मिल गई तो हर दो घण्टे बाद
इन का नमाज का टाइम हो जाता है..
साले कामचोर ॥
5) फ्री मे इनको हज़ पर भेज दो,
खुश है ।
टैक्स का इन क़ो पता ही नहीं क्या होता है,
बस
हिंदुओं का मन्दिर मे जो दान आ गया
उस से इनको हज़ करवा दो ॥
6) अल्लाह क़ो कार्टून बना डेनमार्क मेँ
ओर दंगे स्टार्ट दिल्ही, मुंबई, हैदराबाद मे,
बस लड़ाई करने के लिये बहाने कि जरूरत है,
पढ़ना लिखा तो है नहीं,
समाज मे इज्जत क्या होती है,
उस का इन कुछ पता ही नहीं है।
Peace if possible, truth at all costs.