ऐसे अल्लाह को क्यों मानें ?

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किसी के बारे में सुनी सुनाई बातों के आधार पर , और गहराई से जानकारी प्राप्त किये बिना ही विश्वास करना घातक होता है . और जो भी व्यक्ति ऐसी भूल करता है ,उसे बाद में अवश्य ही पछताना पड़ता है .यह बात कहना इसलिए जरूरी हो गयी है , क्योंकि आजकल विदेशी धन से पोषित इस्लाम के कुछ ऐसे प्रचारक पैदा हो गए हैं ,जो अपने कुतर्कों से मुहम्मद को अवतार , कुरान को ईश्वरीय पुस्तक और अपने अल्लाह को सबका ईश्वर साबित करने का कुप्रयास करते रहते हैं .इनका एकमात्र उद्देश्य हिन्दुओं को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराना है . ताकि उनके द्वारा भारत में आतंक फैला कर इस्लामी राज्य की स्थापना की जा सके .इसके लिए यह लोग अपने अल्लाह को सर्वशक्तिमान , सर्वज्ञ ,और समर्थ बताते हैं , और कुरान का हवाला देते हैं जैसे ,
अल्लाह से न तो धरती के भीतर की कोई चीज छुपी है , और न आकाश के अन्दर की कोई चीज छुपी है " सूरा -आले इमरान 3 : 5
अल्लाह को आकाशों और धरती में छुपी हुई बातों का सारा भेद मालूम है " सूरा -अल कहफ़ 18 :26
धरती और आकाश के एक एक कण के बारे में कोई भी बात अल्लाह से छुपी नहीं है " सूरा-सबा 34 :3
अल्लाह का ज्ञान हरेक विषय को घेरे हुए है " सूरा -अत तलाक 65 :12

लेकिन यह कुरान की आयतें लोगों को दिखने के लिए हैं , यदि हम कुरान को व्याकरण सहित ध्यान से पढ़ें तो पता चलेगा कि अल्लाह को ईश्वर समझना बहुत बड़ी भूल होगी .क्योंकि हरेक विषय में उसका ज्ञान अधकचरा और सत्य के विपरीत है ,और जो भी अल्लाह की गप्पों को नहीं मानता था अल्लाह उसे डराता रहता था.और यही काम उसका रसूल भी करता था , कुछ नमूने देखिये ,

1-तारों का ज्ञान
और अल्लाह " शेअरा Sirius " नामके एक तारे का रब है " सूरा -अन नज्म 53 : 49
वास्तव में शेअरاشعرى   नामक तारा एक नहीं बल्कि युग्म ( double star.)तारा है , जो नंगी आँखों से एक दिखता है यह दौनों तारे एक दुसरे का चक्कर लगाते हैं , , वैज्ञानिकों ने इनके नाम DA1 और DA2 रख दिए हैं .इनको binary star भी कहा जाता है , पृथ्वी से इनकी दूरी  8.6 प्रकाश वर्ष मील है

2-आकाश एक छत है 
और हमने आकाश को एक मजबूत छत बनाया है "सूरा -अल अम्बिया 21 :32
(इस आयत में आकाश को अरबी में " सकफ سقف" कहा गया है , जिसका अर्थ ऐसी ठोस छत Roof होता है ,अभेद्य impenetrableहो .)

3-बादलों की गर्जना फ़रिश्ते हैं
और बादलों की गरज और फ़रिश्ते भय के कारण उसकी प्रसंशा के साथ तस्बीह करते रहते हैं .और वह कड़कती बिजलियाँ जिस पर चाहे गिरा देता है "
सूरा - राअद 13 :13

4आकाश धरती में धंस सकता है
यह जो इनके आगे और पीछे जो आकाश और धरती है उसे नहीं देखते .यदि हम चाहें तो आकाश को जमीन के अन्दर धंसा देंगे "
सूरा -सबा 34 :9
(इस आयत में " नख्सिफنخسف" शब्द है जिसका अर्थ We (could) cause to swallow होता है यानि अल्लाह आसमान को पृथ्वी से निगलवा देगा .)

5-आकाश से दैत्य निकलेगा
और जो लोग हमारी बातों पर विश्वास नहीं करेंगे हम उनके लिए जमीन से एक भयानक पशु निकालेंगे , जो उन से बातें करेगा
.सूरा- नम्ल 27 : 82
(इस आयत में उस कल्पित जानवर beast को दाब्बह (دابّة)कहा गया है , इसका अर्थ है जब अल्लाह अपनी बात लोगों नहीं समझा पाया तो कल्पित जानवर से डराने लगा )

6-अल्लाह ध्रुव प्रदेश से अनभिज्ञ है 
और खाओ पियो यहाँ तक कि प्रभात की सफ़ेद धारी तुम्हें रात की काली धारी से स्पष्ट अलग दिखाई देने लगे " सूरा - बकरा 2 : 187
(यह आयत रोजा रखने के बारे में है . लेकिन अल्लाह को पृथ्वी के ध्रुव प्रदेशों polar regions और वहां के रहने वाले एस्किमो Eskimosलोगों के बारे में कोई ज्ञान नहीं था . क्योंकि वहां पर छः महीने रात और छः महीने दिन रहता है .इस से सिद्ध होता है की कुरान सिर्फ अरब के लिए बनी है , सम्पूर्ण विश्व के लिए नही .और अल्लाह का भूगोल के बारे ज्ञान शून्य है .)

7-जन्नत कितनी दूर है
अब्बास इब्न अबी मुत्तलिब ने कहा की हम लोग बतहा नाम की जगह पर रसूल के साथ बातें कर रहे थे . तभी एक बादल ऊपर से गुजरा रसूल ने पूछा की क्या तुम्हें पता है कि जमीन से जन्नत की कितनी दूरी है .हमने कहा कि आप ही बता दीजिये . रसूल के कहा कि यहाँ से जन्नत की दूरी इकहत्तर , बहत्तर , या तिहत्तर साल की दूरी है .वहां ऊपर सातवाँ आसमान है . और नीचे एक समुद्र है .और जिसके किनारे आठ पहाड़ी बकरे रहते हैं .और जिनके खुरों के बीच की जगह में जन्नत है , वहीँ अल्लाह का निवास है .अबू दाऊद- किताब 40 हदीस 4705

8-नवजात शिशु क्यों रोते हैं
अबू हुरैरा ने कहा की रसूल ने कहा है ,पैदा होते ही बच्चा इसलिए रोता है . क्योंकि शैतान उसके शरीर में उंगली डालता है "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 506

9-शैतान कान में मूत देता है
अब्दुल्लाह ने कहा की रसूल ने बताया है , यदि कोई देर तक सोता है तो , शैतान उसके कानों में पेशाब कर देता है "
बुखारी - जिल्द 2 किताब 21 हदीस 245

10-मुर्गों की बांग और गधे का रेंकना
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है यदि तुम मुर्गे की बांग की आवाज सुनो तो समझो तुमने फ़रिश्ते के दर्शन कर लिए और अगर तुम गधे के रेंकने की आवाज सुनो तो इसका मतलब है तुमने शैतान को देखा है "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 552 और सही मुस्लिम - किताब 35 हदीस 6581

इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि न तो अल्लाह को अंतरिक्ष यानि आकाश के बारे में कोई ज्ञान है और न पृथ्वी के बारे में कोई ज्ञान है .लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि अल्लाह जो भी रहा होगा वह लोगों को कल्पित चीजों से डराने , और बहकाने में उस्ताद रहा होगा .और अल्लाह का तथाकथित रसूल भी उस से दो हाथ आगे था .
बताइए कोई ऐसे अल्लाह को क्यों मानेगा ?मेरा तो यही जवाब है .आप बताइए .

" सूरदास प्रभु , कामधेनु तजि बकरी कौन दुहावै "

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1Comments

Peace if possible, truth at all costs.

  1. Bhai Sahab aap se ek baat kehni hai agar mera mazhab mera Allah ya uski paak kitab ya uske rasol gumrah karne wale hote to Islam duniya ka dusra bada mazhab nahi hota... Apne mera Allah ke baare me buhut galat baare kaha par mere mazhab ko dekho ...Jo kehta hai ki apne mazhab ki so acchaiyan karo par kisi ke mazhab ki ek burai mat karo ... Subhanallah

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