कुरान मे एसी बहूत सारी आयते है जिस कारण गैर-मुस्लिम व मुस्लिमो का
दंगा होता है व आतंकवाद फैलता है .हम उन 24 आयतो पर दिल्ली कोट का फैसला व
उन आयतो की link भी बता रहे है , जिसे पढकर आप भी कहेगे की कभी हिंदुओ का
ईश्वर व मुसलमानो का अल्ला एक नही हो सकता ,
--कुरान की चौबीस आयतें और उन परदिल्ली कोर्ट का फैसलाश्री इन्द्रसेन (तत्कालीन उपप्रधानहिन्दू महासभा दिल्ली) और राजकुमार नेकुरान मजीद (अनु.मौहम्मद फारुख खां,प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुरउ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखितआयतों का एक pomplet छापकर लोगो मे बाटा जिसकेकारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोडकी धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत(एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) मेंमुकदमा चलाया गया।बाद मे वे बरी हूए ,,,अदालत का फ़ैसला-> मैट्रोपोलिटिनमजिस्ट्रेट श्री जेड़ .एस. लोहाट ने ३१जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः''मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद सेमिलान किया और पाया कि सभीअधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैंजैसी कि कुरान में हैं। लेखकों (24 आयतो का pomplet बनवाने वालो ) का सुझावमात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईंतो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल होजाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात सेसहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और२२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करकेप्रस्तुत किया गया है।'' तथा उक्त दोनोंमहानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दियाकि- ''कुरान मजीद'' की पवित्र पुस्तक केप्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों केसूक्ष्मअध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि येआयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा कीशिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफमुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेषसमुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होनेकी सम्भावना है।'' (ह. जेड. एस. लोहाट,मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली३१.७.१९८६)……………………………………………
पढे कुरान की वो 24 आयते -->1- ''फिर, जब पवित्र महीने (रमजान का महीना) बीत जाऐं, तो'मुश्रिको' (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहींपाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हेंघेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक मेंबैठो।( कुरान मजीद, पा० १०, सूरा. ९, आयत५,२ख पृ. ३६८) (कुरान 9:5). www.quran.com/9/5 .. www.quranhindi.com/p260.htm .……………………………………………
2- ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एकआल्ला को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र)हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28). www.quran.com/9/28 .. www.quranhindi.com/p265.htm .……………………………………………
3- ''निःसंदेह 'काफिर (गैर-मुस्लिम)तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१.पृ.२३९) (कुरान 4:101). www.quran.com/4/101 .. www.quranhindi.com/p130.htm .……………………………………………
4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जोतुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वेतुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१)(कुरान 9:123). www.quran.com/9/123 .. www.quranhindi.com/p286.htm .……………………………………………
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' काइन्कार किया (इस्लाम व कुरान को माननेसे इंकार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंकदेंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हमउन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वेयातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देहअल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शीहैं'' (कुरान 4:56). www.quran.com/4/56 .. www.quranhindi.com/p119.htm .……………………………………………
6- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों)अपने बापों और भाईयों को अपना मित्रमत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा) को पसन्दकरें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रताका नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिमहोंगे'' (१०.९.२३ पृ.३७०) (कुरान 9:23). www.quran.com/9/23 .. www.quranhindi.com/p263.htm .……………………………………………
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों (गैर-मुस्लिमो ) को मार्ग नहींदिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान9:37). www.quran.com/9/37 .. www.quranhindi.com/p267.htm .……………………………………………
8- '' ऐ ईमान (अल्ला पर यकिन)लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दीगई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकारकरनेवालों को अपना मित्र न बनाओ।और अल्लाह का डर रखों यदि तुमईमानवाले हो (६.५.५७ पृ. २६८) (कुरान5:57). www.quran.com/5/57 .. www.quranhindi.com/p161.htm .……………………………………………
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) मूर्तिपूजक जहां कहीपाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरहकत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ.७५९) (कुरान 33:61). www.quran.com/33/61 .. www.quranhindi.com/p592.htm .……………………………………………
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम औरवह जिसे तुम अल्लाह के सिवा (दूसरे भगवान को मानना) पूजते थे'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसकेघाट उतरोगे।''कुरान 21:98. www.quran.com/21/98 .. www.quranhindi.com/p459.htm .……………………………………………
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगाजिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वाराचेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेरले (इस्लाम छोड दे) निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों सेबदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ.७३६)(कुरान 32:22). www.quran.com/32/22 .. www.quranhindi.com/p579.htm .……………………………………………
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों'(लूट का माल ) का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,''(२६.४८.२०पृ. ९४३) (कुरान 48:20). www.quran.com/48/20 .. www.quranhindi.com/p713.htm .……………………………………………
13- ''तो जो कुछ गनीमत (लूट का मालजैसे लूटा हुआ धन या औरते) तुमने हासिलकिया है उसे हलाल (valid) व पाक समझकर खाओ (उपयोग करो)' (१०.८.६९. पृ.३५९) (कुरान 8:69). www.quran.com/8/69 .. www.quranhindi.com/p257.htm .……………………………………………
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' केसाथ जिहाद करो (आतंकवादी बनकर गैर-मुस्लिमो का कत्ल) और उन पर सखती करोऔर उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, औरबुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९.पृ.१०५५) (कुरान 66:9). www.quran.com/66/9 .. www.quranhindi.com/p785.htm .……………………………………………
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' (इस्लाम कोधोखा देने वालो) करने वालों को यातना कामजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हेंसबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वेकरते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५) (कुरान41:27). www.quran.com/41/27 .. www.quranhindi.com/p662.htm .……………………………………………
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का('जहन्नम' की) आग (गैर-मुस्लिमो को नर्क )। इसी में उनका सदाका घर है, इसके बदले में कि हमारी'आयतों' का इन्कार(इस्लाम व कुरान कोनही अपनाना) करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ.८६५) (कुरान 41:28). www.quran.com/41/28 .. www.quranhindi.com/p662.htm .……………………………………………
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणोंऔर उनके मालों को इसके बदले में खरीदलिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वेअल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भीहैं (इस्लाम फैलाने के लिये आतंकवादी बन कर गैर-मुस्लिमो को मारना व जबरन इस्लाम कबूलवाना) और मारेभी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)(कुरान 9:111). www.quran.com/9/111 .. www.quranhindi.com/p283.htm .……………………………………………
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' पुरुषों औरमुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से'जहन्नम' की आग का वादा किया हैजिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है।अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनकेलिए स्थायी यातना है। (गैर-मुस्लिम सदा नर्क मे रहेगे )'' (१०.९.६८ पृ.३७९) (कुरान 9:68). www.quran.com/9/68 .. www.quranhindi.com/p273.htm .……………………………………………
19- ''हे नबी! 'ईमानवालों' (मुसलमानों) कोलड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमेरहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्वप्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तोएक हजार काफिरों (गैर-मुसलमानो) परभारी रहेंगे' (१०.८.६५ पृ. ३५८) (कुरान 8:65). www.quranhindi.com/p256.htm .……………………………………………
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियोंऔर ईसाईयों को मित्र संबंध नबनाओ। (६.५.५१ पृ. २६७) (कुरान 5:51). www.quran.com/5/51 .. www.quranhindi.com/p160.htm .……………………………………………
21- उनसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित(अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जजिया'देने लगे।'' (गैर-मुसलिमो पर जजिया tax)(१०.९.२९. पृ.३७२) (कुरान 9:29). www.quran.com/9/29 .. www.quranhindi.com/p265.htm .……………………………………………
22-फिर हमने उनके बीच कियामत के दिनतक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आगभड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बतादेगा जो कुछ वे करते रहे हैं।(६.५.१४ पृ. २६०) (कुरान 5:14). www.quran.com/5/14 .. www.quranhindi.com/p151.htm .……………………………………………
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वेकाफिर (गैर-मुस्लिम) हुए हैं उसी तरह सेतुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एकजैसे हो जाओः तो उनमें से किसी कोअपना साथी न बनाना जब तक वेअल्लाह की राह में हिजरत न करें, औरयदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहींपाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो।और उनमें से किसी को साथी और सहायकमतबनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७) (कुरान4:89). www.quran.com/4/89 .. www.quranhindi.com/p126.htm ---------------------------------
24- ''उन (काफिरों) गैर-मुस्लिमो से लड़ों! अल्लाहतुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हेंरुसवा करेगा और उनके मुकाबले मेंतुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालोंलोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ.३६९) (कुरान 9:14). www.quran.com/9/14 .. www.quranhindi.com/p262.htm .………………………………………………उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमेंईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई झगड़ा,लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलतेहैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व मेंमुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआकरते हैं।
(इसे save कर ले )
--कुरान की चौबीस आयतें और उन परदिल्ली कोर्ट का फैसलाश्री इन्द्रसेन (तत्कालीन उपप्रधानहिन्दू महासभा दिल्ली) और राजकुमार नेकुरान मजीद (अनु.मौहम्मद फारुख खां,प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुरउ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखितआयतों का एक pomplet छापकर लोगो मे बाटा जिसकेकारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोडकी धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत(एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) मेंमुकदमा चलाया गया।बाद मे वे बरी हूए ,,,अदालत का फ़ैसला-> मैट्रोपोलिटिनमजिस्ट्रेट श्री जेड़ .एस. लोहाट ने ३१जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः''मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद सेमिलान किया और पाया कि सभीअधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैंजैसी कि कुरान में हैं। लेखकों (24 आयतो का pomplet बनवाने वालो ) का सुझावमात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईंतो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल होजाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात सेसहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और२२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करकेप्रस्तुत किया गया है।'' तथा उक्त दोनोंमहानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दियाकि- ''कुरान मजीद'' की पवित्र पुस्तक केप्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों केसूक्ष्मअध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि येआयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा कीशिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफमुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेषसमुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होनेकी सम्भावना है।'' (ह. जेड. एस. लोहाट,मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली३१.७.१९८६)……………………………………………
पढे कुरान की वो 24 आयते -->1- ''फिर, जब पवित्र महीने (रमजान का महीना) बीत जाऐं, तो'मुश्रिको' (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहींपाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हेंघेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक मेंबैठो।( कुरान मजीद, पा० १०, सूरा. ९, आयत५,२ख पृ. ३६८) (कुरान 9:5). www.quran.com/9/5 .. www.quranhindi.com/p260.htm .……………………………………………
2- ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एकआल्ला को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र)हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28). www.quran.com/9/28 .. www.quranhindi.com/p265.htm .……………………………………………
3- ''निःसंदेह 'काफिर (गैर-मुस्लिम)तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१.पृ.२३९) (कुरान 4:101). www.quran.com/4/101 .. www.quranhindi.com/p130.htm .……………………………………………
4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जोतुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वेतुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१)(कुरान 9:123). www.quran.com/9/123 .. www.quranhindi.com/p286.htm .……………………………………………
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' काइन्कार किया (इस्लाम व कुरान को माननेसे इंकार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंकदेंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हमउन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वेयातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देहअल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शीहैं'' (कुरान 4:56). www.quran.com/4/56 .. www.quranhindi.com/p119.htm .……………………………………………
6- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों)अपने बापों और भाईयों को अपना मित्रमत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा) को पसन्दकरें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रताका नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिमहोंगे'' (१०.९.२३ पृ.३७०) (कुरान 9:23). www.quran.com/9/23 .. www.quranhindi.com/p263.htm .……………………………………………
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों (गैर-मुस्लिमो ) को मार्ग नहींदिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान9:37). www.quran.com/9/37 .. www.quranhindi.com/p267.htm .……………………………………………
8- '' ऐ ईमान (अल्ला पर यकिन)लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दीगई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकारकरनेवालों को अपना मित्र न बनाओ।और अल्लाह का डर रखों यदि तुमईमानवाले हो (६.५.५७ पृ. २६८) (कुरान5:57). www.quran.com/5/57 .. www.quranhindi.com/p161.htm .……………………………………………
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) मूर्तिपूजक जहां कहीपाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरहकत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ.७५९) (कुरान 33:61). www.quran.com/33/61 .. www.quranhindi.com/p592.htm .……………………………………………
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम औरवह जिसे तुम अल्लाह के सिवा (दूसरे भगवान को मानना) पूजते थे'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसकेघाट उतरोगे।''कुरान 21:98. www.quran.com/21/98 .. www.quranhindi.com/p459.htm .……………………………………………
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगाजिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वाराचेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेरले (इस्लाम छोड दे) निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों सेबदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ.७३६)(कुरान 32:22). www.quran.com/32/22 .. www.quranhindi.com/p579.htm .……………………………………………
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों'(लूट का माल ) का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,''(२६.४८.२०पृ. ९४३) (कुरान 48:20). www.quran.com/48/20 .. www.quranhindi.com/p713.htm .……………………………………………
13- ''तो जो कुछ गनीमत (लूट का मालजैसे लूटा हुआ धन या औरते) तुमने हासिलकिया है उसे हलाल (valid) व पाक समझकर खाओ (उपयोग करो)' (१०.८.६९. पृ.३५९) (कुरान 8:69). www.quran.com/8/69 .. www.quranhindi.com/p257.htm .……………………………………………
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' केसाथ जिहाद करो (आतंकवादी बनकर गैर-मुस्लिमो का कत्ल) और उन पर सखती करोऔर उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, औरबुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९.पृ.१०५५) (कुरान 66:9). www.quran.com/66/9 .. www.quranhindi.com/p785.htm .……………………………………………
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' (इस्लाम कोधोखा देने वालो) करने वालों को यातना कामजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हेंसबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वेकरते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५) (कुरान41:27). www.quran.com/41/27 .. www.quranhindi.com/p662.htm .……………………………………………
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का('जहन्नम' की) आग (गैर-मुस्लिमो को नर्क )। इसी में उनका सदाका घर है, इसके बदले में कि हमारी'आयतों' का इन्कार(इस्लाम व कुरान कोनही अपनाना) करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ.८६५) (कुरान 41:28). www.quran.com/41/28 .. www.quranhindi.com/p662.htm .……………………………………………
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणोंऔर उनके मालों को इसके बदले में खरीदलिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वेअल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भीहैं (इस्लाम फैलाने के लिये आतंकवादी बन कर गैर-मुस्लिमो को मारना व जबरन इस्लाम कबूलवाना) और मारेभी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)(कुरान 9:111). www.quran.com/9/111 .. www.quranhindi.com/p283.htm .……………………………………………
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' पुरुषों औरमुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से'जहन्नम' की आग का वादा किया हैजिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है।अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनकेलिए स्थायी यातना है। (गैर-मुस्लिम सदा नर्क मे रहेगे )'' (१०.९.६८ पृ.३७९) (कुरान 9:68). www.quran.com/9/68 .. www.quranhindi.com/p273.htm .……………………………………………
19- ''हे नबी! 'ईमानवालों' (मुसलमानों) कोलड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमेरहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्वप्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तोएक हजार काफिरों (गैर-मुसलमानो) परभारी रहेंगे' (१०.८.६५ पृ. ३५८) (कुरान 8:65). www.quranhindi.com/p256.htm .……………………………………………
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियोंऔर ईसाईयों को मित्र संबंध नबनाओ। (६.५.५१ पृ. २६७) (कुरान 5:51). www.quran.com/5/51 .. www.quranhindi.com/p160.htm .……………………………………………
21- उनसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित(अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जजिया'देने लगे।'' (गैर-मुसलिमो पर जजिया tax)(१०.९.२९. पृ.३७२) (कुरान 9:29). www.quran.com/9/29 .. www.quranhindi.com/p265.htm .……………………………………………
22-फिर हमने उनके बीच कियामत के दिनतक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आगभड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बतादेगा जो कुछ वे करते रहे हैं।(६.५.१४ पृ. २६०) (कुरान 5:14). www.quran.com/5/14 .. www.quranhindi.com/p151.htm .……………………………………………
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वेकाफिर (गैर-मुस्लिम) हुए हैं उसी तरह सेतुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एकजैसे हो जाओः तो उनमें से किसी कोअपना साथी न बनाना जब तक वेअल्लाह की राह में हिजरत न करें, औरयदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहींपाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो।और उनमें से किसी को साथी और सहायकमतबनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७) (कुरान4:89). www.quran.com/4/89 .. www.quranhindi.com/p126.htm ---------------------------------
24- ''उन (काफिरों) गैर-मुस्लिमो से लड़ों! अल्लाहतुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हेंरुसवा करेगा और उनके मुकाबले मेंतुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालोंलोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ.३६९) (कुरान 9:14). www.quran.com/9/14 .. www.quranhindi.com/p262.htm .………………………………………………उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमेंईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई झगड़ा,लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलतेहैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व मेंमुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआकरते हैं।
(इसे save कर ले )
www.quranhindi.com वाले लिंक काम नहीं कर रहे कृपया ठीक करे इनको
ReplyDeleteबिल्कुल sahu
ReplyDeleteकुरान हिंदी वेबसाइट बंद हो गई है। भारत में कुछ ज्यादा लोग इसकी सच्चाई जानने लगे तो ये बंद हो गई।
ReplyDeleteये तो मानव धर्म हो नहीं सकता।अगर आयातें सत्य हैं तो इस्लाम में क्रूरता का कारण ये आयातें हैं।अविश्वनीय हैं कुरान की ये आयतों के अर्थ साथ ही मानवता को शर्मशार करने वाले हैं कुरान के ये आदेश।
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