आमिर खान से कुछ सवाल

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#‎PK‬ के आमिर खान से कुछ सवाल और अगर आपके पास सवालो के जवाब हे तो दीजियेगा अन्यथा आमिर खान तक पहुँचाने में मदद कीजियेगा:
1. अगर गाय को घास खिलाने से धर्म होता हो या नहीं लेकिन उसका पेट जरूर भरता है लेकिन अपने धर्म गुरु के कहने से आप तो बकरे को काटते हैं आपने इसका विरोध क्यों नहीं किया...???

2. अगर माता रानी के दरबार और अमरनाथ जाने से धर्म नहीं होता है..... तो मक्का मदीना जाने से कैसे हो सकता है ?? आपने मक्का मदीना का विरोध् क्यों नहीं किया..??

3. अगर मंदिर बनाना धर्म नहीं तो आपने मस्जिद बनाने का विरोध क्यों नहीं किया...?? जबकि सर्वे बताते हैं की देश में मंदिर के अनुपात में मस्जिद बनाने में भंयकर तेजी आई है वो भी सरकारी पैसे से ....

4. अगर शीवजी को दूध चढ़ाने से अच्छा किसी भूके को दान देना अच्छा है..... तो देश में लोग ठण्ड से ज्यादा मर रहे है..... आपने मज़ार की चादर का विरोध क्यों नहीं किया....????

5. अगर पैदल तीर्थो पर जाना धर्म नहीं ..... तो या हुसैन करके अपना खून बहाने से कैसे धर्म हुआ ??? जब कि उस खून को धोंने के लिए आप लोग अरबो लीटर साफ़ पानी ढोलते है.... जो किसी प्यासे की प्यास बुझा सकता था ...आपने उसका विरोध क्यों नहीं किया ????

6.अगर क्रिस्चियन लालच देकर धर्म परिवर्तन कर रहे है..... तो आपने इस्लामिक स्टेट का विरोध क्यों नहीं किया...??? जबकि इसमें तो मौत का तांडव हो रहा है.....

7. अमृतसर से कश्मीरीयो को आपदा के समय लाखो लोगो को खाना दिया और आपने उन्ही को खाने के लिए भीख मांगते दिखाया ..... जबकि सबसे ज्यादा गरीब मुस्लिम है....

8. क्या सारे हिन्दू धर्म गुरु पाखंडी होते है ??? जबकि सबसे ज्यादा पाखंडी और धर्म के नाम पर अन्धविश्वास फेलाने में मुस्लिम धर्म गुरु आगे हैं..... आपने उनका विरोध क्यों नहीं किया..???

9. आपने बताया मुस्लिम लड़के इतने अच्छे और वफादार होते हैं तो 90% आतंकी मुस्लिम लड़के होते हैं .... आपने ये क्यों नहीं दिखाया ?????

10. अगर आप कहते हैं की धर्म गुरु मंदिर का विरोध करने पर भगवान् की निंदा का डर बताते हैं..... तो आपने इस्लाम में ईश निंदा के जुल्म में मौत की सजा दी जाती है.... इसका विरोध किस डर के कारण नहीं किया...????

11. खान बंधू स्टारर मूवी में नायिका का पात्र हमेशा हिन्दू और नायक हमेशा मुस्लिम क्यों होता है...???

आमिर खान जी हिन्दू धर्म या अन्य धर्म करने से पुण्य मिलता हो या ना मिलता हो , धर्म होता हो या ना होता हो लेकिन किसी का बुरा तो हरगिज़ नहीं करते लेकिन इस्लाम के नाम पर पूरी दुनिया की क्या हालात है... आज सभी जानते है... अगर आपको वाकई में सिस्टम सुधारना ही था तो आपने शुरुआत वही से क्यों नहीं की..????
 क्यों आपने मुस्लिम लड़के को इतना वफादार बताया आपने ये क्यों नहीं बताया की लाखो हिन्दू लडकिया मुस्लिम लड़को से शादी करने के बाद वैश्या वृति में धकेल दी जाती है......????
मै मूवी का विरोध नहीं कर रहा लेकिन आप सभी से मेरा सिर्फ इतना अनुरोध है..... की इस माध्यम से ये हम सब के दिल और दिमाग में क्या बिठाना चाहते हैं...????
 अपने विवेक से सोचे....पर सेक्युलर कुत्ते देखकर कहेंगे वह क्या मूवी है हिन्दू धर्म सच में गन्दा है।

कई मित्रों के सन्देश आ रहे हैं पीके फिल्म के बारे में मेरे पोस्ट पर , कुछ कह रहे है की इस बार आपका आंकलन गलत है , फिल्म में सभी धर्मों के बारे में दिखाया गया है , फिल्म सम्बन्धी बिंदुवार विश्लेषण मैं पहले कर चुका हूँ पर अब उन मित्रों से मेरा आग्रह है की निम्नलिखित सवाल एकबार खुद से पूछें :-

१. आज देश समाज और विश्व मानवता को किस विचारधारा से खतरा है ? उसका जवाब मिल जाए तो अगला सवाल पूछें
२. अपने जीवनकाल में उन्होंने कितनी फ़िल्में , धारावाहिक और टीवी बहसें उस विचारधारा के सम्बन्ध में सुनी हैं ? उसका जवाब मिल जाए तो अगला सवाल पूछें
३. हिन्दू धर्म की तथाकथित कुरीतियों पर बनी और आपकी देखि फिल्मो की संख्या की ऊपर वाली संख्या से तुलना करें ? जाहिर है उसका जवाब आपका दिल तोड़ेगा , लेकिन अब अगला सवाल कीजिये
४. ऐसा क्या है की सारे संचार माध्यमों को , सिनेमा बनाने वालों को , पत्रकारों को , प्रगतिशील लेखकों को हिन्दू धर्म की इतनी चिंता सता रही है ? उसमे भी सबसे तीखा निशाना संतों पर और मंदिर के चढ़ावे पर रहता है , क्यों ?
५. क्या किसी भी बाबा के आश्रम में जाकर २ भजन गाकर आने वाला इंसान समाज के लिए खतरा बन गया है ? क्या वो ऐसा करके हिंसा , आतंक या भ्र्ष्टाचार में लिप्त हो रहा है ? कोई एक उदाहरण है आपके पास ?
६. कहीं ऐसा तो नहीं की इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों को संतों के ट्रस्ट और मंदिर ट्रस्ट पर आने वाले धन से कोई ईर्ष्या हो रही है ? या इन्हे लगता है की इस धन पर तो उनका हक़ था ?
७. तमाम प्रतिष्ठित संतों में से उन संतों का प्रतिशत निकालिये जिनपर एक भी धोखाधड़ी के आरोप हो , उस प्रतिशत से अपनी राय बनाइये
८. कहीं ऐसा तो नहीं की पहले से ही अपने धर्म से विरक्त हो चुकी नौजवान आधुनिक हिन्दू पीढ़ी को ऐसी फ़िल्में बनाकर पूरी तरह "बेयर मेटल" करने का षड्यंत्र हो ? क्योंकि जब धर्म नहीं होगा तो इस देश इस समाज पर "मार्केट फोर्सेज " राज करेंगी , वो बाजारवाद और विस्तारवाद पर आधरित संप्रदाय भी हो सकते हैं , वो ड्रग माफिया भी हो सकते हैं , वो शराब माफिया भी हो सकते हैं , क्योंकि अपने धर्म से विरक्त हुआ यूवा एक बकरे जैसा है जो काटे जाने के इंतज़ार में बाजार में घूम रहा है !!
सोचिये , अपने धर्म ने अपनी सफाई का विवेक हमें खुद दिया है, हमें किसी सिनेमाई भांड की ज़रुरत है क्या ? सोचिये ?

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Peace if possible, truth at all costs.

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