मैं ये प्रश्न जिज्ञासा वश इस्लाम के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए पूछ रहा हूँ क्योंकि दुनिया में बहुत बड़े बड़े इस्लामिक जानकर और विद्वान हैं।
हालांकि ये प्रश्न मैंने एक मुस्लिम भाई के ब्लॉग पर भी किया था पर वो बात को टाल गए। इसलिए आशा है की कोई और इस्लामिक विद्वान इन प्रश्नों के उत्तर जरुर देगा , ताकि इस्लाम को समझने में और आसानी हो ।
१- अल्लाह कौन है? उसके क्या गुण है और उस अल्लाह की क्या पहचान है? वह साकार है या निराकार?
२- मुहम्मद साहब आखरी नबी कैसे थे? क्या सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव नबी नहीं थे क्योंकि वो तो मुहम्मद साहब के बाद पैदा हुए और अपना धर्म चलाया?
३- औरतें नबी क्यों नहीं बन सकतीं?
४- क्या क़ुरआन और हदीस दोनों की मान्यता समान रूप से है?
५- जैदबिन अकरम ने कहा कि तुम जब भी शौचालय जाओ, तो जिन्नों से बचने के लिए यहदुआ पढ़ते रहो "अल्लाह मैं बुरे पुरुष और स्त्री शैतानो से बचने के लिए इसजगह तेरी शरण में आता हूँ "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 6.
क्या ये बात सही है ? क्या शौचालय में भी इबादत कर सकते हैं?
मन तो करता है की इस्लाम के बारे में अधिक से अधिक जानकारी ली जाये ताकि इसे समझने में आसानी हो पर अभी के लिए बस इतना ही। आशा है मुस्लिम विद्वानों से सही जानकारी अवश्य मिलेगी।
हालांकि ये प्रश्न मैंने एक मुस्लिम भाई के ब्लॉग पर भी किया था पर वो बात को टाल गए। इसलिए आशा है की कोई और इस्लामिक विद्वान इन प्रश्नों के उत्तर जरुर देगा , ताकि इस्लाम को समझने में और आसानी हो ।
१- अल्लाह कौन है? उसके क्या गुण है और उस अल्लाह की क्या पहचान है? वह साकार है या निराकार?
२- मुहम्मद साहब आखरी नबी कैसे थे? क्या सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव नबी नहीं थे क्योंकि वो तो मुहम्मद साहब के बाद पैदा हुए और अपना धर्म चलाया?
३- औरतें नबी क्यों नहीं बन सकतीं?
४- क्या क़ुरआन और हदीस दोनों की मान्यता समान रूप से है?
५- जैदबिन अकरम ने कहा कि तुम जब भी शौचालय जाओ, तो जिन्नों से बचने के लिए यहदुआ पढ़ते रहो "अल्लाह मैं बुरे पुरुष और स्त्री शैतानो से बचने के लिए इसजगह तेरी शरण में आता हूँ "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 6.
क्या ये बात सही है ? क्या शौचालय में भी इबादत कर सकते हैं?
मन तो करता है की इस्लाम के बारे में अधिक से अधिक जानकारी ली जाये ताकि इसे समझने में आसानी हो पर अभी के लिए बस इतना ही। आशा है मुस्लिम विद्वानों से सही जानकारी अवश्य मिलेगी।
Peace if possible, truth at all costs.